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Summary: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में पट्टे पर दिए जाने वाले भवनों के निर्माण पर लगने वाले खर्च के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की अनुमति दी है। इस फैसले में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल ने कहा कि यदि किसी भवन का निर्माण किराए या पट्टे जैसी सेवाओं के आपूर्ति के लिए आवश्यक है, तो इसे संयंत्र माना जा सकता है। यह निर्णय सीजीएसटी अधिनियम की अनुसूची 2 के खंड 2 और 5 के तहत आता है। यह मामला सफारी रिट्रीट्स प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित था, जिसमें एक मॉल मालिक ने उड़ीसा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को केस-टू-केस आधार पर तय करने का निर्देश दिया और मामले को वापस उड़ीसा हाईकोर्ट को भेज दिया। इस फैसले से किरायेदारों पर किराए का वित्तीय बोझ कम होने की उम्मीद है, और वाणिज्यिक अचल संपत्तियों पर आईटीसी का दावा किया जा सकेगा। हालांकि, जीएसटी परिषद से इस मामले में आगे स्पष्टीकरण की उम्मीद है ताकि इसे अन्य उद्योगों पर भी लागू किया जा सके।

(संदर्भ सिविल अपील नंबर 2948 /2023 चीफ कमिश्नर ऑफ़ सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स एंड अदर्स, वादी बनाम सफारी रिट्रीट्स प्राइवेट लिमिटेड एंड अदर प्रतिवादी तथा अन्य याचिका शामिल)

वाणिज्यिक अचल संपत्ति में निवेश को बढ़ावा देने वाले एक घटनाक्रम में, सर्वोच्च न्यायालय ने  गुरुवार(03 अक्टूबर.2024) को पट्टे पर दिए जाने वाले भवनों के निर्माण व्यय पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की अनुमति देकर उद्योग को राहत प्रदान की।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल ने कहा, यदि किसी भवन का निर्माण सेवाओं की आपूर्ति की गतिविधि को चलाने के लिए आवश्यक था, जैसे कि भवन या उसके किसी हिस्से के संबंध में किराए पर देना या पट्टे पर देना या अन्य लेनदेन, जो सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर) अधिनियम की अनुसूची II के खंड (2) और (5) के अंतर्गत आते हैं, तो भवन को संयंत्र माना जा सकता है।

इस निर्णय से उम्मीद है कि वाणिज्यिक स्थान पर रहने वाले किराएदारों पर किराए का वित्तीय बोझ कम होगा। रियल एस्टेट कंपनियों को लाभ होगा क्योंकि इमारतों को अब प्लांट और मशीनरी के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके अलावा, यह लाभ केवल वाणिज्यिक अचल संपत्ति तक ही सीमित नहीं है। विभिन्न उद्योग वाणिज्यिक संपत्तियों के किराए पर इनपुट टैक्स क्रेडिट ITC का दावा कर सकेंगे। फैसले से पता चलता है कि ITC पूर्वव्यापी रूप से उपलब्ध होगा।

यदि भवन का निर्माण किराए पर देने या लीज पर देने जैसी सेवाओं की आपूर्ति या भवन या उसके भाग के संबंध में अन्य लेन-देन की गतिविधि को अंजाम देने के लिए आवश्यक था, जो CGST Act की अनुसूची 2 के खंड 2 और 5 के अंतर्गत आते हैं तो भवन को प्लांट माना जा सकता है। यह तय करने के लिए कि भवन प्लांट है या नहीं, कार्यक्षमता परीक्षण लागू करना होगा।यह तय करने के लिए कि कोई इमारत प्लांट है या नहीं, प्रत्येक मामले के तथ्यों पर कार्यक्षमता ट्रायल लागू करना होगा

खंडपीठ ने कहा कि केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (Central Goods  and Services  Act) की धारा 17(5)(डी) को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई। न्यायालय ने तथ्यों के आधार पर यह निर्धारित करने के लिए मामले को उड़ीसा हाईकोर्ट को वापस भेज दिया कि क्या मामला धारा 17(5)(डी) के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने के लिए प्लांट छूट के अंतर्गत आता है।

रिट पिटीशन का विषय –

सफारी रिट्रीट्स के मामले में, एक मॉल मालिक ने उड़ीसा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया कि जब दुकानों के लिए वाणिज्यिक किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए मॉल का निर्माण किया जा रहा है, तो निर्माण पर लगने वाले जीएसटी के लिए इनपुट क्रेडिट/सेट-ऑफ लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। उड़ीसा हाईकोर्ट ने इस तर्क को बरकरार रखा, और जीएसटी अधिकारियों ने इस आदेश के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की। ऐसे कई मामले सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे, जिससे इस कानूनी मुद्दे पर कई मामले सामने आए। इनमें से कुछ नए मामलों में इनपुट जीएसटी क्रेडिट पर प्रतिबंध की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई।

लेखक के द्वारा व्याख्या-

इस फैसले का असर होटलों, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स समेत गोदामों पर पड़ सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण से जुड़ी खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट(ITC )से जुड़े प्रतिबंधों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है, लेकिन यह माना है कि इमारत ‘प्लांट या मशीनरी’ है या नहीं, इसकी जांच केस-टू-केस आधार पर की जानी चाहिए।

इसका मतलब है कि जहां भी यह इस श्रेणी में आता है, वहां क्रेडिट की अनुमति होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस फैसले के बाद जीएसटी कानूनों में संशोधन करने पर विचार करती है।  रियल एस्टेट  को इनपुट टैक्स क्रेडिट(ITC) की पात्रता पर इस फैसले के प्रभावों का मूल्यांकन करना चाहिए। जीएसटी परिषद के लिए यह समझदारी होगी कि वह रियल एस्टेट  को किराये की आय पर आईटीसी का दावा करने की अनुमति देते हुए स्पष्टीकरण जारी करे

अब प्रश्न यह है कि क्या यह निर्णय फैक्ट्री भवनों, भंडारण, टैंकों आदि पर लागू होगा।

इस रिट याचिका के निर्णय से सबसे बड़ी सकारात्मक बात यह है कि अदालत ने माना है कि सिविल संरचनाओं/अचल संपत्ति के निर्माण पर होने वाले जीएसटी लागत के इनपुट क्रेडिट/सेट-ऑफ पर कोई व्यापक प्रतिबंध नहीं है, खासकर जब उक्त संरचना स्वयं संबंधित आउटपुट सेवाएं प्रदान करने के लिए अभिन्न अंग है।

निर्णय के परिणाम

A. इस निर्णय से व्यावसायिक स्थानों पर रहने वाले किरायेदारों पर किराये का वित्तीय बोझ कम होने की उम्मीद हैI

B.यह लाभ केवल वाणिज्यिक अचल संपत्ति तक ही सीमित नहीं है; विभिन्न उद्योग भी वाणिज्यिक संपत्तियों के किराये पर आईटीसी का दावा कर सकेंगेI

C. अब सवाल यह है कि क्या यह निर्णय फैक्ट्री भवनों, भंडारण टैंकों आदि पर भी लागू होगा?

निष्कर्ष-

माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जरिया आदेश जीएसटी अधिनियम की धारा 17(5) के संदर्भ में उसकी संवैधानिकता को बरकरार रखते हुए। कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिससे व्यवसायिक संपत्तियों के विषय में लाभ होगा ।लेकिन इस निर्णय के उपरांत  निर्णय केवल कुछ संस्थाओं के बारे में जारी किया गया है ।अतः सभी पर लागू नहीं होगा । जीएसटी एक्ट 2017  की अनुसूची 2 के खंड 2 और 5 के अंतर्गत आते हैं, तो भवन  प्लांट हैं या नहीं।यदि रियल स्टेट के व्यवसाय को सेवा कर का लाभ लेना है तो उसे आईटीसी(ITC) क्लेम करते हुए अपनी सभी कार्यों का उल्लेख करना होगा। जिससे कर प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा की, यह आईटीसी(ITC) क्लेम योग्य है ।इस निर्णय से यह तथ्य भी स्पष्ट हो गया है, कि अब कर प्राधिकारी से आईटीसी(ITC) लेने हेतु उसके निर्णय पर निर्भर करेगा, कि  उसे आईटीसी(ITC) मिलेगी या नहीं ।लेकिन यह आदेश आने वाले समय में रियल एस्टेट ,होटल इंडस्ट्रीज ,गोदाम, भंडारण आदि के संबंध में भी लागू किया जाना चाहिए, जिसका निर्णय जीएसटी परिषद को करना होगा?

यह लेखक के निजी विचार हैं।जो रिट पिटीशन के निर्णय पर आधारित है।

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