Summary: व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर टैक्स विभाग की Search और Seizure कार्रवाई चिंता का विषय बन रही है। यह कार्रवाई बिना पूर्व सूचना के हो सकती है, जिसमें स्टॉक की जांच, दस्तावेजों की जब्ती और कर वसूली का दबाव शामिल होता है। श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद में इस स्थिति का कानूनी विश्लेषण किया गया है। टैक्स विभाग तभी सर्च कर सकता है जब उसे Reasons to Believe हों, जैसे कर चोरी का संदेह, बिना बिल की बिक्री, स्टॉक में भारी गड़बड़ी या गुप्त सूचना। स्टॉक में अंतर कर चोरी साबित नहीं करता जब तक विभाग ठोस सबूत न दे। व्यापारी को Stock Verification की मांग करनी चाहिए और वैध दस्तावेज़ प्रस्तुत करने चाहिए। WhatsApp चैट्स, निजी नोट्स या Loose Papers को प्रमाण नहीं माना जा सकता जब तक उनकी सत्यता की पुष्टि न हो। विभाग को इन्हें वैध प्रमाण के रूप में साबित करना होता है। यदि दबाव में कर वसूली हो रही है, तो व्यापारी को Legal Expert से सलाह लेकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए। व्यापारी को अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी दस्तावेज़ पर दबाव में हस्ताक्षर नहीं करने चाहिए, उचित कानूनी मार्ग अपनाना चाहिए और जब्ती की गई सामग्री की कॉपी मांगनी चाहिए। कानूनी प्रक्रिया का पालन करने और अधिकारों की जानकारी रखने से व्यापारी अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं।
श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद: जब Tax Department कर रहा है व्यापारी वर्ग में Search और Seizure, तो क्या करें?
अर्जुन:
हे केशव! आजकल Tax Department व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर Search और Seizure कर रहा है। व्यापारी भयभीत हैं, क्योंकि बिना पूर्व सूचना के अधिकारी आते हैं, स्टॉक की गिनती करते हैं, कागजात जब्त करते हैं और व्यापारी को दबाव में कर जमा करने को मजबूर करते हैं। मैंने सुना है कि निजी नोट्स, WhatsApp चैट्स, और Loose Papers के आधार पर व्यापारियों पर गुप्त निकासी (Clandestine Removal) के आरोप लगाए जा रहे हैं। क्या यह उचित है? एक व्यापारी को ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए? कृपया मार्गदर्शन करें, प्रभु!
श्रीकृष्ण:
हे पार्थ! जब अन्याय और भय का वातावरण बनता है, तब ज्ञान और विधि का सहारा लेना ही सर्वोत्तम उपाय होता है।
Search और Seizure कर विभाग का एक नियमित जांच का तरीका है, लेकिन इसे कानून और न्याय के दायरे में ही किया जाना चाहिए। कई न्यायिक निर्णयों ने स्पष्ट किया है कि बिना उचित प्रमाण के व्यापारी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
अर्जुन:
हे केशव! क्या विभाग कभी भी Search और Seizure कर सकता है?
श्रीकृष्ण:
नहीं, पार्थ! विभाग को Search और Seizure करने से पहले कुछ कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।
Tax Department तब ही Search कर सकता है, जब उनके पास विश्वास करने का कारण (Reasons to Believe) हो यानी:
1. जब विभाग को लगे कि व्यापारी Tax चोरी कर रहा है।
2. अगर बिना Bill की Sales का संदेह हो।
3. यदि Stock में भारी गड़बड़ी पाई जाए।
4. जब अनाम शिकायतें या अन्य सूचना मिलती है कि व्यापार में Parallel Accounting System चल रहा है।
अर्जुन:
अगर विभाग Stock में गड़बड़ी निकाले तो व्यापारी को क्या करना चाहिए?
श्रीकृष्ण:
हे धनंजय! Stock की गड़बड़ी खुद में कर चोरी साबित नहीं करती।
Stock में गड़बड़ी के दो प्रकार होते हैं:
1. Stock Short पाया जाए: विभाग इसे बिना Bill की बिक्री मान सकता है।
2. Stock Excess पाया जाए: विभाग इसे बिना बिल की खरीद बताकर सवाल कर सकता है।
अर्जुन:
हे माधव! अगर department ने स्टॉक में डिफरेंस निकला है तो व्यापारी को क्या करना चाहिए?
श्रीकृष्ण:
हे पार्थ! अगर स्टॉक में डिफरेंस आ रहा तो भी अंतर तब तक कर चोरी नहीं माना जा सकता जब तक यह साबित न हो कि बिना बिल का माल बेचा गया। Stock की मात्रा के अंतर को टैक्स चोरी मानने के लिए विभाग को ठोस सबूत पेश करने होंगे। ऐसी स्थिति में
1. Measurement की गलती हो सकती है, इसलिए दुबारा Stock Verification की मांग करें।
2. अगर Stock Transfer हुआ है तो उसके दस्तावेज प्रस्तुत करें।
3. सीक्रेट sale (Clandestine Removal) साबित करने के लिए विभाग को Sales Records, Transportation Details और Financial Transactions भी दिखाने होंगे।
अर्जुन:
अगर विभाग व्यापारी को जबरदस्ती Tax भरने को कहे तो क्या करें?
श्रीकृष्ण:
हे अर्जुन! यह कानूनी रूप से गलत है कि विभाग किसी व्यापारी को दबाव में Tax जमा करने के लिए मजबूर करे।
कई Tribunal and High Court के निर्णय में कहा गया है कि बिना Proper Assessment के Tax वसूली दबाव में नहीं की जा सकती। Taxpayer को Proper Notice और Hearing दिए बिना Tax Deposit करवाना गलत है। अगर Officers दबाव डालते हैं, तो व्यापारी को तुरंत शिकायत दर्ज करानी चाहिए और Legal Action लेना चाहिए।
अर्जुन:
अगर विभाग को Private Records और hand written Notes मिलें तो क्या व्यापारी दोषी हो जाता है? क्या WhatsApp Chats या नोटबुक्स को प्रमाण माना जा सकता है?
श्रीकृष्ण:
हे पार्थ! Private Notes या Loose Papers खुद में कोई कर चोरी साबित नहीं करते। बिना वेरिफिकेशन के प्राइवेट रिकॉर्ड को प्रमाण नहीं माना जा सकता।
अगर विभाग को कोई Personal Diary मिलती है, तो उसे साबित करना होगा कि यह व्यापारी द्वारा ही लिखी गई है। Forensic Verification और Handwriting Analysis जरूरी होगा।
अगर WhatsApp चैट्स, एक्सेल शीट या निजी रिकॉर्ड पर आरोप लगाया जाए, तो व्यापारी को इसकी प्रमाणिकता को चैलेंज करना चाहिए।
अगर गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, तो व्यापारी को उन्हें जिरह (Cross-Examine) करने का अधिकार है।
अर्जुन:
हे केशव! इस स्थिति में व्यापारी को किस रणनीति का पालन करना चाहिए?
श्रीकृष्ण:
हे अर्जुन! यदि तुम पर कोई गलत आरोप लगाया जाता है, तो संयम और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना ही सर्वोत्तम उपाय है।
1. बिना दबाव में आए कोई भी दस्तावेज़ Sign मत करो।
2. Legal Expert की सलाह लो और जबरन कर जमा करने से बचो।
3. Stock की गिनती को Challenge करो और Proper Documentation दिखाओ।
4. जो भी जब्त हो, उसकी Copy मांगो और Official Protest दर्ज करो।
5. यदि Officers नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, तो उनकी शिकायत Higher Authorities को दो।
हे पार्थ! जो व्यक्ति कानून और न्याय के मार्ग पर चलता है, वह भय से मुक्त रहता है। एक व्यापारी को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और उन्हें सही समय पर इस्तेमाल करना आना चाहिए।
तुम निश्चिंत रहो, जो सत्य और न्याय के मार्ग पर चलता है, उसकी विजय निश्चित होती है!
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Disclaimer: यह लेख श्रीकृष्ण की कृपा से कृष्ण-अर्जुन संवाद के रूप में केवल Legal Concepts को सरल शब्दों एवं रोचक तरीके से समझाने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसका कोई अन्य प्रयोजन नहीं है। इसमें किसी प्रकार की धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक या कानूनी व्याख्या का दावा नहीं किया जाता और न ही किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई उद्देश्य है। पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि इसे केवल शैक्षिक और जानकारीपूर्ण सामग्री के रूप में ही ग्रहण करें। यदि किसी विधिक समस्या से जुड़े निर्णय की आवश्यकता हो, तो किसी योग्य Subject Matter Expert, CA / Advocate से परामर्श अवश्य करें।
श्रीकृष्ण की कृपा से ज्ञान की ज्योति सभी तक पहुँचे।
Author may be reached by contacting on email at mr.himanshu@icai.org