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Summary: महाभारत युद्ध के बाद अर्जुन और कृष्ण के बीच एक संवाद में अर्जुन ने पूछा कि क्या Revenue Officers को Police Officers की तरह arrest और investigation की शक्ति होती है। कृष्ण ने स्पष्ट किया कि Revenue Officers का कार्य केवल कर चोरी की जांच करना और अनुपालन सुनिश्चित करना है, न कि आपराधिक मामलों की जांच करना। Supreme Court के Radhika Agarwal v. Union of India निर्णय में भी यह स्पष्ट किया गया कि वे Police Officers नहीं माने जा सकते। Customs Act, 1962 के तहत arrest के नियम यह निर्धारित करते हैं कि गैर-संज्ञेय (non-cognizable) अपराधों में मजिस्ट्रेट की अनुमति आवश्यक होती है, जबकि संज्ञेय (cognizable) मामलों में बिना वारंट गिरफ्तारी संभव है। 2011 के Om Prakash v. Union of India निर्णय में Supreme Court ने कहा कि सामान्य रूप से ये अपराध जमानती (bailable) होते हैं, लेकिन बाद के संशोधनों ने कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती (non-bailable) घोषित किया। GST Act, 2017 के तहत arrest की शक्ति Section 69 में दी गई है, जिसके अनुसार ₹2 करोड़ से अधिक की कर चोरी, फर्जी ITC या फर्जी इनवॉइस जारी करने के मामलों में गिरफ्तारी संभव है। ₹5 करोड़ से कम की कर चोरी पर जमानत मिल सकती है, लेकिन अधिक होने पर गैर-जमानती अपराध माना जाएगा। अंत में, कृष्ण ने बताया कि Revenue Officers को charge sheet दाखिल करने की अनुमति नहीं होती और उनकी भूमिका कर चोरी से जुड़े मामलों तक सीमित होती है। Supreme Court ने भी कई निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि वे Police Officers के समान नहीं हैं।

कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद अर्जुन और कृष्ण एकांत में चर्चा कर रहे थे। अर्जुन के मन में एक जिज्ञासा उत्पन्न हुई और उन्होंने कृष्ण से पूछा—

अर्जुन: “हे माधव! मैंने सुना है कि Revenue Officers को भी Police Officers की तरह arrest करने और investigation करने की शक्ति होती है। क्या यह सत्य है?”

कृष्ण: “हे पार्थ! यह अर्धसत्य है। Revenue Officers का कार्य केवल tax evasion की जाँच करना और compliance सुनिश्चित करना है, न कि police officers की तरह अपराधों की जाँच करना। Supreme Court ने अपने हालिया निर्णय Radhika Agarwal v. Union of India में स्पष्ट कर दिया कि Revenue Officers को Police Officers नहीं माना जा सकता।”

अर्जुन: “केशव! इसका क्या अर्थ है? क्या Revenue Officers किसी को arrest नहीं कर सकते?”

कृष्ण: “हे पार्थ! ऐसा नहीं है। Revenue Officers को Customs Act, 1962 और GST Act, 2017 के तहत कुछ विशेष powers दी गई हैं, लेकिन वे पूरी तरह से Police Officers की तरह कार्य नहीं कर सकते।

Customs Act में Arrest के नियम:

1. यदि अपराध non-cognizable है, तो बिना Magistrate की अनुमति के arrest नहीं किया जा सकता।

2. यदि अपराध cognizable है, तो वे बिना warrant के arrest कर सकते हैं।

3. हर arrest के लिए “reasons to believe” लिखित रूप में दर्ज करने होते हैं।

4. अपराधी को grounds of arrest बताने होते हैं, जैसे कि Article 22(1) और Section 50 of CrPC में कहा गया है।

“लेकिन, Revenue Officers को charge sheet दाखिल करने की अनुमति नहीं होती, जो कि Police Officers कर सकते हैं। इसलिए, वे police नहीं हैं।”

अर्जुन: “हे गोविंद! क्या Customs Officers किसी को बिना warrant के arrest कर सकते थे?”

कृष्ण: “हे पार्थ! पहले ऐसा ही होता था, लेकिन Supreme Court के Om Prakash v. Union of India (2011) के निर्णय ने स्थिति बदल दी। इस निर्णय में कहा गया कि Customs Act और Excise Act के तहत किए गए अपराध non-cognizable और bailable होंगे, जब तक कि कानून में विशेष रूप से cognizable और non-bailable न कहा गया हो।

बाद में सरकार ने Finance Act, 2012, Finance Act, 2013 और Finance Act, 2019 के जरिए Customs Act में संशोधन किया और कुछ गंभीर अपराधों को cognizable और non-bailable घोषित कर दिया।”

अब Section 104(4) of Customs Act के अनुसार, इन मामलों में arrest किया जा सकता है—

1. ₹50 लाख से अधिक की कर चोरी।

2. फर्जी ITC लेने की कोशिश।

3. ₹1 करोड़ से अधिक मूल्य के बिना घोषित import-export सामान।

“लेकिन, अन्य अपराध non-cognizable और bailable ही रहेंगे।”

अर्जुन: “हे माधव! अब मुझे Customs Act तो समझ आ गया, लेकिन GST Act में arrest का क्या प्रावधान है?”

कृष्ण: “हे पार्थ! GST Act में arrest का प्रावधान Section 69 में दिया गया है। लेकिन यह शक्ति सीमित और कुछ विशेष शर्तों के अधीन है। Commissioner को reason to believe होना चाहिए कि व्यक्ति ने कुछ गंभीर अपराध किए हैं, तभी वह arrest का आदेश दे सकता है।”

GST Act में Arrest के नियम:

1. ₹2 करोड़ से अधिक की कर चोरी हो।

2. गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC fraud) लिया गया हो।

3. फर्जी इनवॉइस जारी कर कर चोरी की गई हो।

4. ₹5 करोड़ से कम की कर चोरी पर bailable और ₹5 करोड़ से अधिक की कर चोरी पर non-bailable होगा।

5. व्यक्ति को grounds of arrest स्पष्ट रूप से बताने होंगे।

6. Section 69(3) के अनुसार, arrest के बाद व्यक्ति को जल्द से जल्द Magistrate के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।

7. व्यक्ति को अपने वकील से मिलने की अनुमति होगी (Section 41D of CrPC)।

अर्जुन: “हे गोविंद! क्या GST Officer बिना warrant के arrest कर सकता है?”

कृष्ण: “हे पार्थ! बिल्कुल नहीं। GST Act में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब तक कोई अपराध cognizable और non-bailable न हो, तब तक arrest करने के लिए warrant की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा, Supreme Court ने Arvind Kejriwal v. Directorate of Enforcement (2025) में कहा कि यदि arrest के पीछे उचित कानूनी आधार नहीं है, तो उसे चुनौती दी जा सकती है।

अर्जुन: “हे माधव! क्या anticipatory bail लेना संभव है?”

कृष्ण: “हे पार्थ! GST Act में anticipatory bail का कोई सीधा प्रावधान नहीं है, परंतु यदि कोई व्यक्ति महसूस करता है कि उसे गलत तरीके से arrest किया जा सकता है, तो वह High Court या Supreme Court में anticipatory bail के लिए आवेदन कर सकता है।”

अर्जुन: “हे केशव! क्या इसका अर्थ यह है कि Revenue Officers और Police Officers में बड़ा अंतर है?”

कृष्ण: “बिल्कुल पार्थ! Revenue Officers police officers नहीं होते क्योंकि—

1. वे किसी मामले की charge sheet दाखिल नहीं कर सकते।

2. वे अपराधियों को CrPC के तहत investigate नहीं कर सकते।

3. वे केवल tax evasion से संबंधित मामलों की जाँच कर सकते हैं।

“यही कारण है कि Supreme Court ने कई मामलों में स्पष्ट कर दिया है कि Revenue Officers को police officers नहीं माना जा सकता।”

अर्जुन: “हे माधव! इस संवाद से मेरी सारी शंकाएँ दूर हो गईं। अब मुझे यह स्पष्ट हो गया कि Customs Act और GST Act में arrest की क्या प्रक्रिया है और कैसे Supreme Court ने कानून को संतुलित बनाया है।”

कृष्ण: “हे पार्थ! विधि और न्याय का ज्ञान ही मोक्ष का द्वार है। जो सत्य को जानता है और धर्म के मार्ग पर चलता है, वही न्यायपूर्ण समाज की स्थापना कर सकता है।”

(इस प्रकार कृष्ण ने अर्जुन को विधिक प्रक्रियाओं का ज्ञान कराया और सत्य की ओर अग्रसर किया।)

*****

अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख श्रीकृष्ण की कृपा से कृष्ण-अर्जुन संवाद के रूप में केवल विधिक अवधारणाओं (Legal Concepts) को सरल शब्दों में समझाने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसका कोई अन्य प्रयोजन नहीं है। इस संवाद शैली का प्रयोग सामान्य जनमानस को जटिल विधिक विषयों को सहजता से समझाने हेतु किया गया है। इसमें किसी प्रकार की धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक या कानूनी व्याख्या का दावा नहीं किया जाता और न ही किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई उद्देश्य है। पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि इसे केवल शैक्षिक और जानकारीपूर्ण सामग्री के रूप में ही ग्रहण करें। यदि किसी विधिक समस्या से जुड़े निर्णय की आवश्यकता हो, तो किसी योग्य विधि विशेषज्ञ या अधिवक्ता से परामर्श अवश्य करें।

“श्रीकृष्ण की कृपा से ज्ञान की ज्योति सभी तक पहुँचे।”

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