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सारांश: जीएसटीएन ने 12 नवम्बर 2024 को एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें अक्टूबर 2024 से शुरू किए गए इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) के बारे में जानकारी दी गई है। इस प्रणाली के तहत, करदाता अपने जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-1A या आईएफएफ में अपलोड किए गए चालानों को स्वीकार, अस्वीकार या लंबित रख सकते हैं। इससे संबंधित ITC की उपलब्धता जीएसटीआर 2B में प्रभावित होगी, जो 14 नवम्बर 2024 को जनरेट होगा। यदि चालान अस्वीकार कर दिया जाता है, तो ITC प्राप्तकर्ता को जीएसटीआर 2B में उपलब्ध नहीं होगा। इसके अलावा, जीएसटीआर 3B में स्वचालित रूप से भरी गई जानकारी को करदाता संपादित कर सकते हैं। प्रारंभिक चरण में, यदि प्राप्तकर्ता कोई गलती करता है, तो वह अपने जीएसटीआर 2B में बदलाव कर सकता है। यह प्रणाली फिलहाल वैकल्पिक रूप से लागू की गई है, और जनवरी 2025 से हार्ड लॉकिंग सिस्टम लागू किया जाएगा, जिससे पूरी प्रक्रिया स्वचालित हो जाएगी। Read: Advisory on GST Invoice Management System (IMS) Phase 1

इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) के संबंध में जीएसटीइन द्वारा जारी एडवाइजरी की व्याख्या।

यह कि जीएसटीइन द्वारा 12 नवंबर 2024 को एक एडवाइजरी जारी की है, इस एडवाइजरी के द्वारा इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) के विभिन्न पहलुओं पर सलाह जारी की है, ताकि सनद रहे, कि जीएसटीएन ने अक्टूबर 2024 से इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS )जारी किया है, सभी करदाताओं ने अक्टूबर 2024 के लिए जीएसटी R1/जीएसटी 1A/ आईफ़फ़ (IFF)के अंतर्गत अपने इनवॉइस अपलोड किए  होंगे, दिनांक 14 नवंबर 2024 को जीएसटी 2B जेनरेट होगा इसके संबंध में करदाता द्वारा इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम(IMS )के अंतर्गत अपलोड इनवॉइस को स्वीकार/ अस्वीकार और पेंडिंग की व्यवस्था की गई है। जब परचेज़र अपने 2Bका मिलान करेगा, और उसी के आधार पर ITC क्लेम की जा सकती हैं?इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS) जीएसटी पोर्टल पर अक्टूबर 2024 से शुरू की गई एक वैकल्पिक सुविधा है, यह कि सप्लायर /आपूर्तिकर्ता द्वारा जीएसटीआर-1/1ए/आईएफएफ(IFF ) में सहेजे गए/प्रस्तुत किए गए इनवॉइस/रिकॉर्ड को प्राप्तकर्ता द्वारा स्वीकार, अस्वीकार या लंबित रखा जा सकता है। इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS)  पर प्राप्तकर्ता द्वारा की गई कार्रवाई के आधार पर, सिस्टम अगले महीने की 14 तारीख को प्राप्तकर्ता का जीएसटीआर 2बी तैयार करेगा।

यह कि करदाता अपने खातों से उचित सत्यापन के बाद इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS) पर इनवॉइस/रिकॉर्ड को स्वीकार/अस्वीकार/लंबित रख सकता है। अस्वीकृत रिकॉर्ड के लिए आईटीसी प्राप्तकर्ता को जीएसटीआर 2बी में उपलब्ध नहीं होगी। इसके अलावा जीएसटीआर 1/1ए में घोषित उसकी करदेयता और उसके जीएसटीआर 2बी में उपलब्ध कराए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के आधार पर पोर्टल पर करदाता की जीएसटीR 3बी में करदेयता और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC )स्वतः भर जायेगी। लेकिन करदाता वर्तमान में जीएसटीR 3बी दाखिल करने से पहले उसमें उक्त स्वतः भरे गए विवरण को संपादित/संशोधन कर सकते हैं।

यह कि इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS) पोर्टल पर शुरू की गई एक नई कार्य प्रणाली है, ऐसे  कुछ मामले हो सकते हैं जहां इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS) के कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में, प्राप्तकर्ता चालान/रिकॉर्ड के संबंध में इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS) पर कार्रवाई (जैसे स्वीकृति/अस्वीकृति/लंबित रखना) करते समय त्रुटि/गलती कर सकते है। चूंकि प्राप्तकर्ता का जीएसटीआर-2बी इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS)  पर प्राप्तकर्ता द्वारा की गई कार्रवाई के आधार पर पोर्टल पर तैयार किया जाएगा, इसलिए इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS) पर प्राप्तकर्ता द्वारा की गई कार्रवाई में कोई भी गलती प्राप्तकर्ता के जीएसटीआर-2बी में उपलब्ध/पात्र इनपुट टैक्स क्रेडिट(ITC )के गलत विवरण के रूप में सामने आ सकती है, जो पोर्टल पर उसके जीएसटीR-3बी में भी स्वतः भर जायेगी। तो ऐसे मामलों में, प्राप्तकर्ता किसी चालान/रिकॉर्ड के संबंध में इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS)  पर कार्रवाई को बदल सकता है।

एक उदाहरण से समझे – यदि किसी करदाता ने अस्वीकृत से स्वीकृत या इसके विपरीत और संबंधित कर अवधि के लिए GSTR-3B दाखिल करने तक किसी भी समय अपने GSTR-2B की पुनः गणना कर सकता है, ताकि उसके GSTR-3B में सही ITC स्वतः(ऑटो पॉपुलेट)के द्वारा भर जाएगा।

यह कि इस एडवाइजरी के अनुसार  अभी भी कुछ ऐसे मामले हो सकते हैं, जहाँ प्राप्तकर्ता इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS) पर की गई कार्रवाई को सही करने में सक्षम नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप प्राप्तकर्ता के GSTR-3B में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की गलत स्वतः(auto ) से भरण हो जाती है या संबंधित सप्लायर/आपूर्तिकर्ता के GSTR-3B में देयता की गलत स्वतः(Auto )भर सकती  है। इसलिए इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS)  के कार्यान्वयन के इस प्रारंभिक चरण के दौरान, करदाताओं को सलाह दी गई है कि ऐसे मामलों में, जहां इनवॉइस प्रबंधन प्रणाली (IMS)पर की गई कार्रवाई में किसी अनजाने में हुई गलती के कारण, यदि पोर्टल पर जीएसटीR-3बी में आईटीसी/ करदेयता का गलत विवरण स्वतः भर जाता है, तो करदाता अपना जीएसटीR-3बी रिटर्न दाखिल करने से पहले, अपने जीएसटीR -3बी में गलत तरीके से भरे गए आईटीसी/करदेयता को संपादित/संशोधन कर सकते हैं, ताकि उनकेपासउपलब्धदस्तावेजों/रिकॉर्ड के अनुसार सही तरीके से आईटीसी(ITC )का लाभ उठाया जा सके या तथ्यों के आधार पर सही करदेयता का भुगतान किया जा सके।

निष्कर्ष

यह कि उपरोक्त एडवाइजरी से स्पष्ट है कि जीएसटी विभाग जीएसटी के मूल सिद्धांत के अनुसार पोर्टल के माध्यम से लेखा पुस्तकों का सत्यापन डिजिटल  तरीके  से करना चाहता है। जैसा कि सभी करदाता /व्यापार ,उद्योग जगत तथा टैक्स प्रोफेशनल को विदित है ,कि जनवरी 2025 से हार्ड लॉकिंग सिस्टम भी शुरू किया जाएगा, जिसके द्वारा जीएसटी R1 ,जीएसटी-1A, और आईएफफ़ (IFF)अपलोड करने के पश्चात सभी करवाई  ऑटो पापुलेट होगी ,जिससे करदाता को सुविधा होगी। अतः करदाता और टैक्स प्रोफेशनल को जीएसटी में वर्तमान में दो नई प्रणाली से रूबरू होना होगा । यह कि इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS) को अभी वैकल्पिक रूप से प्रस्तुत किया गया है।

यह लेखक के निजी विचार हैं, जो जीएसटी पोर्टल द्वारा जारी एडवाइजरी के आधार पर लिखा गया है।

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मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक � View Full Profile

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