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आजकल, जीएसटी फॉर्म डीआरसी 03 में अन्य विकल्प पोर्टल पर उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें प्रथमत: ऑडिट से संबंधित भुगतान और दूसरे कारणों का उल्लेख करने वाले नोटिस (SCN) जारी होने के बाद स्वैच्छिक भुगतान के संबंध में है। हाल ही में किए गए यह परिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब जीएसटी फॉर्म डीआरसी 03 में सभी विषयों को घोषित किया गया है, जिससे जीएसटी वसूला जाएगा। इसके साथ ही, कई निर्णय उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए हैं, जिसके अनुसार DRC 03 में स्वैच्छिक भुगतान होने पर करदाता को अपील का अधिकार होगा। वर्तमान में पोर्टल पर हुए परिवर्तन से यह स्पष्ट है कि यदि धारा 73 या 74 में कारण बताओं नोटिस (SCN) जारी किया जाता है, तो इसके प्राथमिक रूप से 30 दिन की अवधि के भीतर DRC 01 के रूप में जारी किया जाता है। यदि DRC 01 के खिलाफ स्वैच्छिक भुगतान DRC 03 के द्वारा किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में करदाता का अपील का अधिकार समाप्त हो जाता है।

पहली शर्त किसी समय सीमा से बंधी नहीं है, जबकि दूसरी स्थिति में करदाता को इस बारे में कर अधिकारी को फॉर्म डीआरसी-03 के माध्यम से सूचित करना होगा, SCN जारी होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर।

दोनों मामलों में, करदाता को कर प्राप्त होने के बारे में कर अधिकारी द्वारा पावती प्राप्त होगी, जहाँ किसी ने स्वेच्छा से SCN जारी होने से पहले फॉर्म DRC 03 में कर, ब्याज या अन्य बकाया का भुगतान किया है। उस प्राथमिक अधिकारी करदाता को फॉर्म DRC-04 में पुष्टि की सूचना देगा, जब SCN के खिलाफ भुगतान किया जाता है, और कार्यवाही के बारे में निष्कर्ष का उल्लेख करते हुए फॉर्म DRC-05 करदाता को जारी किया जाएगा।

डीआरसी 03 में करदाता को कई विवरण भरने होंगे, जिनमें जीएसटीआईएन और नाम; भुगतान का कारण (स्वैच्छिक, एससीएन, आदि); वह धारा जिसके अंतर्गत भुगतान किया गया है (73 या 74, स्वैच्छिक भुगतान के लिए लागू नहीं); संदर्भ संख्या, यदि एससीएन SCN डीआरसी-01 या डीआरसी-02 में जारी किया गया है; वित्तीय वर्ष, कर अवधि और अधिनियम; तथा ब्याज, जुर्माना और अन्य सहित भुगतान विवरण।

इन अतिरिक्त विवरणों के भुगतान पर ब्याज भी देय होगा, “किसी भी देरी से भुगतान पर ब्याज देय होता है। इस ब्याज को अतिरिक्त कर भुगतान करते समय जमा किया जा सकता है।

डीआरसी-03 फॉर्म के लिए स्वैच्छिक और एससीएन भुगतान से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Question सुरक्षित भुगतान में डीआरसी 03 फॉर्म के लिए कौन सा फार्म जारी किया जाएगा 

Answer यदि कोई करता था शैक्षिक भुगतान में त्रिक 03 के द्वारा अपना भुगतान करता है तो प्रॉपर ऑफिसर को डीआरसी 04 फार्म करना चाहिए।

Question यदि किसी एससीएन के विरोध डीआरसी 03 जारी किया जाता है उसे स्थिति में प्रॉपर ऑफिसर कौन सा फार्म जारी करेगा 

Answer जब करदाता किसी एससीएनSCN के विरुद्ध डी आरसी 03 के अंतर्गत टैक्स और ब्याज जमा करेगा। उसस्थिति में प्रॉपर ऑफिसर को डीआरसी 05 में फार्म जारी करना होगा। 

Question यदि धारा 73 और 74 में एससीएन जारी किया जाता है उसे स्थिति में डीआरसी 03 के द्वारा टैक्स ब्याज और पेनाल्टी जमा की जाती है तो क्या अपील का अधिकार सुरक्षित रहता है 

Answer जी नहीं इस विषय में कई रेट डाली गई थी क्योंकि डीआरसी 03 प्रॉपर तरीके से तैयार नहीं था डीआरसी 03 सन 2020 से शुरू किया गया है जिसमें काफी त्रुटियां थी उन्हीं को ध्यान में रखते हुए जीएसटी विभाग द्वारा वर्तमान में डीआरसी 03 फॉर्म में काफी परिवर्तन कर दिया गया है जिसमें प्रमुख शर्त यदि स्वेच्छा से भुगतान कारण बताओं नोटिस SCN के विरुद्ध किया जाता है। तो आप अपील के अधिकारी नहीं होंगे।

NEW FORM GSTR 01A क्या है 

यह बताया जा रहा है कि 22 जून 2024 को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग प्रस्तावित की गई है। इस मीटिंग में जीएसटी को कैसे सरल बनाया जा सकता है, इस पर चर्चा होने की संभावना है। जीएसटी 2017 से लागू हुआ था, और इस संशोधन से पहली बार करदाताओं को मदद मिलेगी। जुलाई 2017 में जीएसटी अधिनियम के प्रारूप में जीएसटी आर 01A की प्रावधान थी। लेकिन जीएसटी पोर्टल की असफलता और कई संशोधनों के कारण, जीएसटी अधिनियम ने करदाताओं और व्यापार/उद्योग जगत को उलझा दिया है। प्रस्तावित मीटिंग में जीएसटी आर 01A पर चर्चा होनी चाहिए। हम उस विषय में जो मूल जीएसटी अधिनियम की अवधारणा थी, उसके प्रारूप पर प्रकाश डालते हैं। जीएसटी आर 01A एक ऐसा प्रावधान है जब किसी करदाता द्वारा जीएसटी आर-1 प्रत्येक माह की 11वीं तारीख तक दाखिल किया गया है, लेकिन किसी कारणवश त्रुटि हो जाने के कारण RECIPIENT को उसका आईटीसी नहीं मिल पाता। इस प्रकार की स्थिति में, जीएसटी आर 01 में इस प्रावधान का प्रावधान किया जाएगा कि अगर किसी सप्लायर द्वारा जीएसटी-R 1 में कोई त्रुटि है, तो वह जीएसटी R 3B दाखिल करने से पहले उस त्रुटि को जीएसटी आर 01 A के द्वारा सुधार सकता है, जिससे RECIPIENT को आईटीसी प्राप्त हो सके।

उपर्युक्त व्याख्या से स्पष्ट है कि जीएसटी विभाग व्यापार और उद्योग जगत को सभी तरफ से सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ कर वसूली के लिए भी बाध्य करना चाहता है। जैसे कि डीआरसी 03 में अन्य विषयों को शामिल करना है। यदि किसी करदाता ने त्रुटि के कारण किसी अन्य हेड में रकम जमा कर दी है, तो उस डिमांड रकम अपने स्थान पर रहेगी। करदाता को अपने लेजर से पुनः डीआरसी 03 करनी होगी, और जो डीआरसी 03 पहले में है, उसके रिफंड की मांग करनी होगी।

इसी तरह, जीएसटी 1 के सापेक्ष जीएसटी आर 01 A जिसकी संभावना आने की व्यक्त की जा रही है, उस विषय में भी जीएसटी विभाग उसे संशोधन को केवल उस माह तक सीमित कर सकता है जिसमें यह त्रुटि हुई है। यह धारा 37(3) के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि जीएसटी विभाग का उद्देश्य कर संग्रह करना है। अतः आने वाली मीटिंग से होने वाले निर्णय से ही इसका समाधान होगा, जिससे सभी करदाता और टैक्स प्रोफेशनल को आशा है।

यह लेखक के निजी विचार हैं

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