वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के तहत न्यायिक निर्णयों का महत्वपूर्ण विषय पर यह लेख है। इसमें हम रिफंड नियम 89(2) के लिए अर्हता, जीएसटी आरफडी, और अन्य न्यायिक निर्णयों का विश्लेषण करेंगे।
1. रिफंड नियम 89(2) के लिए अर्हता
यदि किसी करदाता ने अनयूज़्ड आईटीसी के लिए रिफंड आवेदन आरएफडी 01 में अप्लाई किया है। तथा नियम 89(2) में घोषित सभी दस्तावेज संलग्न है। तो संबंधित प्रॉपर ऑफिसर को यदि अन्य दस्तावेज या शंका का निवारण करना है। तो उसे फॉर्म जीएसटी आरएफडी 08 में नोटिस जारी करना होगा।
नियम 90(3) यदि रिफंड आवेदन आरएफडी 01 फॉर्म में तैयार किया गया और नियम 89(3 )में घोषित दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया गया तो इसे पूर्ण प्रार्थना पत्र माना जाएगा।
नियम 90(5) यदि उचित अधिकारी को लगता है कि प्रस्तुत दस्तावेजों में विसंगति है क्या रिफंड के दावे को सत्यापित करने के लिए अन्य डॉक्यूमेंट की आवश्यकता है तो वह फॉर्म जीएसटी आरएफडी 08 में नोटिस जारी करेगा।
2.जीएसटी आर 3B रेक्टिफिकेशन लागू किया जा सकता है?
केरल हाई कोर्ट रिट पिटीशन 41219ऑफ 2023/8/12/2023
विषय
क्या रिट पिटीशन करने वाले करदाता को सीजीएसटी /एसजीएसटी अधिनियम 2017 के अंतर्गत जीएसटीR 3b में गलती को सुधारने और आईजीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट को एसजीएसटी और सीजीएसटी आईटीसी में समायोजित करने की अनुमति दी जा सकती है?
तथ्य
याचिकाकर्ता द्वारा सीजीएसटी /एसजीएसटी अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत करदाता है ।याचिका कर्ता ने गलती से आईजीएसटी के रूप में आईटीसी का लेखांकन कर दिया ।जबकि उसे सीजी एसटी और एसजीएसटी क्रेडिट के अंतर्गत करना था ।याचिका कर्ता ने गलती को सुधारने के लिए एक निवेदन प्रस्तुत किया ।
निर्णय
माननीय न्यायालय ने माना की याचिका कर्ता को जीएसटी आर 3b में सुधार करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
3 सेक्शन 75(4) के लिए
विषय
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 75(4 (के अंतर्गत कर निर्धारण प्रतिकूल आदेश पारित करने से पूर्व टैक्स या पेनल्टी के लिए उत्तरदाई व्यक्ति द्वारा विशिष्ट अनुरोध ना किए जाने पर भी प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना आवश्यक है?
तथ्य
याचिका कर्ता ने कर निर्धारण आदेश को चुनौती दी जिसमें उसके द्वारा दावा किया गया। कि उन्हें सुनवाई का उचित अवसर प्रदान नहीं किया गया।
निर्णय
माननीय उच्च न्यायालय ने जीएसटी अधिनियम की धारा 75(4 )का हवाला देते हुए सुनवाई का अवसर देना एक अनिवार्य आवश्यकता है ।भले ही टैक्स या पेनल्टी जिस व्यक्ति पर लगाई जानी। उसने सुनवाई हेतु कोई विशेष अनुरोध न किया हो।
4 सेक्शन 73 के लिए समय
रेमंड लिमिटेड वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया और अदर रिट पिटीशन नंबर 26693/ 2022 निर्णय दिनांक 20 नवंबर 2023
विषय
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 73 के अंतर्गत कारण बताओं नोटिस /सूचना पत्र में याची को जवाब देने के लिए कम से कम 30 दिन का समय दिया जाना आवश्यक है ?सूचना पत्र में याची को उचित अवसर देते हुए सामग्री का विवरण भी उपलब्ध किया जाना चाहिए?
निर्णय
माननीय उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश ने वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 73 के अंतर्गत जारी किए गए कारण बताओं नोटिस/ सूचना पत्र में पर्याप्त समय और उचित सामग्री का विवरण उपलब्ध किया जाना चाहिए ।तभी करदाता अपना जवाब दाखिल कर सकेगा
उपरोक्त वाद में जीएसटी विभाग द्वारा धारा 73 के अंतर्गत 3/9/2022 को नोटिस जारी किया और दिनांक 12-9- 2022 को मांग का आदेश पारित कर दिया। जिसे माननीय न्यायालय ने निरस्त कर दिया और उन्हें नया नोटिस जारी करने का आदेश दिया। उचित समय अवधि और सामग्री का उल्लेख करने के आदेश पारित किया।
5. सेक्शन 129(3) के लिए समय
विषय
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत धारा 129(3) नोटिस जारी करने की समय अवधि की व्याख्या।
तथ्य
याची द्वारा फॉर्म जीएसटी mov 07 जारी किए गए ।नोटिस पर अपना दावा प्रस्तुत करते हुए उसे चुनौती दी गई। कि वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 129(3) के अंतर्गत निर्धारित समय सीमा के बाद जारी किया गया है। धारा 129(3 )स्पष्ट करती है। कि नोटिस जब्ती के 7 दिनों की भीतर जारी किया जाना चाहिए। जबकि जीएसटी अधिकारियों द्वारा नोटिस समय अवधि के बाद जारी किया है।
निर्णय
माननीय उच्च न्यायालय ने वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 129(3) के अंतर्गत नोटिस माल/ परिवहन के रोक/ जब्ती के सात 7दिन के भीतर जारी किया जाना चाहिए था। 7 दिन की अवधि की गणना जब्ती की तारीख से की जाती है ।नहीं कि अगले दिन से धारा 129 (3) की भाषाअस्पष्ट और असंदिग्ध है। इस प्रकार माननीय उच्च न्यायालय ने जारी नोटिस को रद्द किया और जब्त किए गए सामान /वाहन को रिहा करने का आदेश जारी किया। न्यायालय ने रेस्पॉन्डिंग को अधिनियम के अन्य प्रावधानों के अंतर्गत यदि कोई करवाई है ।उसके अधिकार को यथावत रखा।
6. नियम 25 के लिए कारण बताओं नोटिस
विषय
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के नियम 25 के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन के रद्दीकरण के लिए सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए?
तथ्य
याची ने अपने जीएसटी रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने के खिलाफ याचिका दायर की तथा उचित अधिकारी ने याची के पंजीकृत पते पर एक निरीक्षण के दौरान उन्हें ना मिलने के कारण उनका जीएसटी पंजीकरण निरस्त कर दिया गया।
याची ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि पंजीयन निरस्तीकरण का आदेश स्वीकार योग्य नहीं है। क्योंकि इसमें उन्हें सुनवाई के लिए ,उपस्थित होने के लिए, उचित तारीख या समय नहीं दिया गया। पंजीयन रद्दी करण करने का कोई उचित आधार नहीं बताया गया। केवल कारण बताओं नोटिस के जवाब नहीं देने के कथित तौर पर वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के नियम 25 का उल्लंघन मानते हुए निरस्तीकरण आदेश जारी किया गया है।
निर्णय
माननीय उच्च न्यायालय दिल्ली ने माना कि पंजीयन रद्दीकरण के आदेश में उचित सुनवाई के अवसर, निरस्त करने के कारण का अभाव था। कारण बताओं नोटिस की वैधता के बारे में याचिका कर्ता की आपत्ति का भी समाधान नहीं किया गया ।इस आधार पर न्यायालय ने पंजीयन रद्दीकरण के आदेश को रद्द कर दिया और माननीय न्यायालय ने याचिका कर्ता को दो सप्ताह के भीतर अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति दी ।ताकि वह साबित कर सके कि वह पंजीकृत पते से ही काम करता है ।आवेदन पर विचार करने के बाद उचित अधिकारी दो सप्ताह के भीतर एक स्पीकिंग आदेश पारित करें। परिणाम स्वरूप वाद को पुनर्विचार हेतु प्रॉपर ऑफिसर के पास वापस भेज दिया गया।
लेखक का मत
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम में जैसे-जैसे विवाद कायम हो रहे हैं ।उसी के सापेक्ष न्यायिक निर्णय से स्थिति साफ होती जा रही है ।कि यदि कोई भी वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम में गलती करेगा। तो उसे उसका दंड भोगना होगा।
यह लेखक के निजी विचार है।