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जीएसटी रिफंड की सीमा मूल आवेदन की तारीख से निर्धारित होती है, अनुवर्ती आवेदन की तारीख से नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट(J K & LADAKH HIGH COURT)ने कमी नोटिस (RFD 03)को खारिज किया ।जम्मू -कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट(J K & LADAKH HIGH COURT)ने कहा है कि जीएसटी रिफंड की समय-सीमा का निर्धारण करदाता द्वारा मूल आवेदन दाखिल करने की तिथि से किया जाएगा, न कि अनुवर्ती आवेदन की तिथि से।

(संदर्भ हॉलमार्क बनाम जम्मू और कश्मीर जीएसटी विभाग और अन्य। रिट पिटीशन सी संख्या 2025/2020)

उपरोक्त मामले से हम रिफंड पर यह लेख प्रस्तुत कर रहे है, याचिकाकर्ता, जो एक रेडीमेड गारमेंट्स का निर्माता है। विभाग द्वारा एक कमी का नोटिस (RFD 03) जारी किया गया था और अनुवर्ती आवेदन, जो उसने विभाग की सलाह पर जीएसटी रिफंड के लिए दायर किया था, को समय समाप्त होने के कारण खारिज कर दिया गया था।यह ध्यान देने योग्य है कि अतिरिक्त भुगतान किए गए कर की वापसी की मांग करने वाला मूल आवेदन केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 54 के तहत निर्धारित सीमा के भीतर दायर किया गया था।

धारा 54(1) की परिभाषा निम्न प्रकार हैं –

54(1) Any person claiming refund of any tax and interest, if any, paid on such tax or any other amount paid by him, may make an application before the expiry of two years from the relevant date in such form and manner as may be prescribed: Provided that a registered person, claiming refund of any balance in the electronic cash ledger in accordance with the provisions of sub-section (6) of section 49, may claim such refund in the return furnished under section 39 in such manner as may be prescribed.

धारा 54 में यह प्रावधान है कि रिफंड आवेदन दाखिल करने की समय-सीमा प्रासंगिक तिथि से दो वर्ष है।

उपरोक्त मामले में, याचिकाकर्ता ने 09 सितंबर, 2018 को अंतिम जीएसटी रिटर्न दाखिल किया था। इसलिए, कर वापसी के लिए आवेदन संबंधित तिथि से दो वर्ष की समाप्ति से पहले, यानी 19 सितंबर, 2020 तक दायर किया जाना था।

याचिकाकर्ता ने 08 सितंबर, 2020 को रिफंड के लिए जीएसटी नियम 2017 के नियम 89 के तहत एक आवेदन(RFD 01)दायर किया। आवेदन को जनवरी, फरवरी, मार्च, जून, जुलाई और अगस्त, 2018 के रिटर्न के साथ-साथ सीए के प्रमाण पत्र द्वारा समर्थित किया गया था।

यह कि 23 सितंबर, 2020 को विभाग ने जीएसटी नियमों के नियम 90(3) के तहत एक कमी का नोटिस (RFD 03)जारी किया, जिसमें सहायक दस्तावेजों की मांग की गई। और याचिकाकर्ता को कमियों को दूर करने के बाद एक नया रिफंड आवेदन दायर करने की भी सलाह दी।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने 28 सितंबर, 2020 को एक नया रिफंड आवेदन(RFD 01)दायर किया। हालांकि, इसे सीमा के आधार(दो वर्ष की सीमा)पर खारिज कर दिया गया।

हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि धन वापसी की समय सीमा मूल आवेदन की तारीख (08 सितंबर, 2020) से निर्धारित की जानी चाहिए, न कि अनुवर्ती आवेदन से, क्योंकि अनुवर्ती आवेदन मूल कार्यवाही का एक हिस्सा था।

निर्णय मे कहा गया है जब प्रतिवादियों ने दिनांक 08.09.2020 के मूल आवेदन को प्रासंगिक तिथि से समय के भीतर मान लिया था, तो फिर दिनांक 28.09.2020 का दूसरा आवेदन, जो कि दिनांक 08.09.2020 के मूल आवेदन के क्रम में था और केवल प्रतिवादी संख्या 2 की सलाह पर दायर किया गया था, समय सीमा से वर्जित कैसे हो गया। रिट पिटीशन में नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य (2023) का हवाला दिया गया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54(1) के अनुसार, सीमा अवधि समाप्त हो जाएगी, भले ही सक्षम अधिकारी को यह संतुष्टि करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेजों या सामग्रियों की आवश्यकता हो कि दावा किया गया रिफंड याचिकाकर्ता को मिलना चाहिए।

इसी तरह भारत संचार निगम लिमिटेड बनाम भारत संघ एवं अन्य (2023) में, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने माना कि केवल इसलिए कि कमी का नोटिस जारी करने के माध्यम से कुछ अन्य दस्तावेज या स्पष्टीकरण मांगे गए हैं, यह करदाता द्वारा आवेदन को अस्वीकृत नहीं मान लेगा।

माननीय हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना दावे को खारिज करने के लिए राजस्व विभाग की भी आलोचना की और राजस्व विभाग पर जुर्माना लगाया। न्यायालय ने कहा,नियम 92(3) में स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि आवेदक को सुनवाई का अवसर दिए बिना रिफंड के लिए कोई भी आवेदन खारिज नहीं किया जाएगा। इसलिए, केवल इसी आधार पर विवादित कमी ज्नोटिस को रद्द करने की आवश्यकता है । याचिकाकर्ता कंपनी द्वारा भुगतान किए गए अतिरिक्त कर की राशि को गलत तरीके से रोके रखने के लिए जीएसटी विभाग पर 30,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।अंत में, न्यायालय ने याचिकाकर्ता की रिट याचिका स्वीकार कर ली और सहायक आयुक्त (जीएसटी) द्वारा जारी कमी ज्ञापन (RFD 03)को रद्द कर दिया।जम्मू-कश्मीर जीएसटी विभाग, विशेष रूप से सहायक आयुक्त (जीएसटी) को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता के जीएसटी रिफंड को संसाधित करें और उसे 7% की दर से ब्याज के साथ जारी करें, जिस तारीख से यह याचिकाकर्ता के लिए बकाया है, अंतिम वसूली की तारीख तक।

जीएसटी में रिफंड के आधार का विवरण नीचे प्रस्तुत –

जीएसटी रिफंड का दावा करने का कारण प्रासंगिक तिथि
वस्तुओं या सेवाओं का निर्यात प्रेषण/लोडिंग/सीमा पार करने की तिथि
 निर्यात वह तिथि जिस दिन ऐसे कथित निर्यात से संबंधित रिटर्न दाखिल किया जाता है
भुगतान से पहले सेवाओं का निर्यात या तो परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा की प्राप्ति की तिथि या भारतीय रुपए की प्राप्ति की तिथि, यदि आरबीआई द्वारा अनुमति दी गई हो।
आईटीसी तब संचित होती है जब आउटपुट कर-मुक्त या शून्य-रेटेड होता है धारा 39 के अंतर्गत उस अवधि के लिए रिटर्न दाखिल करने की तिथि जिसमें रिफंड के लिए विशेष दावा उत्पन्न होता है
अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देना अंतिम मूल्यांकन के बाद कर समायोजित करने की तिथि
आपूर्तिकर्ता के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा धन वापसी का दावा ऐसे व्यक्ति द्वारा माल/सेवा प्राप्त करने की तिथि
अपीलीय प्राधिकारी, अपीलीय न्यायाधिकरण या न्यायालय द्वारा करदाता के पक्ष में आदेश जारी किया जाता है निर्णय/आदेश या निर्देश के संप्रेषण की तिथि।
कोई अन्य मामला कर भुगतान की तिथि
NOTE-इलेक्ट्रॉनिकनकद खाता बही में किसी भी शेष राशि की वापसी का दावा करने वाले पंजीकृत व्यक्ति धारा 49(6) के तहत निर्धारित प्रपत्र और तरीके से ऐसी वापसी का दावा कर सकते हैं। ————————-

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख से स्पष्ट है कि जीएसटी अधिनियम 2017 में रिफंड के विषय में धारा 54(1) में रिफंड अप्लाई करने की अवधि 2 वर्ष निर्धारित की गई है ।इसमें करदाता 2 वर्ष में रिफंड प्रार्थना पत्र RFD 01 का प्रार्थना पत्र दे सकता है। लेखक के अनुसार दो वर्ष में रिफंड का प्रार्थना पत्र RFD 01 दाखिल किया जा सकता है ।लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं है कि 2 वर्ष के बाद वह अपना रिफंड क्लेम नहीं कर सकता? जब सरकार अपनी देनदारी सुनिश्चित करती है उसी प्रकार करदाता रिफंड के लिए भी समय अवधि नहीं होनी चाहिए ।आशा करता हूं कि इस लेख से टैक्स प्रोफेशनल को काफी लाभ होगा ।

यह लेखक के निजी विचार हैं ।

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मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक � View Full Profile

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