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Ease Of Doing Business – अर्थात ‘व्यवसाय करने में सरलता’  पिछले कुछ वर्षों से विषय अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं मध्यप्रदेश राज्य के स्तर पर एक महत्वपूर्ण चर्चा के बिंदु के रूप में छाया हुआ है | ‘मेक इन इंडिया’ जैसे आंदोलनों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशो में समूहों में भारत एक नए इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है , ठीक उसी तरह मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने भी व्यापर और वाणिज्य क्षेत्र में भारत अग्रणी राज्य बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है | भू राजस्व संहिता (संशोधन) एक्ट 2018 मध्यप्रदेश में लागू होना भी राज्य सरकार की Ease Of Doing Business – अर्थात ‘व्यवसाय करने में सरलता’ सम्बंधित ऐसा ही एक महत्वपूर्ण प्रयास है |

अर्थशास्त्र की भाषा में समझें तो उत्पादन के तीन प्रमुख साधन है – जमीन, मानव संसाधन एवं पूंजी | आजादी के पश्चात से ही जमीन और जमीन से जुड़े मामलों की पेचदगी और कागजी कार्यवाही इतनी जटिल रही है कि नए उद्योग स्थापित करने में कई बार विलम्ब जमीन सम्बंधित प्रक्रिया के समय में पूर्ण न होने के कारण मात्र से भी हुए हैं  | राजस्व से जुडी हुई विभिन्न अनुमतियों में सबसे महत्वपूर्ण अनुमति – लैंड यूज़ डायवर्सन / व्यपवर्तन सम्बंधित अनुमति रही है एवं कई उद्योगपतियों के पुराने अनुभवों को माने तो पूर्व में मध्यप्रदेश में विभिन्न मामलो में ये अनुमति लेने में ही ०१ साल से भी अधिक का समय लगा है |

Madhya Pradesh - Change Land Use on Self-assessment basis (Hindi Article)

औद्योगिक इकाई  चालू करने हेतु निर्माण कार्य सम्बंधित अनुमतियों एवं इस हेतु किसी भी तरह का ऋण प्राप्त करने में लैंड यूज़ डायवर्सन / व्यपवर्तन अनुमति होना आवश्यक है | इसी पहलु को ध्यान में रखते हुए एवं औद्योगिक संगठनो से प्राप्त फीडबैक के आधार पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भू राजस्व संहिता (संशोधन) एक्ट 2018 प्रस्तुत किया गया , जिसके लागू होने से लैंड यूज़ डायवर्सन / व्यपवर्तन की प्रक्रिया अत्यंत आसान हो गई है एवं स्व-निर्धारण तथा स्व-घोषणा के आधार पर भू स्वामी स्वयं ही ऑनलाइन इस प्रक्रिया को पूर्ण कर सकता है | 27 जुलाई 2018 से यह संशोधन एक्ट लागू हो चूका है |

अब भू स्वामी जमीन की गाइडलाइन वैल्यू के  आधार पर प्रीमियम (वन टाइम दी जाने वाली राशि) और सालाना लीज दर की गणना कर जमीन के लिए स्वीकृत भूमि उपयोग के हिसाब से डायवर्शन खुद कर सकने में सक्षम है | भू स्वामी को गणना कर राशि चालान के माध्यम से ऑनलाइन जमा कराना होगी और इसकी पावती को ही डायवर्शन आदेश माना जाएगा। अर्थात अब मध्य प्रदेश में पृथक से डायवर्सन आदेश प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है | मध्यप्रदेश शासन द्वारा लाये गए इस क्रान्तिकारी परिवर्तन के फलस्वरूप औद्योगिक इकाइयों को व्यवसाय प्रारम्भ करने में निश्चित ही सुलभता होगी और समय की बचत होगी | साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को भी इस से फायदा होगा | कॉलोनाइजर / बिल्डर आवासीय, व्यावसायिक उपयोग भवन बनाने के लिए जमीन का डायवर्शन तत्काल खुद कर सकेंगे। यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि भू स्वामी को उक्त प्रक्रिया के अनुसार शुल्क की गणना और पेमेंट करने के पश्चात सम्बंधित SDO को इस डायवर्शन की लिखित में सुचना देनी होगी | इस लिखित में दी गई सुचना की तारीख से जमीन डाइवर्ट / व्यवपवर्तित मानी जाएगी |

यहाँ ध्यान देने योग्य बात ये है कि उक्त प्रक्रिया के द्वारा प्राप्त की गई अनुमति तब ही वैध मानी जाएगी, जब भू स्वामी द्वारा आवेदन में जो लैंड यूज़ (आवासीय, औद्योगिक / व्यसायिक आदि ) चाहा गया है , वह शासन द्वारा  तय किये गए लैंडयूज के अनुसार ही हो | इस हेतु क्षेत्र के एसडीओ / सक्षम अधिकारी को निर्णय हेतु अधिकार दिए गए है | साथ ही सक्षम अधिकारी भू-स्वामी द्वारा भरे गए शुल्क में भी कमी / अधिकता की गणना करके आवेदक को सूचित करेंगे |

सबसे बड़े फायदों में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि अब ऑनलाइन आवेदन और शुल्क भरने के बाद, पृथक से डायवर्सन आदेश के लिए भू-स्वामी को भटकना नहीं पड़ेगा और शुल्क भुगतान की पावती को ही डायवर्शन आदेश माना जाएगा | बैंक द्वारा भी ऋण स्वीकृत किये जाने के लिए अलग से डायवर्शन आदेश नहीं माँगा जायेगा | भू राजस्व संहिता (संशोधन) एक्ट 2018 के लागू होने के पश्चात भी राज्य के कई जिलों में बैंको द्वारा पृथक से डायवर्शन आदेश माँगा जा रहा था | इस सम्बन्ध में मध्य प्रदेश शासन (संस्थागत वित्त विभाग ) द्वारा अलग से एक पात्र दिनांक 16 जुलाई, 2021 को जारी किया गया है जिसमे राज्य में कार्यरत सभी बैंक / वित्तीय संस्थानों को निर्देशित किया गया है की भू राजस्व संहिता (संशोधन) एक्ट 2018 के अंतर्गत धारा 59 के अधीन भू-स्वामी द्वारा शुल्क भुगतान की पावती को ही डायवर्शन आदेश माना जाए (अलग से आदेश की मांग न की जाए ) एवं जिसकी पुष्टि हेतु खसरा नक़ल के कॉलम -4  एवं 12 में दर्ज प्रविष्टि के अनुसार बैंक स्वयं भूमि के व्यपवर्तित होने का निर्धारण कर सकते हैं |

Ease Of Doing Business – अर्थात ‘व्यवसाय करने में सरलता’  के क्षेत्र में ये कदम निश्चित ही मददगार साबित होगा , वहीँ हमेशा कुछ बेहतर करने की चाह में लगे हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अगले चरण में ‘स्टार्ट योर बिज़नेस इन 30 डेज’ की घोषणा   करते हुए उद्योग और व्यवसाय को फिर से एक नई सौगात देने की योजना बनाई है |

निसंदेह इस तरह की क्रांतिकारी पहलों के प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से मध्यप्रदेश देश के औद्योगिक नक़्शे पर स्वयं को मोस्ट फेवर्ड स्टेट के तौर पर स्थापित करने के मिशन पर निकल पड़ा है |

(लेखकआर्थिक सलाहकार है एवं इंक्लूसिव ग्रोथ फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य है |  पूर्व में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में सहायक उपाध्यक्ष के पद पर कार्य कर चुके है एवं  वर्तमान में ईफ़ॉलोजिक कंसल्टेंसी, इंदौर में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं | ये लेखक के निजी विचार हैं,  इस लेख के सम्बन्ध में सुझाव, विचार लेखक के ईमेल आई डी prakalp@effologic.in  पर भेजें जा सकते हैं |)

Author Bio

Empowering MSMEs | Project Finance Expert | SME Finance Expert | Infra &; PPP Expert| www.effologic.in Professional with over 14 years of extensive experience in Finance and Banking with expertise in areas such as PPP, Project Finance, Infrastructure Finance, Asset Reconstruction, Credit View Full Profile

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