जब भी कहीं आयकर रेड पड़ती है तो सीए पैशेवरो को शक के दायरे में लाना दुर्भाग्यपूर्ण है. व्यापारी कमाता है, कर चोरी करता है, काले को सफेद भी बनाता है और टैक्स पेनल्टी भी वो ही भरता है लेकिन पैशेवर द्वारा उनका साथ देना या मदद करना पैशे को दागदार करता है.
सीए पैशेवर को एक तटस्थ की भुमिका निभानी है. उसका काम सिर्फ कानून के अनुपालन पर रिपोर्टिंग होना चाहिए. जो भी खामियां हैं वह आडिट रिपोर्ट का हिस्सा होना चाहिए. उसे सिर्फ कानून का साथ देना है और चाहे सरकार हो या व्यापारी किसी के भी पक्ष विपक्ष में बात नहीं करनी है.
हाल में हुई झारखंड में एक बड़ी आयकर रेड ने पैशेवर की भुमिका पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.
चार नवंबर, 2022 के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के बयान के अनुसार, तलाशी अभियान में यह पता चला कि:
१. सिविल अनुबंधों में लगे समूहों में से एक नियमित खाता बही का रख-रखाव नहीं कर रहा था.
२. समूह वर्ष के अंत में एकमुश्त कच्चे माल/उप-अनुबंध व्यय की खरीद के गैर-वास्तविक लेनदेन में प्रवेश करके अपने खर्चों को बढ़ा रहा है.
३. जब्त किए गए साक्ष्य से यह भी पता चलता है कि नगद में अनुचित भुगतान अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए किया गया था.
४. सीबीडीटी के बयान में कहा गया है कि कोयला व्यापार/लौह अयस्क की निकासी आदि में लगे दूसरे समूह के मामले में लौह अयस्क का बेहिसाब स्टॉक पाया गया है, जिसकी मात्रा अभी निर्धारित नहीं की जा सकी है.
५. उक्त समूह ने अपने शेल कंपनियों के माध्यम से लेन-देन करके इसे पेश किया है.
६. बयान में कहा गया है कि इस समूह से जुड़े पेशेवरों ने स्वीकार किया कि उन्होंने किसी भी सहायक दस्तावेज को सत्यापित नहीं किया था और समूह के अकाउंटेंट द्वारा तैयार की गई ऑडिट रिपोर्ट पर बिना उचित परिश्रम के हस्ताक्षर किए थे.
उपरोक्त तथ्य साफ दर्शाते हैं कि सीए पैशेवर अपने पैशे के साथ इन मुद्दों पर समझौता कर गलत चीजों में व्यापारी की मदद कर रहे हैं:
१. बिना किताबें सत्यापन किए खातों को सही मान लेना.
२. स्टाक का भौतिक सत्यापन नहीं किया जाता और यह भी सुनिश्चित नहीं किया जाता कि स्टाक रिकॉर्ड सही तरीके से बनें है कि नहीं और न ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यापारी द्वारा स्टाक का भौतिक सत्यापन समयानुसार किया जाता कि नहीं.
३. मुखौटा कंपनियां बनाने में मदद करना ताकि व्यापारी अपना फर्जी लेनदेन कर सकें और काले धन को सफेद करने में मदद करना एवं इन कंपनियों का आडिट भी करना.
४. साल भर का सारा खर्च एक एन्ट्री के माध्यम से साल के अंत में डलवाना और उसका आडिट करना.
५. कैश की एंट्री का उपयोग सिर्फ और सिर्फ सिर्फ खर्च डालने के लिए करना.
६. बेनामी संपत्ति और कैश की अकाउंटिंग में मदद करना.
पैशेवर के इन सभी कामों में लिप्त होने के पर्याप्त सबूत आयकर रेड के दौरान पाए जाते हैं और रेड में भी मुख्यता यही निम्नलिखित खामियां मिलती है:
१. झारखंड में 100 करोड़ की अघाेषित संपत्ति का पता चला
२. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को झारखंड समेत पटना, कोलकाता और गुरुग्राम समेत 50 से अधिक ठिकानों पर छापामारी करने के दौरान 100 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति का पता चला है.
३. IT रेड में दो करोड नगदी समेत काफी मात्रा में दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी मिले हैं.
४. इनकम टैक्स विभाग को झारखंड के रांची, जमशेदपुर, चाईबासा, दुमका, गोड्डा, बेरमो समेत 50 से अधिक जगहों पर छापेमारी और जब्ती कार्रवाई के दौरान 100 करोड़ रुपये से अधिक के बेहिसाब लेनदेन का पता चला है. इस दौरान दो करोड़ नगदी जब्त करने के साथ-साथ 16 बैंक लॉकर्स को भी बरामद किया गया.
५. तलाशी अभियान में काफी मात्रा में द्स्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी मिले हैं.
६. चार नवंबर, 2022 को कोयला व्यापार से जुड़े कारोबारियों के अलावा परिवहन, सिविल अनुबंधन के निष्पादन, लौह अयस्क की निकासी और स्पंज आयरन के उत्पादन में लगे व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर छापामारी की गयी थी.
७. इस दौरान राजनीति से जुड़े दो लोग समेत उनके सहयोगियों के यहां भी छापामारी की गयी थी.
८. इस साक्ष्य के आधार पर यह जानकारी मिली कि इन समूहों ने कर चोरी के लिए विभिन्न तरीके का इस्तेमाल किया है.
९. तलाशी के दौरान यह भी पता चला कि अचल संपत्तियों में भी निवेश किया गया है.
पैशे की संवेदनशीलता और इसकी नैतिकता देखते हुए पैशेवर को इन कार्यों में विशेष ध्यान देना चाहिए:
१. किताबों में की गई एन्ट्री का सत्यापन करना चाहिए.
२. जो रिकॉर्ड पेश किया गया उसके आधार पर अपनी रिपोर्टिंग करनी चाहिए और जहां तक हो सके फ़िक्स्ड असेट और स्टाक का भौतिक सत्यापन करना चाहिए.
३. आडिट और अकाउंटिंग नियमों के अनुसार आडिट की कार्यवाही करनी चाहिए.
४. आयकर, जीएसटी एवं अन्य कानूनों के अनुपालन पर रिपोर्टिंग करनी चाहिए.
५. रिलेटेड पार्टी लेनदेन पर संवेदनशीलता से सत्यापन करना चाहिए.
६. फर्जी कंपनी या फर्जी एन्ट्री में किसी भी प्रकार से व्यापारी की मदद नहीं करना चाहिए.
७. आडिट और अकाउंटिंग एक विश्वास का काम है और हर हाल में इसकी विश्वसनीयता बनाई रखने पर ध्यान देना होगा.
साफ है हम पैशेवर पर उंगली नहीं उठनी चाहिए. व्यापारी चाहे कर चोरी करें या घपला पर विभाग द्वारा आडिट या अकाउंटिंग पर प्रश्न चिन्ह लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे दूर करना हम पैशेवर के हाथ में ही है.
सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५