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जीएसटी में आयात निर्यात की व्याख्या 

गुड्स के निर्यात का अर्थ IGST Act 2017 की धारा 2(5) grammatical variations and cognate means भारत के (सम्मतीय और समुद्री सीमा) से बाहर ले जाने का अर्थ है। गुड्स के निर्यात को “Zero Rated Supply माना जायेगा।

सेवाओं के निर्यात का अर्थ IGST Act 2017 की धारा 2(6) के अनुसार किसी भी सेवा की supply जब:-

1. सेवा का सप्लायर भारत में हो।

2. सेवा recipient भारत के बाहर हो ।

3. सेवा की सप्लाई भारत के बाहर हो।

Zero Rated Supply 

जीरो रेटेड सप्लाई का अर्थ -IGST Act की धारा 16के अनुसार 

1. (a)Goods/ Service/ दोनो का निर्यात or

(b) किसी विशेष आर्थिक जोन/किसी विशेष आर्थिक विकास कर्ता को गुड्स/सर्विस या दोनों की सप्लाई करे।

2. CGST एक्ट की धारा 17(5) के उपबंध लागू नहीं होते हैं।

3. निर्यात करने वाला कोई registered person CGST Act की धारा 54के उपबंध में निम्न कारण से रिफंड पाने का अधिकारी होगा _(

a) IGST Tax बिना चार्ज किए ऐसी शर्त/प्रकिया जो Bond/ Letter of Undertaking (LUT) goods/ services/दोनो का निर्यात करता है तो भी रिफंड पाने का अधिकारी होगा। उदाहरण Mr.X goods का export करता है।with out Payment of IGST Tax

माना ₹ 500000 की purchase पर जीएसटी @18%₹ 90000 इस goods ₹10,00,000 मे निर्यात करता है। Mr.X ₹90, 000 की आईटीसी का Refund प्राप्त कर सकता है।

(b) जब export with payment of IGST Tax करेगा। उस पर उपरोक्त उदाहरण आईटीसी ₹ 90,000 export value पर IGST Tax @18%₹ 18,00,00 tax paid ₹90000 Refund claim ₹ 1,80,000

इस प्रकार Goods/services को Zero rated बना देगा। इसी प्रकार SEZ/SEZ Developer को जीरो रेटेड सप्लाई माना गया है।

TYPE OF ZERO RATED SUPPLY

1. EXPORT

2. SEZ/SEZ DEVELOPER ( SPECIAL ECONOMIC ZONE) 

आयात गुड्स/सर्विस 

आयात गुड्स सर्विस का अर्थ है कि गुड्स सर्विस भारत के बाहर (सम्मतीय/समुद्री सीमा के बाहर) से लाया जाय। उसे आयात माना जायेगा।

माल की आपूर्ति का स्थान 

IGST Act 2017के अनुसार माल की आपूर्ति का स्थान निम्न होगा-

आपूर्ति का प्रकार आपूर्ति का स्थान GST
आयातित माल आयातक का स्थान GST लगेगा
निर्यात भारत से बाहर भारत के बाहर स्थान GST नहीं लगेगा

High Seas Transactions 

High Seas sale असल परचेसर और अन्य परचेजर के बीच sale सामान्य प्रथा है। जब गुड्स समुंदर में या गुड्स किसी देश की सीमा पार से पूर्व का ट्रांजेक्शन होता है।

 उदाहरण मिस्टर X ने चीन से माल खरीदा । माल भारत के समुद्री सीमा से दूर है। मिस्टर X ने माल Y को डाक्यूमेंट्स ट्रांसफर कर sale कर दी गई है। इसे sale को High Seas sale माना जायेगा और Gst Act मे मिस्टर X पर कोई कर नही लगेगा। कर का दायित्व Y पर होगा। High Seas sale documents under GST-Act-

1. Commercial invoice

2. High Sea sale agreement

3. Bill of lading

4. Certificate of origin

5. Import invoice

6. Insurance certificate

धारा 2(14) सेवा प्राप्तकर्ता का स्थान

Particular Supply Service Of Place as Par Law 

 1. Registered business place supply receive ……. Business Place

2. Supply dealer place। ………………………………Recive Place

3. Supply many Places ……………………………… Registered Business place

4. If No Place ………………………………………… Registered Business place

Place of Supply का महत्त्व

गलत वर्गीकरण के कारण करदाता को परेशानी होगी जीएसटी IGST Act की धारा 19और CGST की धारा 70 में कार्रवाई कर सकता है।

*गलत वर्गीकरण के कारण करो का भुगतान भी गलत मद में दिया जाएगा जिस कारण करदाता को रिफंड के लिए अप्लाई करना होगा।

*करदाता को सही वर्गीकरण प्रस्तुत करना होगा। जिसके कारण उसे ब्याज सहित अन्य मद में भुगतान करना होगा।सेवा आयात में प्रतिफल होना जरूरी है और व्यापार बढ़ाने में सहायक होगा सेवा आयात मानी जायेगी

GST मे Merchant Exporter 

एक व्यापारी जो व्यापरिक गतिविधि में हैं। जिसे एक्सपोर्ट इंपोर्ट प्रमोशन काउंसिल या वाणिज्य मंत्रालय द्वारा मर्चेंट एक्सपोर्टर का लाइसेंस दिया हो।

GST Registration number compulsory हैं। मर्चेंट एक्सपोर्टर को IGST @ 0.1% से और यदि CGST+SGST में 0.05%+0.05%की दर से निर्माता व्यापारी से गुड्स purchase कर सकता है। Notification No 40/2017 Date -23 Oct 2017 CGST Act और Notification No 41 Dated 23 Oct 2017 IGST Act के अन्तर्गत।

उपरोक्त नोटिफिकेशन मैं एक मर्चेंट एक्सपोर्टर को कुछ शर्तों का पालन करना होगा। तभी उसके एक्सपोर्ट को स्वीकार किया जाएगा। इन नोटिफिकेशन में नियम शर्तों का पालन करना आवश्यक है: –

1. सप्लायर sale के लिए Tax Invoice जारी करेगा।

2. Merchant Exporter प्राप्त Tax Invoice की date से 90 दिनों मे goods का export करेगा।

3. Merchant Exporter सप्लायर का जीएसटी नंबर, माल की पहचान दर्ज करेगा।

4. Merchant Exporter promotion council/Ministry of Commerce Government of India / IEC का certificate भी दर्ज करेगा।

5. Merchant Exporter order/Agreement भी करना होगा निर्माता के साथ।

6. Merchant Exporter सप्लायर के यहां से गुड्स:-

  • Port/Inland Container Depot/Airport/Custom Station or
  • Registered warehouse जहां से गुड्स Port/Inland Container Depot/Airport/Custom Station तक यहां से गुड्स निर्यात होगा।

7. यदि मर्चेंट एक्सपोर्टर कई व्यापारियों से अन्य माल परचेज करता है तो वह अपने रजिस्टर्ड ऑफिस या वेयरहाउस में गुड्स को संग्रह करेगा और उसका निर्यात करेगा।

8. मर्चेंट एक्सपोर्टर को सभी माल का टैक्स इनवॉइस पर एंडोर्समेंट करना होगा। तथा अपने स्टॉक रजिस्टर में उसकी एंट्री करनी जरूरी है।

9. निर्यात करने के बाद मर्चेंट एक्सपोर्टर को सप्लायर को शिपिंग बिल या एक्सपोर्ट बिल की प्रतियां उपलब्ध करनी होंगी। तथा जीएसटीएन पर उसका ब्यौरा पूर्ण रूप से अंकित करना होगा।

Or

यदि मर्चेंट एक्सपोर्टर उन वस्तुओं का टैक्स इनवॉइस की डेट से 90 दिन के अंदर एक्सपोर्ट नहीं कर पाता है तो जो सप्लायर है उसे सभी छूट समाप्त होंगी।

Letter of Undertaking (LUT) / Bond _Notification No 37/2017 CGST Act Dated 4 Oct 2017 जो नियम 96 ए के अन्तर्गत सभी exporter को LUT की सुविधा प्रदान करता है।

LUT के अन्तर्गत निर्यात की पात्रता

LUT के अन्तर्गत उन सभी निर्यातोक के लिए हैं जो बिना IGST टैक्स के बिना गुड्स/सर्विस की सप्लाई करना चाहते हैं। सिवाय उन पर्सन के CGST OR IGST OR SGST अन्य Tax ACT मे करचोरी ₹ 5 करोड से अधिक के वाद चल रहे हैं।

Any Registered Exporter

Export without Payment of IGST 

Any Exporter Defaulter Exporter
Furnish LUT Execute Bond
Not Prosecuted Persecuted
Eligible for LUT No Eligible LUT

LUT की वैधता Lut पूरे वित्तीय वर्ष के लिए होगा। RFD -11 में apply किया जाएगा।

LUT की सुविधा की वापसी CGST RULE 96(a) के उपनियम (1) में निश्चित समय यदि गुड्स एक्सपोर्ट नहीं होता है। Registered person उपनियम में घोषित कर का भुगतान करने में विफल हो जाता है। तो LUT के अंतर्गत निर्यात की सुविधा वापस ले ली गई मानी जाती है। यदि IGST TAX का भुगतान कर दिया जाए तो LUT BOND की सुविधा प्रदान कर दी जाती है।

Bank Guarantee BOND के रुप मे यदि किसी करदाता IGST,CGST,SGST Or अन्य कर में डिफॉल्टर है तो उसे Bond Bank Guarantee से लिया जायेगा। यह Bond कर का 15%होगा। 

भारतीय मुद्रा में भुगतान यहां स्पष्ट है कि नेपाल,भूटान,एसईजेड या एसईजेड DEVPLORE मे गुड्स की सप्लाई मे LUT स्वीकार हैं। भुगतान भारत की मुद्रा में हो या विदेशी मुद्रा में हो।नेपाल/ भूटान सेवा का भुगतान केवल विदेशी मुद्रा हो। तभी सेवा का निर्यात माना जायेगा।

क्षेत्राधिकार CGST ACT की धारा 5(3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर LUT स्वीकार करने का क्षेत्राधिकार प्रदान किया गया है।

SEZ DEVELOPER/SEZ मे सप्लाई के लिए LUT स्वीकार हैं।

MERCHANT EXPORTER भी LUT के पात्र हैं जो GST मे निर्माता से बिना कर भुगतान के गुड्स परचेज कर सकता है।

E O U LUT के पात्र नही है।EOU को सप्लाई अन्य सप्लाई की तरह टैक्सेबल है।

Deemed Exports CGST Act 2017की धारा 147 सपठित Notification No 48/2017 के अनुसार जो गुड्स भारत मे निर्मित हो। और भारत से बाहर ना जाय। उसका भुगतान भारतीय मुद्रा or विदेशी मुद्रा में प्राप्त हो। तथा भारत सरकार ने नोटिफाई किया गया। ऐसी सप्लाई को Deemed Exports माना जायेगा। Deemed Exports मे केवल Goods को रखा गया है।सेवा को नही।उदाहरण Mr X Meerut मे गुड्स निर्माण करते हैं।और Mr Y Delhi E O U (Export Oriented Unit) को गुड्स supply करते हैं। इस transaction को डीम्ड एक्सपोर्ट माना जाता है।जब Mr Y इस गुड्स को विदेश भेजते हैं। वह गुड्स एक्सपोर्ट माना जायेगा। Deemed Exports मे सप्लाई के प्वाइंट पर GST लगेगा।

Deemed Exports मे Refund सप्लायर/ exporter मे कोई एक रिफंड apply करेगा। कुछ शर्तों के साथ। जैसे यदि सप्लायर Refund अप्लाई करेगा तो निम्न document प्रस्तुत करेगा

1. Tax Invoice complete details

2. एक्सपोर्ट authority द्वारा जारी पावती कि गुड्स प्राप्त कर लिया है। Or EOU/ अन्य exporter की पावती की गुड्स प्राप्त कर लिया है।

3. Recipient Exporter एक no claim declaration certificate for Refund / और ना ही कोई दावा करेंगे।

Deemed Exports मे निम्न शामिल हैं

i.  DGFT के Chapter 4में घोषित।

ii. DGFT के Chapter 5 में घोषित।

iii. DGFT के Chapter 6 में घोषित

iv. RBI द्वारा घोषित Gold export policy

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