वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017, 1 जुलाई 2017 से प्रभावी किया गया था।इस प्रकार इस अधिनियम को लागू हुई 7 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं ।तथा 8 वे वर्ष में यह अधिनियम प्रवेश कर रहा है ।हम इस लेख के द्वारा इस अधिनियम के संबंध में कुछ तथ्यों को टैक्स प्रोफेशनल, करदाता ,व्यापार और उद्योग जगत को समर्पित करते हैं। तथा इस व्याख्या से प्रयास करेंगे ।कि जीएसटी अधिनियम से करदाता,उद्योग और व्यापार जगत को क्या लाभ हुआ है ? इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव हुआ है ? इसकी अनुकूलता कितनी है ? तथा समाज पर प्रतिकूलता कितनी है ? इन्हीं सभी तथ्यों को समाहित करते हुए यह व्याख्या प्रस्तुत है-
वस्तु एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी परिषद) वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सिफारिशें करने के लिए बनाया गया एक संवैधानिक निकाय है । 2016 के 101वें संशोधन अधिनियम ने देश में एक नई कर व्यवस्था (GST) की शुरुआत की । इस संशोधन ने भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 279-ए जोड़ा । इस कर के सुचारू और कुशल प्रशासन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है ।
इसके मुताबिक राष्ट्रपति ने 2016 में आदेश जारी कर जीएसटी परिषद का गठन किया था। जीएसटी परिषद का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है। केंद्रीय राजस्व सचिव परिषद के पदेन सचिव के रूप में कार्य करता है। यह भारत के राष्ट्रपति ने 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के प्रारंभ होने के 60 दिनों के अंदर जीएसटी परिषद (GST Council) का गठन करने का अधिकार देता है ।
जीएसटी परिषद के कार्य –
जीएसटी परिषद को निम्नलिखित मामलों पर केंद्र और राज्यों को सिफारिशें करने का अधिकार है:
1. केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों द्वारा लगाए गए करों, उपकरों और अधिभारों को GST में विलय करने के सन्दर्भ में।
2. ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के विषय में जिन पर जीएसटी लगाया जा सकता है या जीएसटी से छूट दी जा सकती है।
3. जीएसटी कानून, लेवी के सिद्धांत, अंतर-राज्य व्यापार या वाणिज्य के दौरान आपूर्ति पर लगाए गए
4. जीएसटी में कर का विभाजन और आपूर्ति के स्थान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत।
5. टर्नओवर की सीमा जिसके नीचे वस्तु और सेवाओं को जीएसटी से छूट दी जा सकती है।
6. किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए निर्दिष्ट अवधि के लिए कोई विशेष दर।
7. अरुणाचल प्रदेश, असम, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के संबंध में विशेष प्रावधान।
8. जीएसटी से संबंधित कोई अन्य मामला, जैसा कि परिषद तय कर सकती है।
9. इसके अलावा, परिषद उस तारीख की भी सिफारिश करेगी जिस दिन पेट्रोलियम क्रूड, हाई-स्पीड डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमानन टरबाइन ईंधन पर जीएसटी लगाया जा सकता है।
10. परिषद को पांच साल की अवधि के लिए जीएसटी की शुरुआत के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजे की भी सिफारिश करनी है । सिफारिश के आधार पर, संसद मुआवजे का निर्धारण करती है।
जीएसटी एक्ट की कार्य प्रणाली –
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यापक, गंतव्य आधारित, बहु-स्तरीय कर है। जो अप्रत्यक्ष रूप से वस्तु एवं सेवाओं के उपयोग पर लगाया जाता है। माल एवं सेवा कर अधिनियम को 29 मार्च 2017 को अनुच्छेद 279 ए के द्वारा भारतीय संसद में पारित किया गया। तथा 1 जुलाई 2017 को इसे भारत में लागू कर दिया गया था। यह एक एकीकृत कर प्रणाली है जिसने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों का स्थान ले लिया है।
जीएसटी के प्रकार-
वैसे तो जीएसटी एक एकीकृत कर प्रणाली है, परन्तु भारत में इसे 4 अलग-अलग नामों से जाना जाता है-
1. केंद्रीय माल और सेवा कर(CGST)-
जब कोई कारोबार एक ही राज्य के दो या अधिक कारोबारियों के बीच होता है, तो कर के रूप में उनके द्वारा केंद्र को दी गई धनराशि CGST कहलाती है।
2. राज्य वस्तु एवं सेवा कर(SGST) –
जब कोई कारोबार एक ही राज्य के दो या अधिक कारोबारियों के बीच होता है, तो उनके द्वारा राज्य सरकार को दिया जाने वाला कर, SGST कहलाता है।
3. केंद्र शासित प्रदेश माल और सेवा कर(UTGST) –
जब कोई कारोबार किसी केन्द्र शासित राज्य के दो व्यापारियों के बीच होता है, तो व्यापारियों द्वारा केन्द्र शासित राज्य को दिया गया कर, UTGST/ UGST कहलाता है।
4. एकीकृत माल और सेवा कर (IGST)-
अगर कोई व्यापार दो अलग-अलग राज्यों के कारोबारियों के बीच किया जाता है, तो उससे मिलने वाले कर पर केन्द्र एवं राज्य दोनों का अधिकार होता है, इस प्रकार के कर को, जीएसटी कहते हैं।
जीएसटी में टैक्स की दर
अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं के लिए जीएसटी की दरें अलग-अलग निर्धारित की गई है-
A. 00% जीएसटी दर- जीवन के लिए मौलिक सेवाओं एवं वस्तुओं पर, जैसे- अनाज, सब्जियां, नमक, गुड़ आदि
B. 05% जीएसटी दर-जीवन के लिए आवश्यक सेवाओं एवं वस्तुओं पर, जैसे– काफी, तेल, मसाला, चाय, चीनी आदि
C. 12% जीएसटी दर- प्रतिदिन इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे- छाता, दंत मंजन, नमकीन, दवाइयां आदि
D. 18% जीएसटी दर- मध्य स्तरीय जीवन शैली में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे- शैंपू, डिटरजेंट, आइसक्रीम, रेफ्रिजरेटर आदि
E. 28% जीएसटी दर- विलासितापूर्ण जीवन शैली में आने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं पर, जैसे- ऑटोमोबाइल, पान मशाला इत्यादि
जीएसटी में रिटर्न के प्रकार-
जीएसटी रिटर्न निम्नलिखित प्रकार का होता है-
1. माल और सेवा कर रिटर्न फॉर्म जीएसटी R 1-
इसमें व्यापारियों को पूरे महीने की बिक्री का ब्यौरा, अगले माह की 11 तारीख से पहले तक दाखिल करना होता है। जिन कारोबारियों की सालाना बिक्री 1.5 करोड़ से कम होती है उन्हे यह रिटर्न हर तिमाही दाखिल करना पड़ता है।
2. माल और सेवा कर रिटर्न फॉर्म जीएसटी R 2a/2b –
यह रिटर्न खुद की खरीदारी का ब्यौरा देने के लिए बनाया गया था परन्तु फिलहाल में इसे स्थगित रखा गया है। यह रिटर्न 2a/2b के बीच फंसा हुआ है।
3. माल और सेवा कर रिटर्न फॉर्म जीएसटी R 3-
इस रिटर्न को फाइल करते समय इसमें समस्त बिक्री एवं खरीदों के साथ-साथ चुकाए गए करों का भी विवरण देना होता था। वर्तमान में इसे भी वर्तमान में स्थगित कर दिया गया है।
4. माल और सेवा कर रिटर्न फॉर्म जीएसटी R 3B –
प्रारम्भ में GSRT-3 को लागू करने में कुछ समस्या थी, तो भारत सरकार ने उसके विकल्प में GSTR-3B जारी किया है। इसमें पूरे महीने का क्रय, विक्रय तथा चुकाए गए कर का विवरण संक्षिप्त में देना होता है।
जीएसटी की सीमा-
जीएसटी की अनिवार्यता की सीमा वस्तु तथा सेवा के लिए भिन्न – भिन्न हैं-
सेवाओं से संबंधित ऐसे व्यवसाय जिनका सालाना टर्नओवर 20 लाख से अधिक होता है। उनका जीएसटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है ।तथा वहीं वस्तु से संबंधित व्यवसायों के लिए यह सीमा 40 लाख से अधिक है। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में यह सीमा 20 लाख रुपये है।
जीएसटी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव-
अनुकूल प्रभाव-
उपभोग पर कर लगने के कारण, उत्पादकों पर कर का बोझ कम हुआ जिससे वो ज्यादा उत्पादन को प्रेरित हुए।
सिस्टम की पारदर्शिता ग्राहकों को जागरूक करती हैं।
जीएसटी ने सरकार के राजस्व क्षेत्र को बढ़ा दिया हैं।
प्रतिकूल प्रभाव-
1 जुलाई 2017 से पहले बाजार में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था।परन्तु 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होते ही कारोबार जगत में मानो चुनौतियों की लहर सी आ गई। शुरुआती दौर में इसकी कमियों पर बहुत काम किया गया मगर ऐसा लगता है । कि अभी भी यह अपने उद्देश्य को पाने में असफल है। वर्तमान स्थिति में 1 जुलाई 2017 से बहुत सारे परिवर्तन किए गए जो कामयाब नहीं हुए ।लेकिन 22 जून 2024 की जीएसटी काउंसिल की मीटिंग ने करदाता ,उद्योग व व्यापार जगत को कुछ बिंदुओं पर लाभ देने की कोशिश की है।
एक रिपोर्ट यह बताती है ।कि जीएसटी लागू होने से पहले, अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में वृद्धि दर 21.33% था। परन्तु 2017-18 में यह 5.80% हो गया।
जीएसटी से भारत के विकास पर प्रभाव-
जीएसटी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों को प्रभावित किया है-
1. जीएसटी ने भारत के कई अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेकर कर संग्रह संरचना को बदल कर एकीकृत कर प्रणाली में ढाल दिया।
2. निर्यात में अधिक प्रतिस्पर्धा आ जाएगी।
3. जीएसटी ने कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, सकल घरेलू उत्पाद में इसका लगभग 16 प्रतिशत तक योगदान है।
4. सूचना प्रौद्योगिकी को जीएसटी ने कई नये अवसर प्रदान किए। जैसे- करों के दोगुना कर प्रभाव को हटाना, व्यापार पुनर्गठन, जीएसटी के लिए सॉफ्टवेयर बनाने में अवसर इत्यादि।
5. जीएसटी ने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को भी प्रभावित किया।
6. होटलों एवं पर्यटनों से प्राप्त आय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा होता है, यह GDP को बढ़ाने में मदद करता है। जीएसटी ने उनको भी प्रभावित किया है।
7. जीएसटी द्वारा मनोरंजन उद्योग भी प्रभावित हुए है।
जीएसटी के कारण निर्यात एवं आयात दोनों प्रभावित हुए है।
निष्कर्ष-
जीएसटी भारत के अप्रत्यक्ष करों का रीढ़ है।इस अकेले कर(Tax (में भारत के कई कर समाये हुए हैं। यह दोहरे कराधान एवं कर के ऊपर कर को रोकने के लिए लाया गया है। जीएसटी उपभोक्ताओं द्वारा चुकाया जाने वाला अप्रत्यक्ष कर है।जो उत्पादन पर न लग के उपभोग पर लगता है। प्रारम्भ में इसमें कुछ कमियां थी। परन्तु सरकार के निरंतर प्रयास से इसकी अधिकतर कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।वर्तमान में इसका लाभ सभी क्षेत्र के लोग उठा रहे हैं।
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं । कि जीएसटी अधिनियम को 1 जुलाई 2017 से स्थापित किया गया था ।तथा असम प्रथम राज्य है ।जिसने अपने यहां 12 अगस्त 2016 से लागू किया है। तथा जम्मू एवं कश्मीर स्टेट ऐसा राज्य है। जहां सबसे अंतिम में जीएसटी एक्ट लगाया हैं।यह एक्ट दुनिया के 164 देश में लागू है ।तथा इसका उदय फ्रांस में 1954 में हुआ था।
अंत में सभी टैक्स प्रोफेशनल ,करदाता,व्यापार और उद्योग जगत के सभी साथियों को जीएसटी अधिनियम के स्थापना दिवस(1जुलाई) की बहुत-बहुत बधाई शुभकामनाओं सहित प्रेषित।
यह लेखक के निजी विचार हैं।