आज प्रधानमंत्री जी ने 16 जनवरी को स्टार्ट अप डे घोषित करते हुए कहा कि यह दशक भारत का टेकएड युग कहलाएगा. इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में स्टार्ट अप इको सिस्टम पर काम करने का सरकार भरसक प्रयास करेगी.
पीएम ने कहा कि इस दशक में इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरिशप और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए सरकार जो बड़े पैमाने पर बदलाव कर रही है, उसके तीन अहम पहलू हैं:
- एंटरप्रेन्योरशिप एवं इनोवेशन को नौकरशाही से मुक्त कराना
- इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए संस्थागत तंत्र का निर्माण करना और
- युवा इनोवेटर्स व युवा उद्यम की रक्षा करना, सही दिशा दिखाना और हैंडहोल्डिंग करना.
पहला कदम व्यापार को नौकरशाही से अलग करना सबसे महत्वपूर्ण बात आज प्रधानमंत्री ने देश को कही है और यह एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है यदि इसे सही मायनों में लागू किया जा सके एवं इसका जमीनी स्तर पर निष्पादन हो सकें.
आज हम सब इस बात से भलीभाँति परिचित है कि व्यापार बढाने में सबसे ज्यादा रोड़ा सरकारी विभाग से ही आता है, फिर चाहे वो विभाग श्रम का हो, जीएसटी का हो, आयकर का हो, प्रदुषण नियंत्रण का हो या फिर कोई अन्य लाइसेंस का हो.
कठिन कानूनों और अनुपालनों के नाम पर नौकरशाही व्यापार पर हावी रहती है और अपनी दखलंदाजी जारी रखती है जिस कारण कई उद्यम नहीं पनप पाए.
ऐसे में यदि सरकार इस बात पर प्रतिबद्ध हो जाए कि नौकरशाही उद्यम और उद्यमी के आड़े न आए तो यह दशक इतिहास में देश के व्यापारिक युग के रूप में जाना जा सकता है.
आने वाले बजट में प्रधानमंत्री जी के इस कथन पर प्रावधान की उम्मीद लगती हैं और तभी सही मायनों में कथनी और करनी की बात पर यकीन होगा.
पिछले दस सालों में सरकार द्वारा घोषित एम्स मेडिकल कॉलेज, आइआइएम प्रबंधन कालेज, आइआइटी, मेट्रो रेल, बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी, आदि के क्या हालात हैं- दिखाई देते हैं और इन सब पर नौकरशाही हावी है. ऐसे में देश इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और स्टार्ट अप का दशक बन पाएगा, यकीन से कहना मुश्किल है. लेकिन प्रधानमंत्री जी ने कहा है तो हम फिलहाल ऐसे इको सिस्टम की कल्पना तो कर ही सकते हैं और शायद फलीभूत हो जाए तो सोने पर सुहागा.
लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965