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CA Sudhir Halakhandi

आइये देखें कैसे बनेगा जी.एस.टी. में बिल

मान लीजिये 1 जुलाई 2017 को जी.एस.टी. लागू हो जाता है तो सबसे पहले डीलर्स को जो कार्य जी.एस.टी. के दौरान करना होगा वह होगा जी.एस.टी. के दौरान की गई उनकी पहली सप्लाई का बिल या टैक्स इनवॉइस काटना .

मान लीजिये बाकी सभी जी.एस.टी. से जुडी प्रक्रियाओं के लिए तो आपको समय मिल जाएगा लेकिन 1 जुलाई 2017 को ज्यों ही आप अपने व्यवसाय स्थल पर पहुचेंगे तो आपका जो पहला ग्राहक आपसे माल खरीदेगा उसे जी.एस.टी. से जुडी पहली प्रक्रिया के रूप में आपको एक बिल काटना होगा तो आइये बात करें कि जी.एस.टी. के दौरान पहली प्रक्रिया के रूप में आप टैक्स इनवॉइस या बिल किस तरह से काटेंगे .

पहले हम देखें कि जी.एस.टी. कानून के तहत बिल से सम्बन्धित प्रावधान धारा 31 में दिए हुए है और इस सम्बन्ध में रूल्स जी.एस.टी. कौंसिल द्वारा अनुमोदित कर दिए गए है तो आइये इस कानून और जी.एस.टी. कौंसिल के द्वारा अनुमोदित रूल्स की सहायता से देखें कि एक आम डीलर किस तरह से जी.एस.टी. का पहला टैक्स इनवॉइस या बिल काटेगा.

सबसे पहले तो आप यह ध्यान कर लें कि जी.एस.टी. के दौरान कम्पुटर से टैक्स इनवॉइस बिल बनाना कोई जरुरी नहीं है यदि आप चाहे तो बिल कंप्यूटर की सहायता से काट सकते है और ऐसा नहीं चाहे तो आप अपनी बिल बुक छपवा कर भी काम चला सकते है .

एक दूसरा भ्रम यह है कि आपको प्रत्येक टैक्स इनवॉइस या बिल जी.एस.टी. के पोर्टल पर जाकर बनाना है यह भी सही नहीं है . आपको सिर्फ टैक्स इनवॉइस या बिल की विगत जो रजिस्टर्ड डीलर को आपने काटा है कि विगत अपने सप्लाई के रिटर्न में जिस माह में बिक्री हुई है उसके अगले माह की 10 तारीख तक देनी है ताकि आपका खरीददार इसकी क्रेडिट ले सके .

आइये हम सबसे पहले विचार करें एक ऐसी सप्लाई का जो आप अपने ग्राहक को उसी राज्य में करे रहें है जहाँ आप का व्यवसाय स्थल है तो आपकी यह बिक्री “राज्य के भीतर बिक्री” या इंटरास्टेट बिक्री कहलाएगी और जैसा कि हम पहले ही कई बार बता चुके है कि इस बिक्री पर आपको दो कर यानि राज्य का जी.एस.टी. – एस.जी.एस.टी. एवं केंद्र का जी.एस.टी. सी.जी.एस.टी वसूल करना है .

आइये अब उदाहरण के लिए आपका व्यापार भी तय कर देते हैं – समझ लीजिये कि आप रेडीमेड कपड़ों का काम करते है और आपका पहला ग्राहक आपसे 100 शर्ट्स खरीदता है जो प्रति शर्ट आपकी बिक्री की कीमत 1100 रूपये है इस प्रकार कर की दर 12% होगी जिसमें से मान लें कि राज्य का जी.एस.टी. 6 प्रतिशत ही और केंद्र का जी.एस.टी. भी 6 प्रतिशत है तो आपके बिल के लिए आंकड़े इस प्रकार से बनेगें :-

माल का विवरणशर्ट्स
मात्रा100
कीमत प्रति शर्ट1100 रूपये
कुल कीमत110000.000
राज्य का जी.एस.टी.6600.00
केंद्र का जी.एस.टी.6600.00
कुल बिल की रकम123200.00
आपका जी.एस.टी.एन08AAAPP5715M1Z3
ग्राहक का जी.एस.टी.एन08SSSPS7325M1Z3

ये सारी सूचनाएं वे है जिनके आधार पर आप अपना जी.एस.टी. का बिल काट सकते हैं . आइये देखें कि जी.एस.टी. का बिल बनाते समय कौनसी – कौनसी सूचनाये आपको बिल में भरनी है :-

1.सप्लाई करने वाले का नाम, पता एवं जी.एस.टी.एन. नंबर
2. बिल का सीरियल नंबर
3. बिल जारी करने की तारीख
4.सप्लाई प्राप्त कर्ता का नाम, पता एवं जी.एस.टी.एन. नंबर (यदि रजिस्टर्ड है तो )
5.यदि सप्लाई प्राप्तकर्ता अन-रजिस्टर्ड, सप्लाई प्राप्त का नाम, पता एवं डिलीवरी का पता यदि करयोग्य सप्लाई की कीमत 50000.00 रूपये से अधिक है.
6.एच.एस.एन.कोड:-एच.एस.एन कोड को लेकर कमीश्नर छुट भी दे सकते है :-

यह छुट इस प्रकार भी हो सकती है :-

Turnover less than 1.5 crores- HSN code is not required to be mentioned

Turnover between 1.5 -5 crores can use 2-digit HSN code

Turnover above 5 crores must use 4-digit HSN code

7.माल का विवरण
8.माल की मात्रा
9.माल की कुल कीमत

10. कर की दर:- एस.जी.एस.टी. और सी.जी.एस.टी. कर की दर

11. कर की रकम
12. माल के सप्लाई की जगह एवं राज्य यदि आपकी सप्लाई आपके राज्य से दूसरे राज्य में है.
13.माल की डिलीवरी का पता यदि यह पता सप्लाई के पते से अलग है.
14.क्या कर रिवर्स चार्ज के तहत चुकाया गया है – यदि यह बिल अन-रजिस्टर्ड डीलर से खरीद के लिए जी.एस.टी. कानून की धारा 9(5) एक रजिस्टर्ड डीलर के द्वारा जारी किया गया है .
15.डीलर के दस्तखत या डीलर के डिजिटल सिग्नेचर . (बिल पर डिजिटल सिग्नेचर अनिवार्य नहीं है )

टैक्स इनवॉइस या जे.एस.टी. बिल का एक नमूना आपके लिए इस लेख के अंत में दे रहे है जिसे देखें आर इस्तेमाल करें .

कम्पोजीशन डीलर बिल किस तरह से बनाएँगे

कम्पोजीशन डीलर टैक्स इनवॉइस नहीं बल्कि बिल ऑफ सप्लाई बनायेंगे . यहाँ यह ध्यान में रखें कि कम्पोजीशन डीलर्स किसी तरह का कर अपने बिल ऑफ़ सप्लाई में अलग से वसूल नहीं कर पाएंगे . आइये देखें कि कम्पोजीशन डीलर्स का जारी किये हुए बिल में क्या –क्या सूचनाये होंगी :-

1.सप्लाई करने वाले का नाम, पता एवं जी.एस.टी.एन. नंबर
2. बिल का सीरियल नंबर
3. बिल जारी करने की तारीख
4.सप्लाई प्राप्त कर्ता का नाम, पता एवं जी.एस.टी.एन. नंबर (यदि रजिस्टर्ड है तो )
5.एच.एस.एन.कोड- एच.एस.एन कोड को लेकर कमीश्नर छुट भी दे सकते है :-

यह छुट इस प्रकार भी हो सकती है :-

Turnover less than 1.5crores- HSN code is not required to be mentioned

Turnover between 1.5 -5crores can use 2-digit HSN code

Turnover above 5 crores must use 4-digit HSN code

यदि इस प्रकार से छुट हुई तो कम्पोजीशन डीलर्स को एच.एस.एन. कोड देने की जरुरत ही नहीं होगी .

6.माल का विवरण
7.माल की मात्रा
8.माल की कुल कीमत
9. डीलर के दस्तखत या डीलर के डिजिटल सिग्नेचर . (बिल पर डिजिटल सिग्नेचर अनिवार्य नहीं है )

कुछ विशेष बातें जो बिल जारी करते समय ध्यान रखें :-

1.जो भी आप बिल जारी करेंगे वो तीन प्रतियों में होगा – ORIGINAL FOR RECIPIENT
2.द्वितीय प्रति पर आप लिखेंगे – DUPLICATE FOR TRANSPORTER
3.तृतीय प्रति पर आप लिखेंगे – TRIPLICATE FOR SUPPLIER

ये तीनों प्रतियों पर आप पहले से छपवा कर ही रखें .

यदि आपकी सप्लाई का एक बिल 200.00 रूपये से कम की है तो यह जरुरी नहीं है कि आप इस तरह की हर सप्लाई पर अलग बिल बनाये. इसका आप पूरे दिन का एक ही बिल इस तरह की सारी सप्लाई को मिलाकर बना सकते है बशर्ते कि :-

1. यह सप्लाई रजिस्टर्ड डीलर्स को नहीं हो- यदि सप्लाई रजिस्टर्ड डीलर को है तो प्रत्येक बिल इस तरह की सप्लाई का अलग से काटना होगा अन्यथा रजिस्टर्ड डीलर को इनपुट क्रेडिट किस तरह से मलेगी.

2. यदि क्रेता को बिल की आवश्यकता नहीं हो –यदि क्रेता माल की खरीद का बिल मांगता है तो उसे अलग से बिल देना ही होगा.

आपके लिए जी.एस.टी. में एक विशेष बात और है जो ध्यान में रखनी आवशयक है और वह है कि जब आप माल या सेवा के लिए एडवांस भुगतान प्राप्त करते है तो आपकी उसजी एडवांस रकम पर कर की जिम्मेदारी हो जाती है अर्थात जब भी आप एडवांस प्राप्त करेंगे तो आपको उसी माह में उस पर कर चुकाना है चाहे सप्लाई अगले माह हुई है . इसके लिए आप एक रसीद वाउचर जारी करेंगे. इसे भी आप एक उदाहरण के जरिये समझ लें :-

आपको जुलाई माह में 100 शर्ट का 1100 रूपये शर्ट के हिसाब से आर्डर मिला है और इसके लिए 50000.00 रुपये एडवांस मिले . आप इस माल की सप्लाई अगस्त में करेंगे. इस प्रकार यह व्यवहार कुल 110000.00 रूपये का हुआ है.

– इस व्यवहार में आपको 50000.00 रूपये पर तो कर जुलाई माह में जोड़ना होगा जिसका भुगतान अगले माह यानि अगस्त में आप करेंगे और शेष 60000.00 रूपये पर कर का भुगतान अगस्त माह में जोड़े हुए सितम्बर में करेंगे.

एडवांस प्राप्ति के लिए जारी वाउचर में भी लगभग वही डिटेल्स होगी (जो रसीद के लीये लागू होती है ) जो टैक्स इनवॉइस में होती है .

M/S XYZ AND COMPANY

1. GSTIN

2. Name

3. Address

4. Serial No. of Invoice

5. Date of Invoice

Details of Receiver (Billed to)

Details of Consignee (Shipped to)

Name

Name

Address

Address

State

State

State Code

State Code

GSTIN/Unique ID

GSTIN/Unique ID

Sr. No.
Description of Goods
HSN
Qty.
Unit
Rate (per item)
Total
Discount
Taxable value
CGST
SGST
IGST
Rate
Amt.
Rate
Amt.
Rate
Amt.
Freight Insurance

Packing and Forwarding Charges

Total
Total Invoice Value (In figure) Total Invoice Value (In Words)

Amount of Tax subject to Reverse Charges

Declaration

_____________________

(Signature)

Name and Status

CA Sudhir Halakhandi

“Halakhandi”, Laxmi Market, Beawar-305901(Raj)

Cell- 9828067256, MAIL –sudhirhalakhandi@gmail.com

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7 Comments

  1. Chandra Shekhar says:

    Sir please tell me how to make gst bill of a hospital
    Iam will provide security service to hospital please help me

  2. Alok Ranjan says:

    Please sir ek current regiem aur Gst regeim ka RCM ka list dale. kisme ITC available hai kisme nhi, GTA ME MILEGA KYA CREDIT ACT me mna kar rha hai but expert bol rahe hai milega. bhut doubt hai

  3. Kisansinh N Raulji says:

    How to create credit account of treading stock laying in godown on 30/06/2017, how to calculate credit amount of imported and domestic purchase.

  4. Sudhakar Mishra says:

    यह सप्लाई रजिस्टर्ड डीलर्स को नहीं हो- यदि सप्लाई रजिस्टर्ड डीलर को है तो प्रत्येक बिल इस तरह की सप्लाई का अलग से काटना होगा अन्यथा रजिस्टर्ड डीलर को इनपुट क्रेडिट किस तरह से मलेगी.

    2. यदि क्रेता को बिल की आवश्यकता नहीं हो –यदि क्रेता माल की खरीद का बिल मांगता है तो उसे अलग से बिल देना ही होगा.
    Pls furnish the format of invoice to be issued in above situation

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