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केंद्र सरकार द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा को वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस कदम का उद्देश्य व्यवसायों से संबंधित विवादों के समाधान को कुशलतापूर्वक सुव्यवस्थित करना है। खोज-सह-चयन समिति की सिफारिश के आधार पर कैबिनेट द्वारा नियुक्त समिति ने नियुक्ति प्रदान की हैं, चार साल के कार्यकाल के लिए प्रति माह 2.50 लाख रुपये के वेतन के साथ। Also Read: Nirmala Sitharaman Swears in Sanjaya Kumar Mishra as GSTAT President

जीएसटीएटी के अध्यक्ष की नियुक्ति

खोज-सह-चयन समिति (एससीएससी) की सिफारिश पर कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की नियुक्ति को मंजूरी दे दी। उनका कार्यकाल कार्यभार संभालने की तारीख से शुरू होकर या 70 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले आए, चार साल तक का होगा। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के आदेश में उनका मासिक वेतन 2.50 लाख रुपये बताया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जस्टिस मिश्रा को पद की शपथ दिलाई।

न्यायमूर्ति मिश्रा, जिन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया, उनका चयन भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक खोज-सह-चयन समिति द्वारा किया गया था।

न्यायमूर्ति मिश्रा की नियुक्ति जीएसटीएटी (GSTAT) के संचालन की शुरुआत का प्रतीक है, जो जीएसटी से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए एक निकाय है।

जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) की स्थापना

जीएसटीएटी केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत स्थापित अपीलीय प्राधिकरण है, जिसे प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के आदेशों के खिलाफ उक्त अधिनियम और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी अधिनियम के तहत विभिन्न अपीलों की सुनवाई का काम सौंपा गया है।

वित्त मंत्रालय ने केंद्र और राज्यों के लिए 63 न्यायिक सदस्यों और 33 तकनीकी सदस्यों के लिए रिक्ति परिपत्र जारी किया हैं। पिछले सितंबर 2023 में, केंद्र ने दिल्ली में एक प्रधान पीठ और विभिन्न राज्यों में अतिरिक्त पीठों के साथ 31 जीएसटीएटी (GSTAT ) पीठों की स्थापना को अधिसूचित किया था। उत्तर प्रदेश में तीन पीठों की पांच स्थानों पर मेजबानी करेगा, जो देश के किसी भी राज्य में सबसे अधिक हैं, जबकि गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में दो-दो पीठें होंगी। ये न्यायाधिकरण जीएसटी से संबंधित विवादों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो समय पर समाधान के लिए एक विशेष तंत्र प्रदान करते हैं।

जीएसटी ट्रिब्यूनल (GSTAT) की भूमिका

जीएसटी ट्रिब्यूनल की कल्पना जीएसटी से संबंधित विवादों को तुरंत और कुशलता से संबोधित करने के लिए विशेष निकाय के रूप में की गई है। कर प्रशासन में निष्पक्षता, जवाबदेही और कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए उनकी स्थापना आवश्यक है। प्रथम अपीलीय प्राधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध अपीलों में वृद्धि के साथ, समर्पित और विशिष्ट जीएसटीएटी (GSTAT) की आवश्यकता और भी अधिक स्पष्ट हो गई है। व्यवसाय /उद्योग जगत को पहले उच्च न्यायालयों का सहारा लेना पड़ता था, जिसके परिणामस्वरूप लंबी और महंगी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती थी। जीएसटीएटी (GSTAT ) की स्थापना से इस बोझ को कम करने, व्यापार के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने और देश में व्यापार करने में आसानी बढ़ाने की उम्मीद है।

व्यावसाय /उद्योग भावनाओं को बढ़ाना

उद्योग/ व्यवसाय विशेषज्ञों ने इस कदम का स्वागत किया है, जिसमें व्यावसायिक भावनाओं को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला गया है। सीआईआई (CII) के महानिदेशक ने मामलों के त्वरित और लागत प्रभावी समाधान सुनिश्चित करने में जीएसटीएटी (GSTAT) के महत्व पर जोर दिया। पिछले वर्षों में अपीलों में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, देश भर के व्यवसाय , उद्योग जगत में जीएसटीएटी (GSTAT) की स्थापना मांग थी। जो कर विवाद समाधान को सुव्यवस्थित करने और क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालयों पर दबाव से राहत देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जाता है।

लेखक का विचार

जीएसटी एक्ट के अध्याय 18 में अपील और रिवीजन का प्रावधान किया गया है। जब जीएसटी एक्ट जुलाई 2017 से प्रभावी किया गया था । न्याय हित में सरकार और जीएसटी काउंसिल को ट्रिब्यूनल की तुरंत स्थापना करनी चाहिए थी । क्योंकि भारत एक विशाल देश है । यदि कोई भी करदाता प्रथम अपील से सहमत नहीं है। तो उसके लिए जीएसटी ट्रिब्यूनल (GSTAT) ही सस्ता व सुलभ न्याय के हित में होगा । लेकिन सरकार द्वारा पिछले 7 साल से जीएसटी ट्रिब्यूनल (GSTAT) की स्थापना नहीं की है। जिससे छोटे और मझौल करदाता को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । केवल सरकार ने जीएसटी ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष की नियुक्ती से शुरू किया है । जिससे सभी टैक्स प्रोफेशनल खुश होंगे तथा जल्द से जल्द ट्रिब्यूनल की बेंच की स्थापना की जाएगी । तथा देश के बड़े-बड़े शहरों में जीएसटी ट्रिब्यूनल (GSTAT) की स्थापना नहीं की गई है। जिससे व्यापार/ उद्योग जगत में मायूसी है । क्योंकि पूर्व के VAT विधि में सभी बड़े शहरों में VAT की ट्रिब्यूनल की स्थापना है। जिससे व्यवसाय /उद्योग जगत के करदाता प्रथम अपील से असहमत होने पर अपनी मांग को ट्रिब्यूनल के समक्ष रख सकते हैं । अतः जीएसटी ट्रिब्यूनल (GSTAT) की स्थापना में एक अच्छा कदम है । जिसका सभी को स्वागत करना चाहिए तथा आशा करते हैं । कि प्रत्येक करदाता को सस्ता व सुलभ न्याय प्राप्त होना चाहिए ।

यह लेखक के निजी विचार है।

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