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Shri Parag Singhal

Parag Singhalसरकार ने विभिन्न स्तरों पर टैक्स लगा रखे हैं, सरकार द्वारा प्रत्येक टैक्स विभाग में टैक्स की चोरी रोकने के लिए अन्वेषण अनुभाग बना हुआ है, जिनका मात्र काम यही है कि टैक्स की चोरी रोकी जाए। इसके लिए एक पूरा अमला जिले स्तर से शासन तक लगा रहता है, इस टैक्स की चोरी रोकने के लिए सरकार द्वारा प्रतिवर्ष अरबों रूपया खर्च किया जाता है। फिर भी टैक्स की चोरी हो रही है, ‘आखिर क्यों?’

क्या कभी सरकार ने या किसी अन्य सम्बन्धित विभाग ने अनुमान लगाया है कि इन अन्वेषण अनुभाग पर प्रतिवर्ष कितना खर्चा आया और उस अनुभाग के स्थापना व संरक्षण से कितना लाभ मिला या वह अनुभाग कितना सफल रहा।

मेरी समझ में यह नहीं आता कि सरकार ऐसे उपाय क्यों नहीं करती कि ‘कम खर्च और उद्देश्य प्राप्ति अधिक’ क्या जरूरत है कि सरकार इतना बडे़ अमला को एकत्र करें।

क्या कभी सरकार ने सोचा है कि यह टैक्स की चोरी की मानसिकता क्यों है? टैक्स चोरी की मानसिकता केवल व्यापारीवर्ग में ही नहीं है बल्कि उन सभी में है, जो कर अदा करते हैं। यदि करदाता नौकरीपेशा है तो वह सोचता है कि वह पूरे माह काम करता है उस पर सरकार को ;आयद्धकर क्यों? जबकि वह जिन्दगी की रोजमर्रा की वस्तुओं को खरीद के समय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कर का भुगतान करता ही है।

क्या कभी सरकार में बैठे नियन्ताओं ने सोचा है कि क्या यह प्रक्रिया रोकी नहीं जा सकती? क्या करदाता को कर की अदायगी के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता?

क्या कोई कर भुगतान हेतु प्रोत्साहन योजना लागू नहीं बन सकती?

क्या टैक्स के नीति-निर्धारकों ए.सी. कमरे में बैठकर कभी इस विषय पर विचार नहीं किया कि ‘टैक्स की चोरी क्यों होती है’। हम यहां पर व्यापारीवर्ग की बात करते हैं कि वे टैक्स चोरी के लिए क्यों मजबूर हैं। एक तो उनका कहना है कि वह कैसे-कैसे अपना व्यापार जमाने और चलाने के लिए पापड़ बेलते हैं फिर सरकार को मुंह मांगा टैक्स दें, ईमानदारी से टैक्स देने पर भी कर अधिकारी समय-समय पर, जगह-जगह पर प्रताडि़त और उत्पीड़न करते हैं, जब वे लोग टैक्स चोर कहते ही हैं तो फिर टैक्स की चोरी क्यों ना करें? व्यापारीवर्ग दूसरा कारण भी बताते हैं कि आज के इस कम्पटीशन के बढ़ते युग में प्रोफिट-मार्जिन 1 या 2 प्रतिशत का रह गया है लेकिन सरकार का टैक्स कम होने बजाय बढ़ता ही जा रहा है जितना हम नहीं कमा पा रहे उससे कहीं अधिक कई गुना सरकार को टैक्स के रूप में  दें, यह कौन सी नीति है। फिर इस देश में एक टैक्स तो है नहीं बल्कि बहुत सारे टैक्स हैं जिनका भुगतान करना, उनके अनुसार एक तरह का टैक्स का भुगतान ईमानदारी से करते हैं तो अन्य सभी टैक्स इतने सारे हैं कि कहां तक टैक्स दें और कहां तक हिसाब रखें।

इस देश के वरिष्ठ अधिकारी विदेश की ओर देख कर नीतियों का निर्धारण करते हैं लेकिन कभी विदेशी ‘कर प्रणाली’ पर गौर नहीं किया। यूरोप के बहुत से देशों में केवल ही प्रकार का कर है वह भी मात्र ‘आयकर’ और उसकी कर की दर भी बहुत कम है, कहीं-कहीं सुनने में आया है कि आयकर की दर 2 प्रतिशत ही है, ऐसे में करदाता बहुत खुशी से इतना कम कर देने को राजी है और उसमें कोई-किसी प्रकार की छूट नहीं है अर्थात फ्लैट रेट और गणना है। कभी सोचा कि इतना न्यूनतम कर की दर पर कौन कर का भुगतान करना नहीं चाहेगा। आज की आयकर प्रणाली में सरकार करदाता को रु0 1,60,000 की छूट देती है, उस 1 लाख रूपये की अलग विभिन्न छूट है। क्यों ना इसको फ्लैट कर दिया जाए, मतलब कोई छूट नहीं सभी को कर देना है वह भी न्यूनतम दर से। सभी स्वेच्छा से कर का भुगतान करेगा, वह भी अधिक से अधिक आय पर। सरकार ने जब काला धन की घोषणा की स्कीम चलायी थी उससे सरकार को कितना अधिक उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुआ

अतः ए.सी. की संस्ड्डति छोड़ कर प्रेक्टिकल बन कर, कर प्रणाली बनाएं क्योंकि आने वाला जीएसटी से टैक्स की चोरी रूकने की उम्मीद करना बेमानी ही होगी। क्या यह हमारे देश में संभव नहीं है?

(Author is Founder & Chief Managing Editor of ‘KAR JANKARI, AGRA’ a Taxation News Paper and can be reached via email at karjankari@gmail.com)

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0 Comments

  1. PANKAJ SIBAL says:

    WHY TO PAY INCOME TAX, WEALTH TAX, GIFT TAX? WHEN THERE ARE ENOUGH TAXES I.E. VAT, SERVICE TAX,EXCISE DUTY, CUSTOMS DUTY, OCTROI, ENTRY TAX, PROFESSION TAX AND WHAT NOT? WHY GOVERNMENT DOES NOT TIGHTEN ITS BELT FOR PUSs, INTERDEPARTMENTAL EXPENDITURE, GOVERNMENT RUN SCHEMES ETC ETC. TO CURB MAILPRACTICES AND SAVE OUT OF THAT WAY.???

  2. Santosh Choudhary says:

    Dear Singhal ji
    you wrote ” कहीं-कहीं सुनने में आया है कि आयकर की दर 2 प्रतिशत ही है ”

    1. Which Country 2. How meany countries.

    please do not cote Oil/Petroleum countries.

  3. Vinod Patil says:

    Dear Shri Parag Singhal

    You point are right. Indirect Tax rate may flat 2% and Income Tax Tax rate till 10 lacs @5% and more than 10lacs 10.

    Incourage public to pay taxes with lower rate

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