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जीएसटी एक्ट में ई वे बिल के प्रावधान और संशोधन

वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के सेक्शन 68 तथा नियम 138 में यदि माल की खेप रुपए 50,000=00 से अधिक मूल्य का है ।तो उसे निर्धारित दस्तावेज के अतिरिक्तe way बिल का निर्माण करना होगा।

सेक्शन 68 का सार

सरकार को अधिकार है। कि घोषित मूल से अधिक के गुड्स के मूवमेंट के समय प्रभारी व्यक्ति ऐसे दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस साथ रखेंगा।जो निर्धारित किए जायेगे । ।प्रॉपर ऑफिसर को गुड्स के मूवमेंट के समय माल रोके जाने का अधिकार होगा । जिसका वह निर्धारित दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के आधार पर सत्यापन कर सकेगा। प्रभारी व्यक्ति को यह अनुमति प्रदान करेगा ।कि वह गुड्स के मूवमेंट के समय निर्धारित दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस प्रस्तुत करें।

नियम 138 का सार

नियम 138A के अंतर्गत किसी वाहन के प्रभारी व्यक्ति द्वारा निर्धारित दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस रखे जाने अनिवार्य है।

नियम 138 B के अनुसार निर्धारित दस्तावेज और ELECTRONIC DEVICE का सत्यापन

नियम 138 Cके अनुसार गुड्स का निरीक्षण और सत्यापन किया जाना।

नियम 138D के अनुसार E W B0 1से सम्बन्धित विवरण।

वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 केनियम 138अंतर्गत प्रत्येक रजिस्टर्ड करदाता को रुपए 50,000 =00से अधिक के माल के लिए माल भेजने के लिए या माल प्राप्त करने के लिए या अन्य कारण से माल का मूवमेंट करना है। तो उसे E WAY BILL पोर्टल से जनरेट करना होगा। यदि कोई ट्रांसपोर्टर अपंजीकृत है ।तो वह E WAY BILL पोर्टल से नामांकन कर सकता है ।तथा माल की आवागमन के लिए ई वे बिल जनरेट कर सकता है।

ई वे बिल के पार्ट बी पर वाहन संख्या का अंकित होना अनिवार्य है ।जो माल के परिवहन के समय ई वे बिल पोर्टल से जनरेट किया जा सकता है।

E WAY bill जनरेट करने के लिए निम्नलिखित तथ्य होने चाहिए

1.ई वे बिल जनरेट करने के लिए आवश्यक है। कि करदाता पंजीकृत हो और यदि ट्रांसपोर्टर पंजीकृत नहीं है ।तो ई वे बिल के सामान्य पोर्टल पर रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है।

2. ई वे बिल के लिए डॉक्यूमेंट में टैक्स इनवॉइस /सप्लाई बिल/ डिलीवरी चालान और ट्रांसपोर्टर की आईडी जिसमें ट्रांसपोर्ट का डॉक्यूमेंट नंबर या वाहन संख्या का नंबर जिससे माल परिवहन किया जा रहा है। होना आवश्यक है।

ई वे बिल में गलत एंट्री

यदि ई वे बिल में कोई गलती या गलत एंट्री की गई है। तो उसका निवारण नहीं है ।उसके लिए उसे ई वे बिल को कैंसिल करना होगा। तथा नया ई वे बिल जनरेट किया जाएगा।ई वे बिल जनरेट करने के समय से 24 घंटे के अंदर कैंसिल किया जा सकता है।

गुड्स परिवर्तन की स्थिति में

माल के परिवहन के समय ई वे बिल में हमेशा उस वाहन का नंबर जिससे परिवहन किया जा रहा है ।दर्ज होना आवश्यक है ।यदि ई waybill जनरेट करने के बाद या ट्रांसपोर्टर के द्वारा माल की आवाजाही  शुरू करने के बाद या वाहन के खराब होने के कारण वाहन नंबर बदलने की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे मामलों में ई वे बिल का ट्रांसपोर्टर या जनरेट करने वाले के द्वारा वाहन संख्या को अपडेट किया जा सकता है।

अपंजीकृत ट्रांसपोर्टर होने पर

कुछ ऐसे ट्रांसपोर्टर हो सकते हैं। जो वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत रजिस्टर्ड ना हो। यदि ऐसे ट्रांसपोर्टर अपने  माल का परिवहन करना चाहते हैं। तो सप्लायर द्वारा e way bill  जनरेट करके उसमें वाहन संख्या दर्ज करनी जरूरी है।

ई वे बिल पोर्टल पर ट्रांसपोर्ट को अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन के तौर पर 15 डिजिटल की एक विशिष्ट संख्या उसे आवंटित की जाएगी जिसका वह प्रयोग करेगा।

सप्लायर द्वारा अपने व्यवसाय स्थल से ट्रांसपोर्टर के स्थान तक ई वे बिल में वाहन संख्या दर्ज होना आवश्यक नहीं है ।यह दूरी 10 किलोमीटर के अंदर होनी चाहिए।

अधिसूचना के अनुसार घोषित 154 कर मुक्त वस्तुओं (नियम 138(14) के अन्तर्गत)को छोड़कर रुपए 50,000=00 से अधिक मूल्य के सभी करयोग्य सामानों के परिवहन के लिए ई वे बिल अनिवार्य है।

ट्रांसपोर्ट द्वारा एक वाहन में विभिन्न करदाता का माल सप्लाई के लिए जाता है। जिसके लिए ट्रांसपोर्टर एक ई वे बिल अर्थात  एक समेकित (Consolidated )ई वे बिल जारी कर सकता है।

E WAY bill को 24 घंटे के अंदर रद्द किया जा सकता है । बशर्त  माल का परिवहन नहीं हुआ हो या किसी कर प्राधिकारी द्वारा माल की चेकिंग ना की गई हो ।तो इसे रद्द किया जा सकेगा। ई-वे बिल रद्द करने के लिए जो माल परिवहन किया जा रहा है। ई वे बिल दूसरी वस्तु का है तो ऐसी स्थिति में रद्द किया जा सकता है।

ई वे बिल का रिजेक्शन

सप्लायर  माल का परिवहन करेगा वह ई-वे बिल तैयार करेगा ।लेकिन माल के प्राप्तकर्ता के रूप में सामान्य एक प्रावधान है। कि  वह उसे माल और ई वे बिल को स्वीकार करें या नहीं। जिसके लिए वह 72 घंटे के अंदर अपनी पोर्टल / ई वे बिल पोर्टल के माध्यम से रद्द दर्ज करेगा।

कुछ माल के परिवहन में ट्रांसपोर्टर द्वारा कई वाहनों का प्रयोग किया जाता है जिसके लिए वह ई वे बिलों में बिलों में वाहन संख्या का अपडेट करेगा।

ई वे बिल की वैधता प्रत्येक 200 किलोमीटर के लिए एक दिन तथा उसके बाद प्रत्येक 200 किलोमीटर या उसके भाग के लिए एक अतिरिक्त दिन के लिए वह वैध होगा। उत्तर प्रदेश माल एव सेवा कर नियमावली 2021 48 वा संशोधन के द्वारा दिनांक 1 जनवरी 2021 से 100 किलोमीटर के स्थान पर 200 किलोमीटर प्रतिदिन स्थापित किया गया है। तथा 200 किलोमीटर से अगले 200 किलोमीटर के लिए एक अतिरिक्त दिन स्थापित किया गया है।

ई-वे बिल जनरेट करने के तरीके

ई-वे बिल निम्नलिखित तरीकों में से किसी एक के द्वारा तैयार किया जा सकता है

1. एंड्राइड ऐप का उपयोग करना

2. Web आधारित प्रणाली का उपयोग करना

3. एसएमएस आधारित सुविधा का उपयोग करना

4. वस्तुऔर सेवा कर सुविधा प्रदाता का उपयोग करना

5. साइट टू साइट एकीकरण का उपयोग करना

करदाता को उन मोबाइल नंबरों को ई वे बिल पोर्टल पर रजिस्टर्ड करना होता है। जिनके माध्यम से वह ई वे बिल जनरेट करना चाहता है। ई वे बिल जनरेट करने के लिए एंड्राइड ऐप का भी प्रयोग किया जा सकता है।

करदाता को उन मोबाइल नंबर केIMEI  नंबरों को ई वे बिल सिस्टम पर रजिस्टर्ड करना होता है। जिनके माध्यम से वह ई वे बिल जनरेट करना चाहता है।

करदाता को अपने सिस्टम के सर्वर के विवरण को रजिस्टर्ड करना चाहिए ।जिसके माध्यम से वह ई वे बिल प्रणाली के API (Application Programming Interface) का उपयोग करके ई वे बिल जनरेट करना चाहता है।

ई वे बिल सभी प्रकार के लेनदेन के संबंध में गुड्स के परिवहन के लिए जैसे राज्य के भीतर /अंतरराष्ट्रीय या इनवार्ड सप्लाई चाहे राज्य के भीतर हो या अंतरराष्ट्रीय हो ।जिसमें  अपंजीकृत व्यक्ति से या ई वे बिल के अलावा अन्य कारणों से भी शामिल हो हैं।उनके लिए भी ई वे बिल कंपलसरी है।

प्रत्येक रजिस्टर्ड करदाता को निर्धारित सीमा से ऊपर ई वे बिल जनरेट करना अनिवार्य है ।यदि वह ई वे बिल जनरेट करने में असमर्थ है। तो ट्रांसपोर्टर को ई वे बिल जेनरेट करना चाहिए। यदि माल का परिवहन एक है पंजीकृत करदाता द्वारा किया जा रहा है। तो  भी वह ई वे बिल जनरेट कर सकता है।

माल के परिवहन के विभिन्न तरीकों में ई वे बिल और विवरण का एंट्री होना अनिवार्य है ।कोई भी परिवहन के विभिन्न माध्यम जैसे सड़क/ रेल /जहाज के माध्यम से माल का परिवहन कर सकता है । लेकिन ई वे बिल को परिवहन के साधन या परिवहन संख्या के अनुसार रजिस्टर्ड करना आवश्यक है। अर्थात करदाता द्वारा किसी भी समय पोर्टल पर ई वे बिल में दर्ज विवरण का रजिस्ट्रेशन पोर्टल के माध्यम से करना होगा।

माल के परिवहन के समय प्रभारी व्यक्ति के पास टैक्स न्वॉयस या सप्लाई  बिल या डिलीवरी चालान जैसा भी हो लीगल डॉक्युमेंट्स साथ होना अनिवार्य है ।और ई वे बिल की प्रति संलग्न होनी चाहिए।

ई वे बिल के लिए जीएसटी करदाता का पंजीकरण

वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत पंजीकृत करदाता अपने जीएसटीएन का उपयोग करके यह E WAY BILL के पोर्टल पर पंजीकरण करेगा ।एक बार जीएसटी में दर्ज करने के बाद पोर्टल उसके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजता है। और प्रमाणित करने के बाद पोर्टल उसे ई वे बिल प्रणाली के लिए अपना उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड उत्पन्न करने में सक्षम करता है। करदाता द्वारा अपनी पसंद का यूजरआई डी/पासवर्ड रख सकता है।

कुछ न्यायिक निर्णय

1. यूपी कर अधिवक्ता संघ संगठन v/s State of UP 2018 में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा स्पष्ट किया गया। कि उत्तर प्रदेश सरकार को यह अधिकार है। कि जिस विषय पर जीएसटी परिषद नियम नहीं बना सकी है ।उसके संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना और परिपत्र उचित है। इस प्रसंग में अप कर अधिवक्ता संगठन ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 में अधिसूचना और परिपत्र के द्वारा ई वे बिल के संदर्भ में अपनी व्यवस्था लागू की थी ।जिसका विरोध किया गया था।

उत्तर प्रदेश में ई वे बिल की स्थापना के संबंध में कुछ तथ्य निम्न प्रकार है

उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम की नियमावली के चतुर्थ संशोधन दिनांक 20 सितंबर 2017 से इसे स्थापित किया गया था। दिनांक 20 सितंबर 2017 से नियम 138 को प्रभावी किया गया था ।इसके पश्चात उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर नियमावली 2018 के 13वें संशोधन  में दिनांक 31. 1. 2018 द्वारा नियम 138 को दिनांक 1 फरवरी 2018 से स्थापित किया गया था।

उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर नियमावली 2018 जिसे 14वां संशोधन कहा गया। जिसे दिनांक 26 मार्च 2018 को स्थापित किया गया ।और 26 मार्च 2018 से इसे प्रभावी किया गया।

उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर नियमावली 2018 जिसमें 15वां संशोधन किया गया और दिनांक 5 अप्रैल 2018 से नियम 138 को प्रभाव किया गया।

2. अनुज जनरल स्टोर बनाम स्टेट ऑफ़ यूपी 2018 की रिट में करदाता द्वारा उत्तर प्रदेश माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 68 धारा 129(1) के अंतर्गत माल जब्त करने के विरोध में यह याचिका दाखिल की। जिसमें माल के परिवहन के समय ही ई वे बिल जनरेट किया गया था ।लेकिन भूलवस प्रभारी व्यक्ति द्वारा व्यापर स्थल पर ही छोड़ दिया गया था ।जिस पर मान्य न्यायालय ने करदाता के तर्क को स्वीकार करते हुए ।बैंक गारंटी के आधार पर माल को और मुक्त करने के लिए आदेश जारी किया है।

नए संशोधन

1. यह कि जीएसटी पोर्टल पर ई वे बिल के संबंध में 2FA  अर्थात दो मानक प्रमाणीकरण शुरू कर दिया है। जिसमें उन्होंने रुपए 20 करोड़ से अधिक टर्नओवर के करदाता को अनिवार्य कर दिया है ।तथा रुपए 20 करोड़ से कम के करदाताओं के लिए 6 माह की अंडरटेकिंग के आधार पर यह प्रक्रिया शुरू कर दी है ।अर्थात जब कोई करदाता E WAY BILL बनना हैं।तो उसे पोर्टल पर अपनी आउटवार्ड सप्लाई के आधार पर टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन 2FA का पालन करना होगा। यह

2. यह कि 15/ 12/ 2023 से E इन्वॉइसिंग अपलोड के लिए₹ 5 करोड़ से अधिक के करदाता के लिए 6 डिजिट एचएसएन कोड कंपलसरी कर दिए गए हैं। इसके संदर्भ में 2020 का नोटिफिकेशन 78 का संदर्भ ग्रहण कर सकते हैं ।जिसमें एचएसएन कोड के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं। जब ई इन्वॉइसिंग में एचएसएन कोड टर्नओवर के हिसाब से निर्धारित किए गए हैं तो इस प्रकार ई वे बिल भी उसी के अनुरूप जनरेट किए जाएंगे।

यह लेखक के निजी विचार है।

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