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CA Sudhir Halakhandi

जी.एस.टी. को लेकर हमने जो हिन्दी में आपको लेख भेजे और इसके अतिरिक्त हमने जो ऑडियो सीरिज प्रारम्भ की है उसके बाद हैं कई सवाल प्राप्त हुए है जिनके जवाब आम करदाता के लिए जानना इसलिए जरुरी है क्यों कि इन भ्रांतियों के साथ यदि करदाता जिनमें लाखों की संख्या में छोटे एवं मझोले करदाता भी शामिल है यदि असमंजस और भ्रांतियों के साथ जी.एस.टी. में जायेंगे तो वे भी कठिनाई का सामना करेंगे और यदि असमंजस और भ्रम की स्तिथी में करदाता रहे तो उन्हें जी.एस.टी. की प्रक्रियाएं और भी कठिन लगेंगी.

आइये आज से प्रारभ करते है आपके कुछ सवालों के साथ एक नयी श्रंखला और इसमें आपका सहयोग ये चाहिए कि आप अपने सवाल लगातार हमारे व्हाट्स एप्प 98280-67256 भेजें और क्यों कि सवाल पूरे भारत से आ रहें है इसलिए जो सवाल हमारे हिसाब से ज्यादा करदाताओं को प्रभावित  करते हैं उन्हें हम पहले ले रहे हैं कृपया सहयोग बनाए रखें और थोड़ा इन्तजार करें लेकिन जो सवाल हम यहाँ ले रहें है भले ही आप में से किसी ने भी भेजे हो ये प्रभावित तो ये सभी को करते हैं इसलिए इन्हें आप पढ़ें , समझें और फॉरवर्ड करें  .

प्रश्न :-

जी.एस.टी. को लेकर जो माइग्रेशन का कार्य हुआ था उसमें हम अपना माइग्रेशन नहीं करवा पाए और इस समय हमें यह जानकारी मिली है कि जी.एस.टी. माइग्रेशन का कार्य बंद हो चुका है . अब हम किस तरह जी.एस.टी. में रजिस्ट्रेशन करवा पाएंगे?

उत्तर :-

जी.एस.टी. पोर्टल पर इस समय जी.एस.टी. माइग्रेशन बंद है लेकिन सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि अतिशीघ्र यह प्रक्रिया फिर से प्रारंम्भ होगी . अभी तक जो प्राप्त समाचार है उनके अनुसार एक जून 2017 से यह प्रक्रिया फिर से प्रारम्भ होगी उर इसके लिए 15 का संमय फिलहाल और दिया जायगा.

प्रश्न :-

हम वेट एवं सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड है और हमारे द्वारा भरे हुए रिटर्न में कुछ ना कुछ कर आगे ले जाने को बकाया रहता है. इस बकाया का क्रेडिट हमें किस प्रकार से जी.एस.टी. के दौरान मिलेगा ?

उत्तर :-

आपका जो अधिक कर एक्स्सस इनपुट क्रेडिट के रूप में आपके जी.एस.टी. लागू होने के ठीक पहले वाले रिटर्न अर्थात इस समय लागू कर प्रणाली के अंतिम रिटर्न में आ रहा है वह आपका जी.एस.टी. के दौरान इनपुट क्रेडिट का प्रारम्भिक शेष होगा.

वेट का अंतिम शेष एस.जी.एस.टी. का प्रारम्भिक शेष होगा और सेंट्रल एक्साइज का अंतिम शेष सी.जी.एस.टी. का प्रारभिक शेष होगा.

इसके लिये जरुरी यह है कि यह क्रेडिट जी.एस.टी. के दौरान भी स्वीकृत होनी चाहिए तथा एक निर्धारित फॉर्म में वांछित सूचनाये जी.एस.टी. पोर्टल पर जी.एस.टी लगने के 60 दिन के भीतर प्रस्तुत कर दी गई हो.

प्रश्न :-

हम केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन हमारे पास जो माल स्टॉक में रहता है उस पर सेंट्रल एक्साइज लगता है और हमारे बिल में यह सेंट्रल एक्साइज लगा हुआ दिख भी रहा है . इसका क्रेडिट हमें क्या जी.एस.टी. के दौरान मिल जाएगा ? यदि हाँ तो किस तरह से मिलेगा ?

उत्तर :-

ऐसी अवस्था में जिस माल का स्टॉक आपके पास है वह जी.एस.टी. में भी करयोग्य रहता है या यह कच्चा माल है या अर्धनिर्मित माल है जिससे बनने वाले माल पर जी.एस.टी. लगता है तो आपके बिल में या चालान में ऐसा कोई कर लगा है तो आपको उसकी छ्ट मिल जायेगी .

यहाँ यह विशेष रूप से ध्यान रखें कि आपका यह बिल /चालान जी.एस.टी. लागू होने की तारीख से 12 माह से ज्यादा पुराना नही होना चाहिए .

प्रश्न :-

हम केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन हमारे पास जो माल स्टॉक में रहता है उस पर सेंट्रल एक्साइज लगता है और हमारे बिल में यह सेंट्रल एक्साइज लगा हुआ दिख नहीं रहा है  .इसका क्रेडिट हमें क्या जी.एस.टी. के दौरान मिल जाएगा ? यदि हाँ तो किस तरह से मिलेगा ?

उत्तर :-

इस अवस्था में पहले आप इस माल पर सी.जी.एस.टी. चुकायेंगे और फिर इस कर का जो इस माल पर आपने चुकाया है जो कि आपके स्टॉक का हिस्सा था उस कर का 40 प्रतिशत आपको फिर से इनपुट क्रेडिट के रूप में क्रेडिट कर दिया जाएगा.

यह माल आपको जी.एस.टी. लगने के 6 माह के भीतर ही बेचना होगा यदि आप इस तरह से इनपुट क्रेडिट का लाभ लेना चाहते है और जो माल स्टॉक में से 6 माह बाद भी शेष रह जाएगा उस पर कोई भी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगी .

प्रश्न :-

इस समय हमारे राज्य में जो वेट लागू है उसमे मिसमैच एक बहुत ही बड़ी समस्या है और जब हमारा कर निर्धारण हो जाता है तो जो कर हमारे विक्रेता नहीं जमा कराते है या हमें बेचे गए माल की विगत नियमानुसार अपने रिटर्न में नहीं देते है तो यह कर हमारे खाते में मिस मैच आ जाता है और यह कर हमसे ब्याज सहित माँगा जाता है.

क्या जी.एस.टी. के दौरान भी यह समस्या बनी रहेगी ?

उत्तर :-

यदि आपके विक्रेता आप को बेचे गए माल पर कर नहीं चुकाते है या इसकी विगत अपने बिक्री के रिटर्न में समुचित रूप से नहीं दिखाते है तो आपको यह मौक़ा मिलेगा कि आप इसमें जब यह आपके  खरीद के रिटर्न में अपने आप आये तो आप इसमें संशोधन कर सकते है लेकिन यदि यह संशोधन आपके विक्रेता द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है तो यह एक मिसमैच होगा और इसे आपके कर में जोड़ दिया जाएगा और इसे आपको जमा कराना होगा.

इस तरह अब सरकार मिस्मैच को लेकर लंबा इन्तजार करने को तैयार नहीं है .

इस तरह से जब विक्रेता अपने रिटर्न सही करके इनपुट् क्रेडिट देगा तब यह क्रेडिट फिर से आपको मिल जायेगी . लेकिन अब आपको माल खरीदते वक्त सतर्क रहना होगा और आपके विक्रेताओं को भी प्रेरित करना होगा कि वे समय पर कर जमा कराएं और रिटर्न सही-सही भरे और इसके साथ ही आप जहाँ विक्रेता है वहाँ आप भी अपने रिटर्न सही – सही भरें ताकि आपके क्रेता किसी परेशानी में नहीं पड़े.

प्रश्न :-

हम एक रजिस्टर्ड डीलर है और इस समय जब हम अनरजिस्टर्ड डीलर्स से माल खरीदे है तो हमें इन्पुट क्रेडिट नहीं मिलती है लेकिन हमने अब यह सुना है की जी.एस.टी. के दौरान इस संम्बंध में अर्थात अनरजिस्टर्ड डीलर्स से खरीद के सबंध में प्रक्रिया बदल गई है .

अब यदि हम अन रजिस्टर्ड डीलर्स से माल खरीदते है तो जी.एस.टी. के दौरान क्या नया होगा ?

उत्तर :-

अभी तो आपको क्यों कि आप अनरजिस्टर्ड डीलर्स से माल खरीदते है तो आपको इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती है क्यों कि आप इस खरीद पर किसी भी तरह का कर नहीं देते है लेकिन अब यह प्रक्रिया जी.एस.टी. के दौरान बदल जायेगी.

जी.एस.टी. के दौरान यदि आप अनरजिस्टर्ड डीलर्स से माल खरीदते है तो आपको इस पर रिवर्स चार्ज के तहत कर भरना होगा और फिर जब आप इस माल को बेचेंगे तो आप को इसकी क्रेडिट मिल जायेगी लेकिन यदि इस टैक्स की इनपूट लेने के योग्य  नहीं है तो यह कर आपको भुगतना होगा.

इसके अलावा यदि आप कम्पोजीशन डीलर है और आप अनरजिस्टर्ड डीलर्स से माल खरीदते है तो भी आपको इसी रिवर्स चार्ज के तहत कर चुकाना होगा और यह कर चुकाने के बाद आपको कम्पोजीशन कर का भी भुगतान करना होगा.

प्रश्न :-

रजिस्ट्रेशन से लिए क्या टर्नओवर की लिमिट रहेगी ? यदि हम एक से अधिक राज्य में काम करते है तो यह लिमिट किस तरह से लागू होगी ?

क्या कुछ विशेष राज्यों के लिए यह लिमिट अलग है ?

उत्तर :-

जी.एस.टी. के दौरान टर्नओवर की लिमिट 20 लाख रुपये होगी . इसमें करयोग्य , करमुक्त , जो करयोग्य माल नहीं है वह सभी जोड़ा जाएगा और इसमें पूरे भारत में एक ही पेन से रजिस्टर्ड सभी डीलर्स के टर्नओवर को जोड़ दिया जाएगा .

इसा प्रकार यदि आप एक राज्य से अधिक राज्य में रजिस्टर्ड है तो सबका टर्नओवर जोड़ दिया जाएगा.

उत्तर-पूर्व के राज्यों एवं कुछ विशिष्ठ राज्यों में यह सीमा 10 लाख रूपये है.

प्रश्न :-

जी.एस.टी. के दौरान दो टैक्स होंगे तो क्या हमें रिटर्न भी दो अलग—अलग विभागों में भरने होंगे और क्या हमारा कर निर्धारण भी दो अलग – अलग विभागों में अलग-अलग होगा ?

उत्तर :-

सरकार ने प्रारम्भ से ही वादा किया था कि भले ही कर दो हो लेकिन रिटर्न एक ही रहेगा अर्थात जितने भी रिटर्न होंगे उनमें ही सी.जी.एस.टी. और एस.जी.एस.टी. दोनों की ही विगत होगी और इसके लिए अलग –अलग रिटर्न नहीं भरने होंगे.

आपका कर निर्धारण भी एक ही जगह होगी अर्थात या तो आपका कर निर्धारण राज्य के कर निर्धारण अधिकारी द्वारा किया जाएगा या फिर केंद्र के कर निर्धारण अधिकारी द्वारा किया जाएगा अर्थात एक ही डीलर को एक ही वर्ष में दोनों अधिकारियों के द्वारा कर निर्धारण नहीं करवाना होगा . इस प्रकार डीलर्स पर दो कर होते हुए भी दोहरा नियंत्रण नहीं होगा.

प्रश्न :-

यदि एक डीलर का कर निर्धारण एक ही अधिकारी द्वारा होना है तो यह कैसे तय होगा कि कौनसा डीलर कर निर्धारण के लिए राज्य के पास रहेगा और कौनसा डीलर केंद्र के पास रहेगा.

उत्तर :-

150 लाख रुपये की बिक्री से अधिक के डीलर्स के नियंत्रण को राज्य और केंद्र के बीच सहमती के तहत  50 : 50 के अनुपात में बांटा जाएगा अर्थात कुल डीलर्स के 50 प्रतिशत पर राज्य नियंत्रण रखेंगे और शेष 50 प्रतिशत पर केंद्र नियंत्रण रखेगा.

इन्हें अंतिम रूप से किस तरह से राज्य और केंद्र के बीच बांटा जायगा यह अभी तय नहीं है और इसके लिए कोई  औड / ईवन (odd/even) जैसा कोई फार्मूला भी हो सकता है जो कि डीलर्स के लिए एक भ्रम और असमंजस की स्तिथी पैदा कर सकता है.

प्रश्न :-

हम एक व्यापारी है और किसी भी प्रकार की वास्तु का  निर्माण नहीं करते हैं क्या जी.एस.टी. के तहत हमें स्टोक की पूरी विगत रखनी होगी ?

उत्तर :-

हाँ यदि  आप निर्माता नहीं है और केवल एक डीलर है तो भी आपको अपना स्टॉक का हिसाब पूरा –पूरा रखना होगा . इसके लिए जी.एस.टी.. कानून की धारा 35  में प्रावधान किया गया है जिसमें सभी डीलर्स को अपने स्टोक का हिसाब रखना होगा.

जिस प्रकार से यह प्रावधान बनाए गए है उनके अनुसार कम्पोजीशन डीलर्स को भी स्टॉक का हिसाब रखना होगा.

प्रश्न :-

क्या जी.एस.टी. के दौरान सी –फॉर्म एकत्र करने की समस्या रहेगी या समाप्त हो जायेगी ?

उत्तर :-

जी.एस.टी. के दौरान दो राज्यों के मध्य होने वाले व्यापार को आई.जी.एस.टी. के द्वारा संचालित किया जाएगा और केन्द्रीय बिक्री कर (CST ) समाप्त हो जायगा इसलिए सी –फॉर्म एकत्र करने की कोई समस्या नहीं रहेगी . आई.जी.एस..टी. में भी किसी फॉर्म से समर्थित किसी बिक्री का कोई प्रावधान नहीं है .

प्रश्न :-

और एफ – फॉर्म अर्थात डिपो ट्रान्सफर का क्या होगा ? जारी रहेंगे या समाप्त हो जायेगी .

उत्तर :-

जी.एस.टी. के दौरान माल को बेचने और भेजने के अंतर को समाप्त कर दिया है और चूँकि जी.एस.टी. बिक्री की जगह सप्लाई पर लगने वाला कर है अत: कर देयता के लिए अब माल को बेचना और बिक्री के लिए भेजना दोनों ही एक ही है .

इसलिए डिपो ट्रान्सफर जहाँ माल बिक्री के लीये भेजा जाता है भी सप्लाई में शामिल होगा और उस पर बिक्री की तरह ही कर देना होगा और अब ऍफ़-फॉर्म या इस तरह का कोई भी फॉर्म नहीं रहेगा.

प्रश्न :-

इस समय रोड परमिट माल के लाने ले जाने के लिए लागू होता है और यह एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री करने पर लागू होता है . क्या जी.एस.टी के दौरान यही व्यवस्था रहेगी या रोड परमिट से हमें छुटकारा मिल जाएगा ?

उत्तर :-

-50000.00 रूपये से अधिक के प्रत्येक जिसमे माल का मूवेमेंट हो रहा है उस पर यह इलेक्ट्रोनिक वे-बिल जारी करना होगा चाहे यह मूवमेंट माल की सप्लाई के लिए हो या किसी और कारण से.

आप यह मान कर चले कि 50000.00 रूपये से अधिक का माल बिना इलेक्ट्रोनिक वे-बिल के मूव नहीं कर पायेगा. अब आप इस मूव का अर्थ मॉल को बेचना और भेजना दोनों ही लगा सकते है और चूँकि यह मूव सप्लाई के अलावा भी सारे माल के मूवमेंट को कवर करता है इसलिए अभी तक जो सूचना उपलब्ध है उसके अनुसार 50000.00 रूपये के अधिक के माल के हर मूवमेंट के लिए इलेक्ट्रोनिक वे-बिल जारी करना होगा .

इस प्रकार आप यह समझ लें कि रोड परमिट जो इस समय जारी है वे अपने और विस्तृत स्वरुप में मौजूद रहेगे .

प्रश्न :-ये इलेक्ट्रोनिक वे-बिल कहाँ से जारी होगा ?

उत्तर :-

-ये इलेक्ट्रोनिक वे-बिल जी.एस.टी. कॉमन पोर्टर से जारी होगा और आपको इसे कंप्यूटर और इन्टरनेट की मदद से जारी करना होगा. इस इलेक्ट्रोनिक वे-बिल के लिए बिल/ चालान की विगत तो आप जी.एस.टी. पोर्टल पर अपलोड करेंगे और उसके बाद या तो आप या आपका या खरीददार का ट्रांसपोर्टर आप द्वारा बिल की अपलोड की गई विगत से इलेक्ट्रोनिक वे-बिल जारी करेंगे .

प्रश्न :-

क्या जी.एस.टी. के दौरान कोई कमोजीशन स्कीम भी लागू होगी ? क्या सेवा प्रदाता और निर्माता भी कम्पोजीशन कर  का लाभ ले सकेंगे ?

उत्तर :-

जी.एस.टी. के दौरान 50.00 लाख रूपये के टर्नओवर तक के डीलर्स के लिए कम्पोजीशन कर की स्कीम लागू होगी और इसमें निर्माता भी शामिल होंगे लेकिन यह स्कीम सेवा प्रदाताओं (service providers)  के लिए लागू नहीं होगी लेकिन इसका भी एक अपवाद है और वह यह ही कि यह स्कीम रेस्टोरेंट्स पर भी लागू होगी अर्थात 50.00 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाले रेस्टोरेंट्स भी इस स्कीम का लाभ ले सकेंगे.

प्रश्न :-

कम्पोजीशन कर की दरें क्या होंगी ?

डीलर का विवरण सी.जी.एस.टी. के तहत कम्पोजीशन कर की अधिकत्तम दर.   एस.जी.एस.टी. के तहत कम्पोजीशन कर की अधिकत्तम दर अधिक प्रभावी कम्पोजीशन दर (एस.जी.एस.टी. + सी.जी.एस.टी.
ट्रेडर्स अर्थात वे डीलर्स जो सिर्फ खरीद बिक्री करते है . आधा प्रतिशत- 0.50 प्रतिशत
आधा प्रतिशत- 0.50 प्रतिशत एक प्रतिशत -1%
रेस्टोरेंटस ढाई प्रतिशत  2.50 प्रतिशत ढाई प्रतिशत  2.50 प्रतिशत पांच प्रतिशत -5%
निर्माता एक प्रतिशत- 1 प्रतिशत   एक प्रतिशत- 1 प्रतिशत दो प्रतिशत – 2%

प्रश्न :-

क्या कम्पोजीशन डीलर्स राज्य के बाहर से माल खरीद सकेंगे ?

उत्तर :-

हाँ कम्पोजीशन डीलर राज्य के बाहर से माल खरीद सकेंगे जिस पर वे आई.जी.एस.टी. (IGST) का भुगतान करेंगे और राज्य में फिर से बचते हुए कम्पोजीशन कर का भुगतान करेंगे.

प्रश्न :-

वे अन रजिस्टर्ड डीलर्स से भी माल खरीद सकेंगे ?

उत्तर :-

हाँ कम्पोजीशन डीलर्स अनरजिस्टर्ड डीलर्स से भी माल खरीद सकेंगे लेकिन ऐसी खरीद पर उन्हें पहले रिवर्स चार्ज (खरीद पर खरीददार द्वारा चुकाया जाने वाला कर ) के तहत नियमानुसार सी.जी.एस.टी. एवं एस.जी.एस.टी. चुकाना पडेगा और उसके बाद वे जब इस माल को बेचेंगे तो वे कम्पोजीशन कर का भुगतान करेंगे .

प्रश्न :-

क्या कम्पोजीशन डीलर राज्य के बाहर भी माल बेच सकेंगे ?

उत्तर :-

नहीं कम्प्जीशन डीलर्स राज्य के बाहर माल नहीं बेच सकेंगे आर यदि उन्हें कम्पोजीशन का लाभ लेना है तो उन्हें ध्यान रखना होगा कि वे माल राज्य के भीतर ही बेचे.

प्रश्न :-

जी.एस.टी. के दौरान करों की दरें क्या अंतिम रूप से तय कर दी गई हैं ? यदि नहीं तो क्या संम्भावना बनती है कि कब तक यह दरें तय कर घोषित कर दी जायेंगी ?

उत्तर :-

जी.एस.टी. की दरें अभी अंतिम रूप से तय नहीं की गई है और यह कार्य शीघ्र ही जी.एस.टी. कौंसिल को करना है .

लेकिन अभी प्राप्त समाचारों के अनुसार यह दरें जी.एस.टी. लगने की तारीख के ठीक पूर्व जारी की जायेंगी.

प्रश्न :- इस समय जो वस्तुएं कर मुक्त है क्या वे जी.एस.टी. के दौरान भी करमुक्त रहेंगी क्या इस तरह की सम्भावना बनती है .

उत्तर :-

अभी करमुक्त वस्तुओं की कोई सूचि तो जारी नहीं हुई है अभी लेकिन इस समय तक जो समाचार मिल रहें है उनके अनुसार आप यह उम्मीद कर सकते है कि अभी जो वस्तुएं करमुक्त है वे सभी, कुछ अपवादों को छोड़कर , करमुक्त रहने की संभावना  है .

लेकिन इस सम्बन्ध में  अंतिम सूचि जो जारी होगी वह जी.एस.टी.लागू होने की तारीख के ठीक पहले जारी की आयेगी ऐसी सम्भावना है इसलिए आपको तब तक तो इन्तजार करना ही होगा.

प्रश्न :-

कुछ समय पूर्व दरों के सम्बन्ध में जो ख़बरें आई थी वे किन दरों के सम्बन्ध में थी जिनमे 5 % 12 % इत्यादि दरों का जिक्र था.

उत्तर :-

प्रत्येक वस्तु पर कर की दर क्या रहेगी यह अभी तय होना बाकी है . जिन दरों का आप जिक्र कर रहें है वे दरों का मूल स्वरुप है जिसे जी.एस.टी. कौंसिल ने तय किया है जिसके अंतर्गत अब वस्तुओं पर लगने वाली अलग –अलग दरें तय होंगी .

खाध्यान सहित आवश्यक उपभोग की कई वस्तुओं को टैक्स फ्री रखा जा रहा है . इस लिहाज से उपभोक्ता मूल्‍य सूचकांक में शामिल तमाम वस्तुओं में से करीब 50 प्रतिशत वस्तुओं पर कोई कर नहीं लगेगा और यह वस्तुएं करमुक्त की श्रेणी में आयेंगी . इस प्रकार आप मान सकते है कि गेंहू , चावल , दालें , मक्का , बाजरा इत्यादि जो इस समय अधिकाँश राज्यों में करमुक्त है के जी.एस.टी. के दौरान भी करमुक्त रहने की पूरी संभावना है .

प्रश्न :- अन्य दरों में कौन – कौन सी वस्तुएं समाहित होंगी ?

सबसे निम्न दर आम उपभोग की वस्तुओं पर लागू होगी जो कि 5 प्रतिशत की दर होगी . शेष वस्तुओं पर या तो 12 प्रतिशत कर की दर होगी या फिर 18 प्रतिशत जिसे की “स्टैण्डर्ड रेट” कहा गया है. सबसे ऊंची दर विलासिता और तंबाकू जैसी अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत लागू होगी. ऊंची दर के साथ इन पर अतिरिक्त उपकर भी लगाया जायेगा.

प्रश्न :-

हम एक थोक व्यापारी है और हम जो माल बेचते है  उसका भुगतान हमें प्राप्त नहीं होता है और कई बार कई वर्ष बीता जाने पर भी भुगतान प्रात नहीं होता है लेकिन हमें तो उस बिक्री पर कर समय से चुकाना होता है . जी.एस.टी. एक नया कानून है क्या इस समस्या का हल करने का कोई प्रयास जी.एस.टी. के दौरान किया गया है ?

उत्तर :-

आपके क्रेत्ता आपको समय पर भुगतान नहीं करते है यह आपके और आपके क्रेताओं के व्यापारिक संम्बंधों की बात है और जी.एस.टी. कानून में भी आपको समय पर ही कर चुकाना होगा भले ही आपके क्रेता आपको समय भुगतान करे या नहीं और यदि वे आपको भुगतान नहीं करते है तो भी आपको कर चुकाना होगा.

लेकिन आपके क्रेताओं को इस बात के लिए प्रोहत्साहित करने या उन्हें आपको भुगतान करने के लिए मजबूर करने के लिए जी.एस.टी. कानून में एक प्रावधान बनाया गया है जिसके तहत यदि कोई क्रेता अपने विक्रेता को माल खरीदने के 180 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करते है तो उनकी ऐसे माल पर जिसका भुगतान नहीं करते है की इनपुट क्रेडिट तब तक के लिए कैंसिल कर दी जायेगी और यह क्रेडिट उन्हें उस वक्त ही मिलेगी जब कि वे अपने विक्रेताओं को भुगतान कर दे.

प्रश्न :-

जी.एस.टी. के दौरान क्या गिरफ्तारी (अरेस्ट ) के भी प्रावधान है ? क्या इस तरह के प्रावधान भारत के अप्रत्यक्ष कर काननों में पहली बार बनाये गए है ? इस प्रावधान की संक्षिप्त व्याख्या करें.  

उत्तर :- ये आज की हमारी इस श्रंखला का अंतिम एवं सबसे ज्यादा चर्चित एवं सबसे ज्यादा बार पूंछा जाने वाला प्रश्न है . आइये इसके बारे में थोड़ा विस्तार से चर्चा करें ताकि इस संम्बंध में आपका कोई भ्रम हो तो दूर हो जाए.

जी.एस.टी. के दौरान गिरफ्तारी के प्रावधान है लेकिन वे 2 करोड़ रूपये अधिक की कर चोरी के प्रकरण में है . जिस व्यक्ति को इस आरोप में  गिरफ्तार किया जाता है उसे लिखित में इसका कारण बताना होगा .

यदि गैर जमानती आपराध में गिरफ्तार किया गया है तो  उसे 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट  के समक्ष पेश करना होगा और यदि जमानत योग्य अपराध में गिरफ्तार किया है तो सहायक आयुक्त या उपायुक्त (केंद्र या राज्य जी.एस.टी.) उसे नियमानुसार  जमानत पर रिहा कर सकेंगे   .

ये बहत बड़े मामले में होगा और इसके लिए केवल कमीश्नर ही फैसला ले सकते हैं  और वे  जिस ऑफिसर को अधिकृत करेंगे वही गिरफ्तारी की यह कार्यवाही कर सकेंगे और ऐसा करते समय उन्हें भारतीय दंड संहिता के तहत इस तरह की गिरफ्तारियों को करते समय जो भी सावधानियां बरतनी होती है वे सभी ध्यान में रखनी होंगी.

यह बहुत ही अपवाद स्वरुप परिस्तिथियों में लगने वाला प्रावधान है और बहुत ही बड़ी रकम की कर चोरी पर यह प्रावधान कम में लिया जा सकेगा लेकिन उद्योग और व्यापार जगत कभी भी इस तरह के प्रावधानों का समर्थन नहीं करता है क्यों कि इस तरह के प्रावधानों का दुरूपयोग होने की पूरी संभवना रहती है .

इन प्रावधानों से मिलते जुलते प्रावधान इस संमय सर्विस टैक्स एवं सेंट्रल एक्साइज के कानूनों में भी है लेकिन उद्योग एवं व्यापार जगत इनको लेकर हमेशा आशंकित ही रहता है क्यों कि उनके अनुसार इस प्रकार के  प्रावधानों का दुरूपयोग होने की पूरी संभवना रहती है .

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What is Section 185 of companies act 2013?

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