जैसा की सभी को ज्ञात है । कि 1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 लागू किया गया था। जिसमें अध्याय संख्या में अपील के प्रावधान धारा से तक लागू किए गए हैं । वर्तमान स्थिति में वित्तीय वर्ष 2017-18 और 18 19 के लिए धारा 73/ 74 आदि से संबंधित आदेश पारित किया जा रहे हैं तथा प्रत्येक कर अधिवक्ता किसी न किसी वर्ष में प्रथम अपील प्रस्तुत करेगा। उसी को ध्यान में रखते हुए ।इसके संबंध में मेरे द्वारा कुछ प्रश्नों का उत्तर साधारण भाषा में तैयार किया गया है।
प्रश्न: वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम2017 में अपील क्या है?
उत्तर : वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम2017 में जब किसी करदाता के विरुद्ध कोई आदेश निर्णय जारी किया जाता है। जिससे करदाता सहमत नहीं होता है। तो वह वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 107(1) के अंतर्गत प्रथम अपील दाखिल कर सकता है। अपवाद धारा80, 121 के आदेश छोड़ कर।
प्रश्न: वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में प्रथम अपील कितने समय अवधि में दाखिल की जा सकती है?
उत्तर: वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 107 की उप धारा के अंतर्गत प्रथम अपील के लिए आदेश की सूचना की तिथि से 3 माह निर्धारित की गई है। तथा किसी उचित कारण के कारण एक माह की देरी का भी प्रावधान किया गया है(धारा 107(4) के अन्तर्गत)
प्रश्न: क्या प्रथम अपील में अतिरिक्त आधार देने की अनुमति है जिसे अपील मेमो में घोषित नहीं किया गया है?
उत्तर: हां उसके पास अतिरिक्त आधार के लिए अनुमति प्रदान करने की शक्तियां प्राप्त है। विसते प्रथम अपील अधिकारी उससे संतुष्ट हो की अपील नियमों में जानबूझकर या अनुचित नहीं किया गया है।
प्रश्न: अपील प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश किस सूचित किया जाना चाहिए?
उत्तर : अपीलीय प्राधिकारी को सीजीएसटी/एसजीएसटी क्षेत्राधिकार के कमिश्नर को एक प्रति के साथ अपील, करदाता ,प्रतिवादी और न्यायिक प्राधिकरण को आदेश की एक प्रति संचारित की जानी चाहिए।
प्रश्न: अपील करते समय प्रत्येक अपील के साथ अनिवार्य पूर्व में जमा राशि क्या होगी?
उत्तर : करदाता द्वारा कर, ब्याज, जुर्माना ,फीस और आदेश से उत्पन्न दंड की सारी रकम जिसे अपील कर्ता द्वारा स्वीकार किया गया है ।और दायर की गई अपील से संबंधित विवादास्पद टैक्स की बाकी राशि के लिए 10% समतुल्य होगी। वर्तमान में एमनेस्टी स्कीम में जिसकी अंतिम तिथि 31 जनवरी 2024 है । 10% से अलावा ढाई प्रतिशत नगद लेजर से जमा करनी होगी इसका आशय एमनेस्टी स्कीम में ढाई प्रतिशत अतिरिक्त जमा करना होगा।
प्रश्न: क्या जीएसटी विभाग अपील में अधिक पूर्व जमा राशि के लिए आवेदन कर सकता है?
उत्तर: नहीं, विभाग अपील अधिकारी के पास पूर्व जमा राशि के लिए आवेदन नहीं कर सकता।
प्रश्न: शेष राशि वसूलने की क्या प्रक्रिया होगी?
उत्तर: उपरोक्त के अनुसार पूर्व जमा की गई रकम जमा करने पर शेष राशि की वसूली स्टे मानी जाएगी। जिसे धारा 107(7) की शर्तों के अनुसार।
प्रश्न: क्या किसी अपील में अपील अधिकारी को किसी मूल अधिकारी द्वारा पारित किए गए शुल्क/ जूर्माना/ दंड को बढ़ाना /रिफंड /आईटीसी रकम को कम कर सकता है?
उत्तर: धारा 107 (11 )के प्रथम प्रावधान के अनुसार अपीलीय अधिकारी को किसी जब्ती के बदले फीस/ दंड/ जुर्माने में वृद्धि या रिफंड या इनपुट टैक्स क्रेडिट की राशि को कम करने के लिए आदेश पारित कर सशक्त किया गया है। बशर्त की अपील करने वाले व्यक्ति को प्रस्तावित आदेश के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जिसमें उचित अवसर का प्रावधान किया गया है। दिया जाना आवश्यक है जहां तक शुल्क बढ़ाने या अनुचित तरीके से आईटीसी प्राप्त करने का संबंध है ।अपील अधिकारी केवल प्रस्तावित आदेश के विरुद्ध अपील करने वाले व्यक्ति को एक विशेष कारण बताओं नोटिस देने के बाद ऐसा कर सकता है। और वह आदेश धारा 73 या 74 के अंदर अंतर्गत उल्लिखित निर्धारित समय सीमा के भीतर पारित किया जाना चाहिए। धारा 107 (11 )का दूसरा प्रावधान।
प्रश्न: क्या अपील अधिकारी किसी मामले को रिमांड कर सकता है?
उत्तर: नहीं , धारा 107 (11) की विशिष्ट रूप से व्यक्त करती है । कि अपील प्राधिकारी द्वारा कथित जांच पूरी करने के बाद जिस रूप में भी स्वीकार करें। या अस्वीकार करे। आदेश पारित कर सकता है। जैसा वह न्याय संगत और उचित समझता है ।अपील के विरुद्ध निर्णय आदेश को प्रमाणित संशोधित या निरस्त कर सकता है ।लेकिन किसी भी स्थिति में वह उसे मामले को वापस नहीं किया जा सकता। अर्थात वह अपील में स्पष्ट निर्णय देगा।
प्रश्न: क्या सीजीएसटी एसजीएसटी पुनरीक्षण अथॉरिटी अधिनियम के अंतर्गत उसके महत्व द्वारा पारित किसी आदेश को संशोधित कर सकते हैं?
उत्तर: वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 2(9 9 )पुनरीक्षण प्राधिकरण को इस अधिनियम के अंतर्गत निर्णय या धारा 108 में आदेशों में संशोधन करने के लिए एक अधिकृत प्राधिकरण के रूप में परिभाषित करती है ।वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 108 पुनरीक्षण प्राधिकरण को उसके अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा पारित किसी आदेश की मांग और निरीक्षण करने के लिए अधिकृत करती है। और यदि किसी मामले में यह विचार करता है। कि नीचे के प्राधिकारी द्वारा दिया गया आदेश त्रुटि पूर्ण है ।जहां तक राजस्व के के लिए नुकसानदायक है या अवैध अनुचित है या कुछ सामग्री के तथ्यों को ध्यान में नहीं लिया गया है। तो वह कथित आदेश के जारी होने के समय पर उपलब्ध थे या नहीं या भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अवलोकन के परिणाम स्वरूप वह यदि आवश्यक हो। तो वह करदाता को एक उचित अवसर प्रदान करने के बाद संशोधित आदेश पारित कर सकता है।
प्रश्न: क्या पुनरीक्षण प्राधिकारी द्वारा कथित संशोधन के लंबित रहने तक अपने सहायक द्वारा पारित किसी आदेश पर रोक लगाई जा सकती है?
उत्तर : जी हां, पुनरीक्षण प्राधिकरण कथित संशोधन के लंबित रहने तक अपने सहायक द्वारा पारित किसी आदेश पर रोक लगा सकता है।
प्रश्न: क्या अधिनियम में प्रॉपर अधिकारी द्वारा पारित आदेश के संशोधन के लिए वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के अंतर्गत पुनरीक्षण प्राधिकारी की शक्तियों पर कोई रोक है?
उत्तर: जी हां, पुनरीक्षण अधिकारी किसी भी आदेश में संशोधन नहीं करेगा। धारा 108(2)यदि आदेश धारा 107 या धारा 122 या धारा 117 या धारा 118 के अंतर्गत अपील के अधीन है या धारा 107 (2) के अंतर्गत जिसकी अवधि समाप्त नहीं हुई है या निर्णय या आदेश पारित करने या संशोधित आदेश के बाद 3 साल की अवधि समाप्त हो गई हो धारा161 के अंतर्गत किसी भी प्रारंभिक चरण में संशोधन के लिए आदेश पहले से ही पारित कर दिया गया हो।
प्रसन्न: जीएसटी ट्रिब्यूनल के पास अपील स्वीकार करने की शक्तियां कब उपलब्ध होगी?
उत्तर: निम्न मामलों में ट्रिब्यूनल अपील अस्वीकार कर सकता है जैसे टैक्स का अमाउंट या आईटीसी या टैक्स में अंतर या आईटीसी में अंतर या जुर्माना या फीस या पेनल्टी जो कथित आदेश के अंतर्गत निर्धारित की राशि 50000 से अधिक नहीं होगी। ट्रिब्यूनल के पास दोष युक्त अपील स्वीकार करने के लिए या अस्वीकार करने की सुरक्षा है ।जीएसटी अधिनियम की धारा 112 के अंतर्गत।
प्रश्न: ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील दायर करने की क्या समय सीमा है?
उत्तर: वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति प्रथम अपील के आदेश की प्राप्ति से 3 महीने के भीतर ट्रिब्यूनल में अपील दायर कर सकता है। तथा विभाग को समीक्षा कार्रवाई पूरी करनी होगी। संशोधन के अंतर्गत आदेश को पारित होने की तिथि 6 महीने के भीतर अपील दायर की जा सकती है।
प्रश्न: क्या ट्रिब्यूनल 3/6 महीने की अवधि के बाद अपील दायर करने के लिए माफी दे सकता है?
उत्तर: जी हां , ट्रिब्यूनल के पास 3/ 6 महीने के बाद अतिरिक्त अपील कर्ता द्वारा हुई देरी के लिए पर्याप्त स्पष्टीकरण देना होगा।
प्रश्न: ट्रिब्यूनल के समक्ष आपत्तियों के विरोध ज्ञापन तैयार करने की क्या समय सीमा है
उत्तर: अपील की प्राप्ति की तारीख से 45 दिन के भीतर।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत यदि किसी करदाता को आदेश से असंतुष्ट है ।तो वह धारा 107 के अंतर्गत प्रथम अपील प्रस्तुत कर सकता है ।धारा 107 से संबंधित कुछ प्रश्न और उत्तर पर विचार किया गया हैं ।जो आने वाले वक्त में टैक्स प्रोफेशनल के लिए उपयोगी होंगे।
यह लेखक के निजी विचार हैं।