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CA Sudhir Halakhandi

एक जुलाई 2017 आपके स्टॉक की इनपुट क्रेडिट-एक विश्लेषण-

जी.एस.टी. में 30 जून अर्थात जी.एस.टी. लागू होने की पूर्व संध्या पर जो स्टॉक डीलर्स के पास रहता है उसको लेकर एक बहुत बड़ी हलचल देश में है विशेष तौर पर इस  स्टॉक में जुड़े टैक्स , जो वेट भी हो सकता है और सेंट्रल   एक्साइज भी है और इसके साथ ही कुछ् भ्रांतियां और भ्रम भी जुड़े है तो आइये एक बार फिर हम ताजा सवालों और हाल ही में जारी इस सम्बन्ध में रूल्स को देखते हुए इस विषय पर चर्चा करते हैं.

इस चर्चा को हम प्रारम्भ करते समय इस क्रेडिट को अलग –अलग हिस्सों में बाँट देते है :-

क्र.संख्या विवरण
1. जो डीलर वेट/सेंट्रल एक्साइज दोनों में रजिस्टर्ड है.
2. जो डीलर वेट में रजिस्टर्ड है लेकिन सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है . इस प्रकार के डीलर्स के भी दो भाग किये जा सकते है :-

(अ). वे डीलर्स जो निर्माता है या व्यापारी है और जिनके पास ऐसा स्टॉक है जिस पर सेंट्रल एक्साइज लगा है और वह उनके खरीद के बिल में भी दिख रहा है – यह कच्चा माल, फिनिश्ड गुड्स , सेमी फिनिश्ड गुड्स भी हो सकता है .

(ब). वे डीलर्स (केवल व्यापारी निर्माता को छोड़कर ) जिनके  स्टॉक पर सेंट्रल एक्साइज लगा तो है लेकिन उनका बिल इसे सपोर्ट नहीं करता है – ये वो डीलर्स होते है जो सीधे निर्माता या उस डीलर से माल नहीं खरीदते है जो एक्साइज ड्यूटी का भुगतान करते हैं या उन डीलर्स से माल नहीं खरीदते है जो कि सेंट्रल एक्साइज को पास ऑन करते है तो ऐसे डीलर्स के पास जो स्टॉक है उसमें सेंट्रल एक्साइज का भुगतान निर्माता द्वारा हुआ है .

यही वे डीलर्स है जिनके बारे में भ्रम , असमंजस एवं उत्सुकता बहुत अधिक है और इनसे जुड़े प्रावधान भी आगे देखेंगे .

अभी हाल ही में जी.एस.टी. कौंसिल ने ट्रांजीशन रूल्स को एक बार फिर से अनुमोदित किया है और इसमें आपकी 30 जून को बाकी रही इनपुट क्रेडिट जो वेट और सेंट्रल एक्साइज (सर्विस टैक्स ) में बकाया रहती है और इसके साथ कुछ  अवस्थाओं में आपके स्टॉक में शामिल आप द्वारा चुकाया गए कर की क्रेडिट (जब कि आप इस समय सेंट्रल एक्साइज या वेट में रजिस्टर्ड नहीं है ) किस तरह से मिलेगी इसका जिक्र है .

ये विषय हम पहले भी ले चुके है और इस समय जो रूल्स आये ये फिर से एक बार परिवर्तन के साथ आये है इसलिए आइये इनका अध्ययन कर लें और इसके साथ ही इन प्रावधानों को लेकर भ्रम भी बहुत है इसलिए भी आज का हमारा यह अध्ययन महत्वपूर्ण है.
जो डीलर्स अभी वेट और सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड है

सबसे पहले आप यह देख ले कि यदि आप वेट और सेंट्रल एक्साइज में रजि स्टर्ड है तो आपके अंतिम रिटर्न में जो क्रेडिट फॉरवर्ड की जा रही है वही आपकी जी.एस.टी. के दौरान प्रारम्भिक क्रेडिट होगी और आम तौर पर इसका आपके अंतिम स्टॉक से कोई सीधा संम्बंध नहीं है नाहीं ऐसी कोई पाबंदी है कि जो स्टॉक आपके पास है उसे कब तक बेच दिया जाए.

तो जो वेट और सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड डीलर्स है उन्हें अपनी जी.एस.टी. के दौरान प्रारम्भिक इनपुट क्रेडिट के लिए क्या करना है आइये इसे देख लें :-

1. जिस दिन जी.एस.टी. लागू होगा उस दिन से 90 (60 के दिन स्थान इसे अब 90 दिन कर दिया गया है ) दिन के भीतर ऐसे डीलर को GST TRAS-1 में निर्धारित डिटेल्स भर कर जी.एस.टी. एन. के पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इस फॉर्म का नमूना इस लेख के आखिर में दिया गया है .
2. इस तरह की क्रेडिट आने वाले जी.एस.टी. कानून में भी स्वीकार्य होनी चाहिए.
3. आपने जी.एस.टी. लागू होने की तारीख के 6 माह पहले के सभी रिटर्न्स भर दिए है .
4. इस सम्बन्ध में आपका माल कितना पुराना है इससे कोई सम्बन्ध नहीं है और इस माल को आप बेचते कब है यह भी कोई पाबंदी नहीं है .
5. वेट का जो एक्स्सस है उसकी क्रेडिट एस.जी.एस.टी. के तहत मिलेगी और जो सेंट्रल एक्साइज का एक्स्सस है उसकी क्रेडिट सी.जी.एस.टी. के तहत मिलेगी.

यह क्रेडिट उनके “इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर” में क्रेडिट कर दिया जाएगा जिसका उपयोग उनकी जी.एस.टी. के दौरान कर भुगतान से समायोजित करने में लिया जाएगा यहाँ यह ध्यान रखें कि इस क्रेडिट का उपयोग आप अपने जी.एस.टी. के तहत कर के भुगतान के लिए ही कर पायेंगे और इसका उपयोग ब्याज और पेनाल्टी के लिए नहीं किया जा सकेगा.

यह हमारी पहली स्तिथी है और ये सबसे आसान भी है

आइये इस पहली स्तिथी को एक उदाहरण से समझने की कोशिश करें

एक्स एंड कंपनी एक वेट और सेंट्रल एक्साइज डीलर है जिसके वेट अंतिम रिटर्न में बकाया इनपुट क्रेडिट 20500.00 रूपये है और सेंट्रल एक्साइज के अंतिम रिटर्न में बकाया इनपुट क्रेडिट 15600.00 रूपये है तो जी.एस.टी. के तहत इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में एस.जी.एस.टी. का प्रारम्भिक शेष 20500.00 रूपये हो जाएगा और सी.जी.एस.टी. के दौरान आपका प्रारम्भिक शेष 15600.00 रूपये होगा.

इस क्रेडिट का आपके 30 जून 2017 से “सीधे –सीधे” कोई सम्बन्ध नहीं है यदि आपके पास कोई एक्स्सस क्रेडिट है तो आपको वह आगे ले जाने के लिए मिल जायेगी जो आपके अंतिम रिटर्न में दिखाई गई है.

आइए एक स्तिथी देखें कि जब आपके पास स्टॉक नहीं है लेकिन आपके पास स्टॉक की इनपुट क्रेडिट है जो आप आगे जी.एस.टी. में ले जायेंगे

मान लीजिये आपने 1 मई 2017 10.00 लाख रूपये की कॉटन खरीदी जिस पर आपने 5 प्रतिशत की दर से 50000.00 रूपये का वेट का भुगतान किया और इस पूरे  माल को केन्द्रीय बिक्री कर के तहत 2% की दर से 10.50 लाख रूपये में बेचा और इस पर कर बना 21000.00 रूपये कर बना जिसे एडजस्ट करने के बाद 29000.00 एक्स्सस बचता है और यह एक्स्सस 30 जून 2017 तक रहता है .

यही एक्स्सस एस.जी.एस.टी. के तहत प्रारम्भिक शेष होगा लेकिन इस उदाहरण में आपने देखा कि कोई अंतिम स्टॉक नहीं है .

आइए एक स्तिथी देखें कि जब आपके पास स्टॉक  है लेकिन आपके पास स्टॉक की इनपुट क्रेडिट नहीं है

मान लीजिये आपने 1 मई 2017 10.00 लाख रूपये की कॉटन खरीदी जिस पर आपने 5 प्रतिशत की दर से 50000.00 रूपये का वेट का भुगतान किया इस प्रकार यह इनपुट क्रेडिट हुई और इसी डीलर ने 20.00 लाख रूपये का खाध्य तेल राज्य में  बेचा जो कि उन्होंने केन्द्रीय बिक्री कर के तहत खरीदा था  जिस पर कर की दर 5% है इस प्रकार यह कर 100000.00 लाख रूपये बना और इसमें से कॉटन की खरीद का कर 50000.00 रुपये घटाने के बाद कुल कर बाकी का 50000.00 रूपये कर जमा करा दिया और अब एक्स्सस कोई नहीं बचा तो कोई कर आगे जी.एस.टी. के तहत नहीं जाएगा.

इस तरह आपने देखा कि इस स्तिथी में स्टॉक तो है लेकिन कोई क्रेडिट आगे ले जाने को नहीं है क्यों कि क्रेडिट का उपभोग तो आप जी.एस.टी. के पहले ही कर चुके है .

इस तरह जो डीलर्स वेट और सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड है उन्हें अपने अंतिम रिटर्न में दिखाई गई बकाया क्रेडिट ममिल जायेगी.

क्या आपकी इस क्रेडिट का सम्बन्ध सी- फर्म  इत्यादि से हैं
क्या आपकी बिक्री वेट  घोषणा पत्रों के आधार पर है –C-form/H-form/Export Declaration.

यदि आपकी बिक्री वेटी के दौरान कुछ घोषणा पत्रों पर आधारित है जिनके कारण आपने कम कर की दर लगाईं है जैसे – सी –फॉर्म पर बिक्री पर कर की दर 2% है (चाहे राज्य में उस वस्तु की कर की दर 14.50% ) इसी तरह एच फॉर्म पर जो माल एक्सपोर्टर को बेचते है तो  इस पर कर की दर शून्य है (चाहे राज्य में उस वस्तु की कर की दर 14.50% )  तो आपका जो क्रेडिट अंतिम रिटर्न में आ रहा है उसमे से उतना हिस्सा रोक लिया जाएगा जिसके फॉर्म आपने पेश नहीं किये है और जब आप नियमानुसार ये फॉर्म और घोषणा पत्र पेश करेंगे तो राज्य में ही आपको इसका रिफंड दे दिया जाएगा.

ये प्रावधान आपको परेशान कर सकता है लेकिन जब कोई कर प्रणाली में इस तरह से परिवर्तन (ट्रांजीशन ) का समय होता है तब कुछ परेशानिया तो होती ही है . इस सम्बन्ध में आपके लिए सलाह यह है कि आप अपने घोषणा पत्र  (सी-फॉर्म , एच –फॉर्म इत्यादि) शीघ्र प्राप्त कर विभाग में पेश करें .

आप सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन आपके खरीद के बिल में सेंट्रल एक्साइज लगी हुई है

वे डीलर्स जो निर्माता है या व्यापारी है और जिनके पास ऐसा स्टॉक है जिस पर सेंट्रल एक्साइज लगा है और वह उनके खरीद के बिल में भी दिख रहा है – यह कच्चा माल, , सेमी फिनिश्ड गुड्स,  फिनिश्ड गुड्स भी हो सकता है .  ये उन कम्पनीज के डिपो भी हो सकते है जिन्हें माल ट्रान्सफर करतें है तो निर्माता सेंट्रल एक्साइज जमा हो जाती है और उन्हें भेजे गए चालान में दिखाई देती है . इन सभी ने अपनी खरीद या तो सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड निर्माता से की है या सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड डीलर से की है जो सेंट्रल एक्साइज की क्रेडिट का ट्रान्सफर कर सकते है .

शायद वेट के लिए आप इस स्तिथी की कल्पना नहीं कर सकते है क्यों कि वेट अभी भी अंतिम उपभोक्ता तक लगने वाला कर है और सेंट्रल एक्साइज इस समय निर्माण की स्तिथी तक ही लगती है तो ऐसे में ऐसा हो सकता है कि कोई डीलर सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है लेकिन उसके बिल में सेंट्रल एक्साइज लगी हुई है क्यों कि वह एक सेंट्रल एक्साइज निर्माता या डीलर से माल खरीदता है  .

आइये देखें कि इस स्तिथी में किस तरह से यह क्रेडिट सी.जी.एस.टी. के तहत मिलेगी :-

स्टॉक का विवरण इनपुट क्रेडिट की रकम
जो डीलर्स (जी.एस.टी. के कम्पोजीशन डीलर्स को छोड़कर ) सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं है उन्हें अपने अंतिम स्टॉक ( जो कच्चा माल हो अथवा  तैयार या अर्धनिर्मित  माल) में जो चुका हुआ सेंट्रल एक्साइज है और इसे साबित करने के लिए उनके पास बिल है जिसमे यह कर (सेंट्रल एक्साइज ) अलग से लगाया हुआ दिख रहा है  . उन्हें बिल में दिखाए हुए सेंट्रल एक्साइज  की इनपुट क्रेडिट मिल जायेगी और यह क्रेडिट उनके “इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर” में जमा कर दी जायेगी जिसका उपयोग उनका जी.एस.टी. के दौरान कर भुगतान में समायोजन के लिए काम लिया जाएगा .

इसी तरह जहाँ यह प्रावधान वेट में लागू होता (यदि किसी परिस्तिथी में लागू होता है ) वहां इसका इसी तरह प्रयोग कर सकते हैं.

यह क्रेडिट तभी मिलेगी जब कि इस इनपुट या माल का प्रयोग जी.एस.टी. के तहत करयोग्य माल की सप्लाई के लिए किया जाए और इस तरह की इनपुट क्रेडिट जी.एस.टी. कानून में भी स्वीकार्य हो. यदि यह माल जी.एस.टी. के दौरान करमुक्त घोषित कर दिया गया है तो यह क्रेडिट नहीं मिलेगी.

इसके अतिरिक्त जैसा पहले भी बताया है कि इस तरह के व्यक्ति के पास ये कर  भुगतान होने के प्रमाण स्वरूप बिल अथवा कोई ओर प्रपत्र हो अर्थात कर  किसी डीलर को चुकाई गई है इसका दस्तावेजी सबूत  बिल (जिसमे कर लगा हुआ होना चाहिए ) अथवा इसी तरह का कोई और दस्तावेज हो यह कोई और दस्तावेज बिल के अतिरिक्त चालान भी हो सकता है .

लेकिन ये ध्यान रखें कि यदि ये बिल जी.एस.टी. लगने की तारीख से 12 माह से पुराने हो तो आपको यह क्रेडिट नहीं मिलेगी इस तरह यदि जी.एस.टी. 1 जुलाई 2017 को लगता है तो जो स्टॉक आपके पास 30 जून 2016 या उससे पूर्व खरीदा हो तो इसकी क्रेडिट आपको नहीं मिलेगी. इसे आप विशेष ध्यान रखें .

इसे आप यों कह सकते है कि प्रार्थी सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड तो नहीं था लेकिन उसके बिल में सेंट्रल एक्साइज लगी हुई है और ये बिल 12 माह से पुराने नहीं है तो आपको ऊपर लिखी शर्तों पर सेनवेट क्रेडिट आगे ले जाने दी जायेगी भले ही आप सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड नहीं हैं.

बिल में सेंट्रल एक्साइज नहीं लगा हुआ है

आप सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड भी नहीं है और आपके पास जो बिल है उनमे भी सेंट्रल एक्साइज नहीं लगी है तो इसका अर्थ यह है कि आपने जो माल ख़रीदा है वह उस डीलर से नहीं खरीदा है जो सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड है या जो सेंट्रल एक्साइज में रजिस्टर्ड निर्माता के अतिरिक्त डीलर है और ऐसे केस में आपके बिल में किसी भी प्रकार की सेंट्रल एक्साइज लगे होने का कोई प्रश्न ही नहीं है लेकिन सेंट्रल एक्साइज उस माल की कीमत में तो जुडी हुई है .

इस पर भी आपको क्रेडिट मिलेगी लेकिन कितनी मिलेगी यह सरकार इस सम्बन्ध में जारी नियमों के तहत किया जाना था  और इस संम्बंध में अब नियम जारी हो चुके है जिनका अध्ययन अब हम आगे करेंगे. जिन ट्रेडर्स के पास एक्साइज पेड माल है लेकिन बिल में एक्साइज ड्यूटी नहीं दिख रही है उन्हें नुक्सान से बचाने के लिए इस प्रकार का प्रावधान बनाया गया है

आइये अब देखें कि जी.एस.टी. के जो रूल्स के प्रारूप जारी किये गए है उनके अनुसार इस के डीलर्स को एस.जी.एस.टी और सी.जी.एस.टी. में क्रेडिट कितनी और किस प्रकार से मिलेगी :-

केंद्र का जो सी.जी.एस.टी. वो उस वस्तु की सप्लाई पर भुगतान करेंगे उन्हें इस भुगतान के बाद इस प्रकार से छुट दी जायगी :-

विवरण भुगतान किये गए एस.जी.एस.टी. की छूट का प्रतिशत
सी.जी.एस.टी.:-
1. यदि कर की दर 9 प्रतिशत से कम् है .

(इस माल पर जी.एस.टी. कर की दर 18% से कम है लेकिन यहाँ केवल सी.जी.एस.टी. की दर पर ही विचार किया गया है )

40%
2. यदि कर की दर 9 प्रतिशत या इससे से अधिक है .

(इस माल पर जी.एस.टी. कर की दर 18% या इससे  से इससे कम है लेकिन यहाँ केवल सी.जी.एस.टी. की दर पर ही विचार किया गया है  )

60%
नोट :- पहले यह दर 40% ही थी लेकिन अब नए रूल्स में जो जी.एस.टी. कौंसिल ने अनुम्मोदित किये है  इसकी दो श्रेणिया कर दी गई है अर्थात 40% या 60% की है.

एक और स्वाभाविक परिवर्तन आई.जी.एस.टी. को लेकर किया गया है और इसके लिए जो प्रावधान बनाया गया है वह इस प्रकार से है :-

आई.जी.एस.टी.:-यदि माल का विक्रय अन्तर प्रांतीय बिक्री के दौरान किया गया है तो यह छूट या क्रेडिट आधी अर्थात 20% एवंम 30% जैसा ऊपर बताया गया है मिलेगी.

छूट की दर में यह घटत स्वाभाविक ही है क्यों कि आई.जी.एस.टी. की दर एस.जी.एस.टी. और सी.जी.एस.टी. की दर को मिला कर होती है अर्थात यह दर जी.सी.एस.टी. की दुगनी होती है इसलिए इस प्रकार से मिलने वाले छुट की रकम बराबर ही होगी.

इस प्रकार जी.एस.टी. में जो भी कर का भुगतान इन वस्तुओं की सप्लाई पर किया जाएगा उसका 40% या 60%  की क्रेडिट उन्हें प्रारम्भिक स्टॉक में शामिल  ड्यूटी के रूप में मिल जाएगा जिसे उनके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में जमा कर दिया जाएगा .

यह सारी क्रेडिट उन्हें इस माल को जी.एस.टी. लगने के 6 माह में बेच कर ही प्राप्त करनी होगी , इसके बाद यह क्रेडिट नहीं मिलेगी. यह जो स्कीम है वह 6 माह तक ही लागू रहेगी और इस तरह के स्टॉक को अलग से “चिन्हित” करके रखना होगा.

इसके अतिरिक्त एक और बात ध्यान रखें कि इस तरह से मिली हुई इनपुट क्रेडिट का लाभ ऐसे डीलर्स को अपने ग्राहकों को देना होगा अर्थात इस तरह दे डीलर्स को इस प्रकार की क्रेडिट का लाभ पाने ग्राहकों को पास करना होगा.

आइये इसे एक उदाहरण के जरिये समझने का प्रयास करें

एक्स एंड कम्पनी के पास मोटर साइकिल 30 जून को मोटर साइकिल का 50.00 लाख रूपये का स्टॉक है जिस पर निर्माता ने सेंट्रल एक्साइज का भुगतान तो किया है लेकिन एक्स एंड कंपनी को यह माल निर्माता से नहीं बल्कि एक डीलर से मिला है और उस डीलर ने बिल में कोई एक्साइज ड्यूटी अलग से नहीं लगाईं है लेकिन यह फैक्ट तो है ही है कि एक्साइज ड्यूटी का कहीं ना कहीं भुगतान तो हुआ है .

यहाँ ध्यान रखिये यदि एक्स एंड कंपनी ने यह माल सीधे निर्माता से खरीदा होता तो बिल में जो एक्साइज ड्यूटी लगी है उसकी क्रेडिट उन्हें मिल जाती लेकिन यहाँ बिल में एक्साइज ड्यूटी नहीं लगी है .

ऐसी अवस्था में इस स्टॉक पर जी.एस.टी. के दौरान क्रेडिट कैसे मिलेगी यह हमने ऊपर समझाया है आइये इसे व्यवहारिक रूप से समझ लें :-

इस माल में से पहले महीने में एक्सस एंड कंपनी ने 20.00 लाख  रूपये की बिक्री की तो इस पर उन्होंने 28 प्रतिशत जी.एस.टी. चुकाया है जिसमे से 14 प्रतिशत एस.जी.एस.टी. और 14 प्रतिशत की दर से सी.जी.एस.टी. के रूप में 2.80 लाख रूपये प्रत्येक में चुकाए है तो इसमें से सी.जी.एस.टी. के रूप में चुकाए गए 2.80 लाख रूपये का  60 प्रतिशत अर्थात 1.68 लाख रूपये की क्रेडिट उन्हें उनके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में दे दिया जाएगा.

क्या इस प्रकार की क्रेडिट राज्य के जी.एस.टी. में भी उपलब्ध है ?

हां , जहाँ राज्यों में जिन वस्तुओं पर प्रथम बिंदु पर कर (FIRST POINT TAX) है वहां इस तरह की स्तिथी उत्पन्न हो सकती है और ऐसा जहाँ भी है वहां जिस तरह से सेंट्रल एक्साइज में इस तरह की क्रेडिट समझाई गई है उसी तरह की क्रेडिट वेट में प्रथम बिंदु पर जिन वस्तुओं पर कर है उनके डीलर्स को उनके इस तरह के स्टॉक पर एस.जी.एस.टी.के तहत क्रेडिट मिल जायेगी.

इस प्रकार की क्रेडिट क्यों जरुरी ह

अब आपका एक प्रतिस्पर्धी डीलर 1 जुलाई 2017 (जी.एस.टी. लगने की संभावित तारीख ) को यही माल सीधा ही निर्माता से खरीदता है तो उस पर एस.जी.एस.टी. और सी.जी.एस.टी. दोनों लगे होंगे . उस डीलर  को जब वह माल बेचेगा तो उसके द्वारा चुकाए हुए एस.जी.एस.टी. एवं सी.जी.एस.टी. की छूट अपना कर चुकाते समय मिल जायेगी और व्यवहारिक रूप से वह अपने  “मार्जिन” पर ही कर चुकाएगा. यही वेट और अब जी.एस.टी. की मूलभूत धारणा है और इस करारोपण का मूल सिद्धान्त है .

अब आपके पास जो स्टॉक है उसमे जो केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और/या  वेट जुडा है उसकी छूट आपको नहीं मिले और आपको अब ग्राहक से प्राप्त किया गया एस.जी.एस.टी. एवं सी.जी.एस.टी. पूरा का पूरा ही चुकाना पड़े तो आपका माल 1 जुलाई 2017 को ख़रीदे गए माल के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में नहीं टिक पायेगा या फिर आपको इस माल की बिक्री पर नुक्सान उठाना होगा. इसलिए यह जरुरी है कि आपके 30 जून 2017 के स्टॉक में जो कर  (वेट और सेंट्रल एक्साइज ) शामिल है कि छुट की कोई व्यवस्था की जाए.

इन सभी डीलर्स को Form GST TRAN – 1 में इस प्रकार की क्रेडिट लेने के

 लिए वांछित सूचनाओं के साथ भर कर पेश करना होगा इस फॉर्म का नमूना

 भी नीचे दिया जा रहा है .

Form GST TRAN – 1

(See Rule —–)

Transitional ITC / Stock Statement

1. GSTIN-

2. Legal name of the registered person-

3. Trade Name, if any-

4. Whether all the returns required under existing law for the period of six months immediately preceding the appointed date have been furnished:- Yes/No

5. Amount of tax credit carried forward in the return filed under existing laws:

(a) Amount of Cenvat credit carried forward to electronic credit ledger as central tax (Section 140(1) and Section140(4)(a))

Sr. no. Registration no. under existing law (Central Excise and Service Tax) Tax period to which the last return filed under the existing law pertains Date of filing of the return specified in Column no. 3 Balance cenvat credit carried forward in the said last return Cenvat Credit admissible as ITC of central tax in accordance with transitional provisions
1 2 3 4 5 6
Total

(b) Details of statutory forms received for which credit is being carried forward

Period: 1st  Apr 2015 to 30th June 2017

TIN of Issuer Name of Issuer Sr. No. of Form Amount Applicable VAT Rate
C-Form
Total
F-Form
Total
H/I-Form
Total

(c) Amount of tax credit carried forward to electronic credit ledger as State/UT Tax(For all registrations on the same PAN and in the same State)

 
 
Registration No. in existing law
Balance of ITC of VAT
and [Entry Tax] in last return
C Forms
F Forms
 
 
ITC reversal relatable to [(3) and] (5)
H/I Forms
 
 
Transition ITC 2-
(4+6-7+9)
 
Turnover for which forms Pending
Difference tax payable on (3)
 
Turnover for which forms Pending
 
 
Tax payable on (5)
Turnover for which forms Pending
 
 
Tax payable on (7)
1
2 3 4 5 6 7 8 9 10

6. Details of capitals goods for which unavailed credit has not been carried forward under existing law (section140(2)).

(a) Amount of unavailed cenvat credit in respect of capital goods carried forward to electronic credit ledger as central tax

Sr. no
Invoice / Document no.
Invoice / document Date
Supplier’s registration no. under existing law
Recipients’ registration no. under existing law
Details of capital goods on which credit has been partially availed
Total eligible cenvat credit under existing law
Total cenvat credit availed under existing law
Total  cenvat credit unavailed under existing law (admissible  as ITC of central tax) (9-10)
Value
Duties and taxes paid
ED/ CVD
SAD
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11
Total

b) Amount of unavailed input tax credit carried forward to electronic credit ledger as State/UT tax (For all registrations on the same PAN and in the same State)

Sr. no
Invoice / Document no.
Invoice/ document Date
Supplier’s registration no. under existing law
Recipients’ registration no. under existing law
Details regarding capital goods on which credit is not availed
Total eligible VAT [and ET] credit under existing
law
Total VAT [and ET] credit availed under existing law
Total VAT [and ET] credit unavailed under existing law (admissible as ITC of State/UT tax) (8-9)
Value Taxes paid VAT [and ET]
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
Total

7. Details of the inputs held in stock in terms of sections 140(3), 140(4)(b) and140(6).

(a) Amount of duties and taxes on inputs claimed as credit excluding the credit claimed under Table 5(a) and7(a)

Sr. no. Details of inputs held in stock or inputs contained in semi-finished or finished goods held in stock
HSN (at 6 digit level) Unit Qty. Value Eligible Duties paid on such inputs
1 2 3 4 5 6
7A Where duty paid invoices or any other document  are available
Inputs
Inputs contained in semi-finished and finished goods
7B Where duty paid invoices are not available (Applicable only for person other than manufacturer or service provider) – Credit in terms of Rule 1 (4)
Inputs

(b) Amount of vat and entry Tax paid on inputs supported by invoices/documents evidencing payment of tax carried forward to electronic credit ledger asSGST/UTGST 

Details of inputs in stock Total input tax credit claimed under earlier law Total input tax credit related to exempt sales not claimed under earlier law Total Input tax credit admissible as SGST/UTGST
Description Unit Qty Value VAT [and Entry Tax] paid
1 2 3 4 5 6 7 8
Inputs
Inputs contained in semi-finished and finished goods

(c) Stock of goods not supported by invoices/documents evidencing payment of tax (credit in terms of rule 1 (4)) (To be there only in States having VAT at single point)

Details of inputs in stock

Description Unit Qty Value Tax paid
1 2 3 4 5

8. Details of transfer of cenvat credit for registered person having centralized registration under existing law (Section140(8))

Sr. No.
Registration no. under existing law     (Centralized)
Tax period to which the last return filed under the existing law pertains
Date of filing of the return specified in Column no. 3
Balance eligible cenvat credit carried forward in the said last return
GSTIN of receivers (same PAN) of ITC CENTRAL TAX
Distribution document
/invoice
ITC of CENTRAL TAX transferred
No.
Date
1 2 3 4 5 6 7 8 9
Total

9. Details of goods sent to job-worker and held in his stock on behalf of principal under section141

a. Details of goods sent as principal to the job worker under section141

Sr.

No.

Challan No. Challan date Type of goods (inputs/ semi-finished/ finished) Details of goods with job- worker
HSN Description Unit Quantity Value
1 2 3 4 7 8 9 10 11
GSTIN of Job Worker, if availabl
Total

b. Details of goods held in stock as job worker on behalf of the principal under section141

10. Details of goods held in stock as agent on behalf of the principal under section 142 (14) of the SGST Act

a. Details of goods held as agent on behalf of the principal

Sr.

No.

GSTIN of Principal Details of goods with Agent
Description Unit Quantity Value Input Tax to be take
1 2 3 4 5 6

b. Details of goods held by the agent

Sr.

No.

GSTIN of Principal Details of goods with Agent
Description Unit Quantity Value Input Tax to be take
1 2 3 4 5 6

11. Details of credit availed in terms of Section 142 (11 (c))

Sr. no Registration No of VAT Service Tax Registration No. Invoice/doc ument no. Invoice/ document date Tax Paid VAT paid Taken as SGST Credit or Service Tax paid as Central Tax Credit
1 2 3 4 5 6 7
Total

12. Details of goods sent on approval basis six months prior to the appointed day (section142(12))

Sr No.
Document no.
Document date
GSTIN no. of recipient, (if applicable)
Name & address of recipient
Details of goods sent on approval basis
HSN
Description
Unit
Quantity
Value
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
Total

Verification (by authorized signatory)

I hereby solemnly affirm and declare that the information given herein above is true and correct to the best of my knowledge and belief and nothing has been concealed therefrom

Signature

Place

Name of Authorized Signatory ….…………………… Date

Designation /Status……………………………………

-CA Sudhir Halakhandi

“Halakhandi”, Laxmi Market, Beawar-305901(Raj)

Cell- 9828067256, MAIL –sudhirhalakhandi@gmail.com

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13 Comments

  1. Ravikant suman says:

    Sir
    Cloth vyapari k 30/6/17 k stock par ITC milegi ya nahi kyoki cloth par gst se pahle koi tax nahi tha

    Yadi ITC Milti h aur July ka output tax stock ki input tax credit se kam h to tax ka kya process hoga

  2. Suresh kumar says:

    सर नमस्कार !
    मैं ये पूछना चाहता हूँ कि कोई फार्म वर्तमान में अगर वैट में रजिस्ट्रड है और GST में वो कम्पोजीशन स्कीम में जाना चाहती है,उसके पास इनपुट वैट बैलेंस नहीं है बल्कि स्टॉक पड़ा है तो क्या उसे स्टॉक पर वर्तमान वैट रेट पर टैक्स डिपाजिट करना पड़ेगा या नहीं ?

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