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GST Act से उत्पन्न समस्याओं के संबंध में माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री भारत सरकार को पत्र प्रेषित

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

सादर नमस्कार,

महोदय,

निवेदन यह है। कि आपके मार्गदर्शन में हमारा देश दिन प्रतिदिन उन्नति की ओर अग्रसर है। इस उन्नति के लिए आपके द्वारा एक क्रांतिकारी कदम देश में एक टैक्स एक देश  की जो अवधारणा स्थापित की है ।और उसमें 1 जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम लागू किया गया है ।पिछले 6 वर्ष में जीएसटी एक्ट के द्वारा देश में राजस्व की वृद्धि दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ।जिसके लिए आप बधाई के पात्र है। साथ ही जीएसटी में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हुई है। मैं एक टैक्स प्रोफेशनल होने के नाते देश के हित में, राजस्व के हित में, करदाता के हित में, और प्रत्येक भारतीय के हित में  उन समस्याओं से आपको अवगत कराना चाहता हूं ।साथ ही कुछ निवेदन भी प्रेषित कर रहा हूं ।आशा करता हूं ।कि आप इस पत्र का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करेंगे।

जीएसटी से उत्पन्न समस्याओं का विवरण निम्न प्रकार है-

यह कि वास्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के समय सभी को यह ज्ञात था। कि  नया कानून होने के कारण नए कानून के व्यवहारिक क्रियान्वयन में त्रुटि होने की संभावना रहेगी ।इसके अलावा आरंभिक अवधि में जीएसटी पोर्टल पूरी तैयार से तैयार नहीं था। जिसके कारण करदाताओं/ टैक्स प्रोफेशनल / विभागीय कर्मचारियों को कई तकनीकी गड़बड़ियां  का सामना करना पड़ा। जिससे उनके लिए लॉगिन करना, टैक्स का भुगतान करना ,समय से रिटर्न दाखिल न करना, और सेल्फ वैल्यूएशन की नई जानकारी उचित तरीके से घोषित करना मुश्किल हो गया था ।और गलतियों और का पता चलने पर उन्हें सुधारने का या संशोधन करने का कोई विकल्प नहीं था ।क्योंकि तकनीकी कर्म के कारण भी जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में ऐसे विषय के कारण करदाता द्वारा व्यक्त किए गए विभिन्न अनुरोधों/ अपीलों और शिकायत को ध्यान में रखते हुए सरकार ने विभिन्न मंचों पर आश्वासन दिया था। कि  प्रमाणित कानून के प्रारंभिक क्रिया में उनके दौरान हुई त्रुटी पर उदारता पूर्वक विचार किया जाएगा।

यह कि जीएसटी विभाग ने पहले से ही जीएसटी एक्ट के अंतर्गत निर्धारित विभिन्न तरीकों के अंतर्गत पूछताछ शुरू कर दी गई है ।इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी के इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप/ सॉफ्टवेयर टूल से प्राप्त कुछ ऑटो पापुलेटेड डाटा के आधार पर वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए बड़ी संख्या में नोटिस जारी किए गए हैं ।यह नोटिस जीएसटी के भुगतान में  कमी के वसूली के लिए ,जीएसटी R 9 टेबल 6a और 8b के अंतर्गत अंतर आने के आधार पर आईटीसी को मिटाने के कारण ।धारा 17(5) और नियम 42 के संदर्भ में अयोग्य आईटीसी के लिए नियम 42/43 के साथ-साथ केंद्रीय और राज्य कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत जीएसटीआर 3b , जीएसटीR 9 और जीएसटीR 1 के अंतर्गत आउटपुट /जीएसटी देनदारी के  जैसे मुद्दे ज्यादातर मामलों में नोटिस पिछले कुछ समय से जारी किए गए हैं। तथा 30 सितंबर 2023 के दिन नोटिस जारी करने की अंतिम तिथि होने के कारण  नोटिस की बाढ़ सी आ गई है।

ऐसा प्रतीत होता है ।कि जारी नोटिस प्रत्येक मामले के व्यक्तिगत तथ्यों पर विचार किए बिना जल्दबाजी में और अंतिम क्षणों में सामान्य तरीके से जारी किए गए हैं। यह नोटिस सभी करदाताओं के उनके व्यवसाय की प्रकृति और सेल्फ वैल्यूएशन रिटर्न में घोषित जानकारी बिना जारी किए गए हैं। यह दुर्भाग्य से जीएसटी एक्ट की प्रारंभिक आवश्यकताओं का पालन नहीं किया गया है ।और अंतिम समय में मैकेनिकल रूप से नोटिस जारी किए गए हैं।

यह कि बड़े पैमाने पर करदाताओं द्वारा सूचित किया है। कि ऐसे नोटिस अस्पष्ट है ।और cgst और sgst  अधिनियम की धारा 73 और 74 के अंतर्गत उचित कारण बताओं नोटिस की सामग्री का अभाव होने पर भी नोटिस जारी किए गए हैं ।ऐसा प्रतीत होता है। कि नोटिस केवल स्वत जनरेट जेनेटिक संख्याओं पर आधारित है ।जो अधिकांश नोटिस में विश्वसनीय नहीं है। यह कि  ऐसी जारी नोटिस के संबंध में मेरे द्वारा निम्नलिखित तथ्यों पर ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं –

1. यह कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए दाखिल जीएसटी R 9 के आधार पर नोटिस जारी किए जाते हैं।  जीएसटी9 और 9c में आवश्यक सुधार पहले से किया गया है ।और उसके संदर्भ में DRC 03 भी दाखिल किए जा चुके हैं ।लेकिन इन नोटिस को जारी करते समय पोर्टल पर उपलब्ध सभी तथ्यों का अवलोकन नहीं किया गया है  जैसे किसी करदाता के जीएसटी R 1 /जीएसटी 3b और जीएसटी 9 को आधार बनाकर वांछित नोटिस जारी किए गए हैं।

2. यह कि विभाग द्वारा ASMT 10 जारी किया जाता है। करदाता द्वारा ASMT 11 में जवाब दाखिल किया जाता  है। और विभाग द्वारा ASMT 12 में आदेश जारी किया जाता है ।लेकिन ऐसे नोटिस में ASMT 12 पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

3. यह कि जीएसटी विभाग द्वारा जिन मामलों में ASMT 10 किया गया है ।और करदाता द्वारा उसका जवाब ASMT 11 में दाखिल किया गया है ।लेकिन विभाग द्वारा उसके उत्तर पर बिना गौर किये धारा 73 और 74 के नोटिस जारी किए गए हैं।

4. यह कि जीएसटी विभाग द्वारा पूर्व में DRC 01 के द्वारा धारा 73/ 74 के अंतर्गत नोटिस जारी किए जा चुके हैं ।लेकिन फिर भी नए DRC 01 पुरानी कार्रवाई या नोटिस के संदर्भ के बिना और बिना किसी आंकड़े के जारी किए गए हैं ।जो वैध नोटिस की श्रेणी में नहीं आते हैं।

5. यह कि जीएसटी विभाग द्वारा CGST/SGST ACT के अंतर्गत धारा 65 के अंतर्गत ऑडिट की कार्यवाही पूर्ण होने के पश्चात भी Adt 02जारी होने पर भी धारा 73 और 74 के नोटिस अर्थात DRC 01 जारी किए गए हैं।

6. यह कि जीएसटी विभाग द्वारा एनफोर्समेंट या CGST द्वारा संचालित की गई कारण बताओं नोटिस में एनफोर्समेंट द्वारा की गई प्रगति या पूर्ण की गई कार्रवाई के संदर्भ के बिना भी नोटिस जारी किए गए हैं। जिसके लिए दूसरे नोटिस की आवश्यकता नहीं है।

7. यह कि यदि पंजीकृत व्यक्ति पहले से ही वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए अपील में गया हुआ है। तो ऐसी स्थिति में कारण बताओं नोटिस DRC 01 जारी किए जाने का औचित्य नहीं है।

8. यह कि जीएसटी विभाग द्वारा आईटीसी के कुल दावे पर आईटीसी को तदर्थ तरीके से सामान्य क्रेडिट मानते हुए इसकी रिवर्सल की कार्रवाई की सूचना दी गई है। जिससे प्रतीता होता है ।कि इस संबंध में विभाग की कार्य प्रणाली सही नहीं है। क्योंकि कुल आईटीसी को सामान्य आईटीसी के रूप में लिया गया है जबकि अधिकतर मामलों में यह नियम 42 पर विचार करने के बाद आईटीसी है या विशेष रूप से  सप्लाई से संबंधित आईटीसी है ।इसके परिणाम स्वरूप अत्यधिक एवं वास्तविक टैक्स उत्पन्न हुई। जिन्हें नियम 42 और 43 के अंतर्गत रिवर्सल की गणना के उद्देश्य बाहर करना पड़ा। जिन्हें कुछ मामलों में शामिल किया गया है ।तथा कुछ वस्तुएं जिन पर जीएसटी नहीं लगाया जाता है उन्हें नियम 42 और 43 के अंतर्गत रिवर्सल की गणना के उद्देश्य से माना गया है

9. यह कि जीएसटी विभाग द्वारा CGST /SGST  की धारा 17 उप धारा 5 के संदर्भ में कई मामलों में धारा 17 उप धारा 5 के अंतर्गत प्रदान किए गए विशिष्ट है। आईटीसी के बिना कारण बताओं नोटिस DRC 01 जारी किया गया है तथा DRC 01 के माध्यम से जारी किए गए नोटिस में केवल करदाता के जीएसटी 2 ए में दिखाई देने वाले चालान के लिए सप्लायर द्वारा दायर किए गए HSN कोड पर आधारित है। इस तथ्य के बावजूद करदाता द्वारा क्रेडिट लिया गया है या नहीं इसकी जांच किए बिना करदाता के व्यवसाय की प्रकृति का अनुमान लगाए बगैर कारण बताओं नोटिस DRC 01 जारी किए गए हैं।

10. यह  कि कुछ मामलों में घोषित टैक्स और कैश में भुगतान किए गए कर में अंतर के आधार पर जीएसटी 9 के अनुसार आईटीसी के समायोजन के आधार पर नोटिस जारी किए गए हैं। बिना विचार किया कि जीएसटी आर 3b की तुलना में जीएसटी आर 1और उनमें अधिक राशि है ।और बाद के अवधि में दाखिल किए गए जीएसटी आर 1 में सुधार किया गया है या जीएसटी 1 और जीएसटी 3b में दाखिल करने में हुई गलती को बाद की अवधि में जीएसटी 9 में सुधार किया गया है।

11. यह कि जीएसटी विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 में जीएसटी आर 3b जीएसटीआर 2a जीएसटी आर 9 में अंतर के आधार पर नोटिस जारी किए गए हैं ।जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 में जीएसटी 2a उपलब्ध ही नहीं था। जिस कारण विभाग द्वारा टेबल 8ए में आंकड़े ऑटो पापुलेटेड हुए। उन्हीं को आधार मानते हुए ऐसे नोटिस जारी किए गए हैं ।जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 की अवधि के लिए आईटीसी का दावा करने के लिए केवल धारा 16(2) जैसा कि उसे समय लागू था। कि शर्तों पर विचार करना आवश्यक है ।लेकिन विभाग द्वारा नोटिस जारी करते हुए। इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया गया है। जिसके कारण करदाता को मानसिक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

12. यह कि DRC 03 फरवरी वर्ष 2021 मे लागू हुआ था। लेकिन जीएसटी विभाग वर्ष 2017 से ही ब्याज की मांग कर रहा है।जो उचित नहीं है। क्योंकि जब कोई जमा के लिए प्रावधान ही नहीं था। कैसे जमा करते।

यह कि उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आपसे आदर सहित अनुरोध और अपील सादर भाव से प्रेषित है

यह कि उपरोक्त विवादों को निपटाने को प्राथमिक स्तर पर उपयुक्त व्यवस्था की जानी चाहिए ।जैसा की ऊपर बताए गए गलती /त्रुटि  के संबंध में करदाता के उत्तर और करदाता की बिना उपस्थिति होनी आवश्यक है ।ताकि अनुचित मुकदमेबाजी और करदाता को नुकसान से बचाने के लिए करदाता या उनके प्रतिनिधि की उपस्थिति आवश्यकता के बिना करदाता को सूचित किए  बिना नोटिस वापस लिए जाने चाहिए ।यदि विभाग का मानना है। कि जारी किए गए सभी नोटिस वैध और विधि सम्मत है। तो उचित अधिकारी को विधि की प्रक्रिया का पालन करना और उसकी कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए उचित निर्देश जारी किए जाने चाहिए।

यह कि उपरोक्त नोटिसों से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP)निर्धारित की जाए। तथा सभी अधीनस्थ कार्यालय को सूचित किया जाए। तथा इसके अतिरिक्त ऐसे नोटिस की जांच के लिए उच्च अधिकारियों की एक विशेष टीम का गठन किया जाना चाहिए ।जो अधिकारियों को निर्देश जारी किया जाए और सुझाए दिए जाए ।ताकि बड़े पैमाने पर नोटिस के आधार पर कोई कार्रवाई न हो।

यह कि विभाग द्वारा मुकदमे बाजी से बचने के लिए व्यवसाय बंद होने की स्थिति में या मृत् व्यक्ति के मामले में जहां पंजीकरण सरेंडर कर दिया गया है। और अंतिम रिटर्न दाखिल किया गया है । वहा विशेष प्रक्रिया अपनी जानी चाहिए।

यह कि जीएसटी विभाग द्वारा जारी कारण बताओं नोटिस में पर्याप्त समय देना व्यक्तिगत सुनवाई के लिए अनुमति देना उचित अधिकारी को निर्देश जारी किए जाएं। किसी भी नोटिस में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किया जाए तथा अनुपालन को सक्षम करने के लिए जहां मांगे गए दस्तावेज पर भरोसा किया जा रहा है उन्हें करदाताओं को उपलब्ध कराना चाहिए।

यह कि शुरुआती वर्षों में सरकार ने जो करदाताओं से वादे किए हैं ।उन वादों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18/2018 -19 और 2019 -20 में नोटिसों से उत्पन्न सभी मांगों पर ब्याज और जुर्माना माफ करने के लिए जीएसटी काउंसिल को सिफारिश की जाए और ऐसे अध्यादेश जारी कराई जाए।

यह कि जीएसटी विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए धारा 61/ 73/74 की कार्रवाई शुरू कर दी गई है । जिसके लिए अनुरोध है। कि उपरोक्त कारण का संज्ञान लेते हुए अभी वित्तीय वर्ष 2018-19 पर रोक लगाई जानी आवश्यक है।

ह कि जीएसटी एक्ट में जीएसटीR 9 को प्रभावी करते हुए प्रत्येक करदाता के लिए जीएसटी 9 का मूल्यांकन होना चाहिए।

यह कि जिस प्रकार से वित्तीय वर्ष 2017-18 ,2018-19 ,2019 -_20 के लिए धारा 61, 73 और 74 की समय अवधि समय-समय पर बढ़ाई जा रही है ।वह न्याय हित में ठीक नहीं है। इसलिए उचित होगा जो  एक्ट में नियम  घोषित किए गए हैं । उनका का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

अतः आपसे विनम्रता पूर्वक अनुरोध है। कि उपरोक्त तथ्यों पर अच्छी भावना से और करदाता, टैक्स प्रोफेशनल और समाज के लिए समग्र परिपेक्ष में राजस्व हित के लिए उपरोक्त मांग पर विचार करने की कृपा करें।

आदर सहित प्रेषित।

जय हिन्द जय भारत।

Dated 21/10/2023

स्थान- मेरठ

भवदीय

संजय शर्मा
एडवोकेट
78/5सूरज कुंड रोड मेरठ

सम्पर्क सूत्र   9412337333

email:- sanjaysharmaadv[email protected]

प्रति लिपि प्रेषित आवश्यक कार्रवाई हेतु

1. श्रीमति निर्मला सीतारमन. वित्त मंत्री भारत सरकार

2 . सचिव राजस्व वित्त मंत्रालय नई दिल्ली

3. उपाधक्ष जीएसटी काउन्सिल 

यह लेखक के निजी विचार है।

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